1990 के बाद पहली बार श्रीनगर के लाल चौक के बीच से मुहर्रम का जुलूस निकला. इस दौरान लाल चौक पर आम लोगों की आवाजाही बंद की गई थी. 1990 के दशक में हिंसा के चलते इस रूट से मुहर्रम का जुलूस निकालने पर पाबंदी लगा दी गई थी. जम्मू कश्मीर में 1990 के बाद पहली बार शिया मुसलमानों का मुहर्रम जुलूस श्रीनगर के लाल चौक और आसपास के इलाकों से निकला. गुरुवार को हजारों शिया मुसलमान इस जुलूस में शामिल हुए. दरअसल 1990 में जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत के साथ ही श्रीनगर के लाल चौक और आसपास के इलाकों में मुहर्रम के जुलूस निकालने पर प्रतिबंध लगाया गया था.
उपराज्यपाल ने दी अनुमति
यह प्रतिबंध कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार ने लगाया था लेकिन अबकी बार शिया धार्मिक गुरु ने जम्मू कश्मीर प्रशासन को मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति मांगी थी. इसके बाद जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शिया मुसलमानों को लाल चौक के बीच से मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति दी.श्रीनगर शहर के लाल चौक इलाके के आसपास भी कई सारे शिया मुसलमान रहते हैं.
33 साल बाद मिली इजाज़त
बीते तीन दशकों से वह सरकार की तरफ से उनके जुलूस ना निकाले दिए जाने पर काफी नाखुश थे, लेकिन 33 साल बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने उनकी इस मांग को माना और मुहर्रम जुलूस के लिए लाल चौक के आसपास व्यापक इंतजाम किए गए. यहां तक की इस मुहर्रम जुलूस में शिया मुसलमानों का साथ देने के लिए श्रीनगर के मेयर जुनैद मट्टू के साथ-साथ श्रीनगर के जिला मजिस्ट्रेट मोहम्मद एजाज भी इसमें शामिल हुए.
सैकड़ों लोग हुए शामिल
1990 से पहले भी मोहर्रम के दिन श्रीनगर के लाल चौक से इसी तरह मुसलमानों का जुलूस निकाला जाता था. 33 साल बाद शिया मुसलमानों की इस मुराद को पूरा करने के लिए श्रीनगर के लाल चौक में आम लोगों की आवाजाही बंद कर दी गई थी. लाल चौक से निकलने वाले मुहर्रम के इस जुलूस में कई ऐसे लोग भी थे जिन्होंने अपनी जिंदगी में पहली बार श्रीनगर के दिल कहलाने वाले लाल चौक में हुए इस मोहर्रम जुलूस में भाग लिया. इससे कहीं न कहीं सरकार का यह दावा भी सही साबित हुआ कि कश्मीर बदल रहा है.