आईवीआरआई में हुए दीक्षांत समारोह में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों की आय दस गुना तक बढ़ी

बरेली,23 अगस्त। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर में मंगलवार दशम दीक्षान्त समारोह का आयोजन किया गया जिसमें संस्थान द्वारा कुल 942 उपाधियाँ एवं 78 पुरस्कार (349 उपाधियों एवं 48 पुरस्कार उपस्थिति में तथा 581 अनुपस्थिति में) मुख्य अतिथि नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, कैलाश चौधरी, केन्द्रीय राज्य मंत्री कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, संतोष कुमार गंगवार, लोकसभा सांसद, बरेली, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप-महानिदेशक (पशु विज्ञान) डा. भूपेन्द्र नाथ त्रिपाठी, तथा संस्थान के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त की उपस्थिति में प्रदान किये गये। संस्थान द्वारा विकसित 03 प्रौद्योगिकियों का विमोचन भी इस दीक्षांत समारोह में किया गया। इसके अतिरिक्त डा. महेन्द्र पाल यादव, पूर्व निदेशक आईवीआरआई एवं पूर्व कुलपति सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ, डा. कमल मल्ल युजरबरूआ, पूर्व महानिदेशक (पशु विज्ञान), नई दिल्ली एवं पूर्व कुलपति आसाम कृषि विश्वविद्यालय गुवाहाटी तथा डा. अनिल कुमार श्रीवास्तव, कुलपति, उत्तर प्रदेश पंडित दीन दयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय एवं गौ अनुसंधान संस्थान, मथुरा को आईवीआरआई सम विश्वविद्यालय की विज्ञान-वारिधि (मानद) उपाधि से सम्मानित किया गया। कृषि मंत्री ने कहा की प्रधानमंत्री जी के प्रयासों से किसानों की आय दोगुनी से दस गुनी तक हुई है। जिन्हे इस बात पर यकीन नही वो मुझसे आकर मिले मैं उन्हें ऐसे किसानों से मिलवाऊगा।

इस अवसर पर अपने मुख्य अतिथि भाषण में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने मेधावी छात्र-छात्राओं को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि 20वीं पशुधन गणना (2019) के अनुसार भारत में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन और पक्षीधन की संख्या 851.18 मिलियन है। देश की पशुधन संपदा न केवल संख्यात्मक अपितु आनुवंशिक विविधता की दृष्टि से भी काफी समृद्ध है। भारत, विश्व में गायों एवं भैंसों की आबादी में प्रथम स्थान पर है तथा दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश भी है।

मंत्री जी ने पशु रोगों के उन्मूलन, विभिन्न पशु रोगों से बचाव हेतु प्रभावशाली टीके एवं नैदानिकों के विकास, पशुओं में अनुवांशिक सुधार, पशुपोषण एवं पशुजन्य खाद्य पदार्थों के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन के क्षेत्र में संस्थान द्वारा किये गये कार्यों, पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाले रोगों के महत्व एवं उनकी रोकथाम में आई. वी.आर.आई. द्वारा किये गये शोधों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह संस्थान ब्रूसेला, कोरोना विषाणु, जापानी मष्तिष्क ज्वर रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) जैसी समस्याओं के हल खोजने की दिशा में भी उन्न्त शोध कार्य कर रहा है। इतना ही नहीं, वर्तमान में हो रहे खुरपका मुँहपका, ब्रूसलोसिस, बकरी महामारी, सूकर ज्वर जैसे रोगों की रोकथाम में भी यह संस्थान प्रशंसनीय योगदान प्रदान कर रहा है।

बरेली जनपद के लोकसभा सांसद संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि कृषि विकास के माध्यम से ग्रामीण लोगों की समस्याओं के समाधान के बिना आर्थिक सुधारों के बारे में सोचना मुश्किल है। कृषि एवं पशुपालन सीधे तौर पर हमारी ग्रामीण आबादी की जीवन शैली को प्रभावित करता है। देश में आज फसल उत्पादन में पशुधन, कुक्कुट मत्स्य पालन को समाहित करते हुए कृषि उत्पादन, खाद्य संरक्षण, प्रसंस्करण व वितरण प्रणालियों के विकास एवं प्रसार की आवश्यकता है।

संस्थान के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त ने केन्द्रीय कृषि मंत्री एवं राज्य मंत्री तथा उपस्थित अन्य गणमान्य अतिथियों का स्वागत एवं आभार व्यक्त करते हुए बताया कि वर्तमान दीक्षान्त समारोह में संस्थान द्वारा कुल 942 उपाधियाँ एवं 78 पुरस्कार (349 उपाधियाँ एवं 48 पुरस्कार उपस्थिति में तथा 581अनुपस्थिति में छात्रों को प्रदान किये गये। इसके अतिरिक्त ऑनलाइन ‘वेट क्लीनिक डॉ रूपसी तिवारी, डॉ अनुज चौहान, डॉ उज्जवल डे, डॉ बृजेश कुमार, सुश्री सुविशा सी इसके अतिरिक्त भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ सुदीप मारवाह, संजीव कुमार, समीर श्रीवास्तव, केशव कांत आई.बी.आर. वैक्सीन (डा. प्रवीण कुमार गुप्ता, डा. सचिन एस. पवार, डा. मोहिनी सैनी, डा. विकास आर. प्रस्टी एवं डा. बी.पी. मिश्रा) तथा जे. ई. वैक्सीन (डा. बीना, डा. वी. ममता पाठक, डा. तरणी दास, डा. के.के. रजक, डा. जे बी. दुबल, डा. आर. के. सिंह तथा डा. जी. साईकुमार) द्वारा विकसित 03 प्रौद्योगिकियों का विमोचन भी किया गया।

डा. दत्त ने कहा कि किसानों की आमदनी को दोगुना करने हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2019 में राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम की शुरूआत की. जिसके अन्तर्गत 2025 तक पशुओं में खुरपका मुंहपका तथा ब्रूसेलोसिस रोग का नियंत्रण और 2030 में खुरपका मुंहपका रोग का उन्मूलन तथा पीपीआर एवं सूकर रोगों को नियंत्रण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस कार्यक्रम के अर्न्तगत भारत सरकार द्वारा इस संस्थान को टीको के विकास एवं इनकी गुणवत्ता परीक्षण का एक महत्वपूर्ण कार्य सौंपा है। संस्थान द्वारा विकसित बकरी चेचक, पीपीआर एवं सूकर ज्वर वैक्सीन के निरन्तर उपयोग से देश को 8500 करोड़ रूपये की वार्षिक बचत हो रही है। गतवर्ष संस्थान ने 7 प्रोद्योगिकियों को जारी किया जिसमें लम्पी स्किन रोग एवं डक फ्लेग का टीका मुख्य है। साथ ही संस्थान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को चरणबद्ध एवं समयबद्ध तरीके से लागू करने हेतु प्रतिबद्ध है।
दीक्षांत समारोह में बरेली जनपद के विधायकगण, महापौर बरेली डॉ. उमेश गौतम, अध्यक्ष जिला पंचायत, रश्मि पटेल, आईवीआरआई के प्रबन्धन मण्डल एवं शैक्षणिक परिषद के सदस्यगण क्यूआरटी एवं आरएसी के सदस्य, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, संस्थान के पूर्व निदेशकगण, पशु विज्ञान संस्थानों के निदेशकगण, संस्थान के सभी संयुक्त निदेशक, संकाय सदस्य, सेवानिवृत्त वैज्ञानिक छात्र एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

 

By Anup

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