उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में भी पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्य जैसा मामला सामने आया है. महिला के पति का आरोप है कि साल 2018 में पत्नी का चयन लेखपाल के पद पर हो गया. इसके कुछ महीने बाद बेटी को लेकर वो मायके चली गई और तलाक की अर्जी कोर्ट में दे दी. वहीं, पत्नी का आरोप है कि पति से तंग आकर वह मायके चली गई और तलाक की अर्जी कोर्ट में दे दी. वहीं, पत्नी का आरोप है कि पति से तंग आकर वह मायके चली गई और वहीं पढ़-लिखकर लेखपाल बनी है.
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में भी पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्य जैसा मामला सामने आया है. यहां शादी के बाद पढ़-लिखकर लेखपाल बनी एक महिला ने किसान पति पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है और कोर्ट में तलाक की अर्जी दी है. वहीं, पारिवारिक न्यायालय कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई करते हुए पत्नी की तरफ से दाखिल तलाक के मुकदमे को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया है.
दरअसल, पूरा मामला बाराबंकी के सतरिख थाना क्षेत्र के गलाहामऊ गांव का है. यहां के रहने वाले अमरीश कुमार की शादी 20 फरवरी 2009 को जैदपुर थाना क्षेत्र के याकूतगंज गांव में दीपिका के साथ हुई थी. शादी के बाद ससुराल में ही दीपिका का ग्रेजुएशन पूरा हुआ.
MA -B.Ed के बाद तैयारी के लिए कोचिंग में कराया एडमिशन
दीपिका के पति के मुताबिक, पढ़ने में रुचि को देखते हुए पत्नी को एमए (MA) और बीएड (B.Ed) कराया. इसके बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिएके लिए कोचिंग में एडमिशन करा दिया. इस दौरान वह पत्नी को कोचिंग लाने और ले जाने के साथ ही अन्य पारिवारिक जिम्मेदारियां भी निभाते रहे.
लेखपाल में चयन के बाद कोर्ट में दी तलाक की अर्जी
इस बीच आर्थिक दिक्कतों के कारण उसे अपना खेत भी बेचना पड़ा. साल 2018 में पत्नी का चयन लेखपाल के पद पर हो गया. इसके कुछ महीने बाद वह अपनी आठ साल की बेटीको लेकर मायके चली गई. इसके बाद साल 2018 में ही दीपिका ने पति से तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी.
कोर्ट ने तलाक के मुकदमे को किया खारिज
वहीं, पति का ये भी आरोप है कि गृहस्थी को बचाने के लिए उसने कई बार पत्नी से मिन्नतें भी की, लेकिन उसने नजरअंदाज कर दिया. साथ ही उसे अपनी बेटी से भी मिलने नहीं दिया गया. फिलहाल, मामले में पारिवारिक कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दुर्गा नारायण सिंह ने सुनवाई करते हुए पत्नी की तरफ से दाखिल तलाक के मुकदमे को आधारहीन पाते हुए 27 जुलाई 2023 को खारिज कर दिया है.
मायके में पढ़-लिखकर बनी लेखपाल
वहीं इस मामले में दीपिका ने बताया कि वह घर का काम करने के साथ ही प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा कर घर का खर्च चलाती थी. मगर, घरवाले इससे संतुष्ट नहीं थे.वह आए दिन प्रताड़ित करते थे. इसी से तंग आकर वह मायके चली गई और वहां से पढ़-लिखकर लेखपाल बन गई. अब उन लोगों से छुटकारा पाने के लिए तलाक का मुकदमा दाखिल किया था.