Life in the best 7 smart cities of World: अच्छी लाइफस्टाइल, मॉडर्न सुविधाएं, ऑटोमेटिक ट्रांसपोर्टेशन, डिजिटल कनेक्टिविटी और बेहतर टेक्नोलॉजी पर आधारित सुविधाएं… स्मार्ट सिटी का नाम सुनकर आपके दिमाग में यही बातें आती है| आखिर एक शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए टाउन प्लानर्स क्या-क्या करते हैं, किन सुविधाओं के विकास के साथ कोई शहर स्मार्ट सिटी में बदलता है| दुनिया के सबसे बेस्ट स्मार्ट सिटीज में लोगों की लाइफ में कौन सी नई सुविधाएं आई है| 

जितनी तेजी से दुनिया की आबादी बढ़ रही है उतनी ही तेजी से लोगों की लाइफस्टाइल भी बदलती जा रही है| यूएन के एक अनुमान के मुताबिक अगले कुछ दशकों में दुनिया की 70 फीसदी आबादी शहरी इलाकों में रह रही होगी| यानी कि उसी हिसाब से सभी देशों को सुविधाएं भी विकसित करनी होगी| लेकिन अभी तस्वीर एकदम अलग है|दुनिया के कुछ शहर जनसंख्या विस्फोट से जूझ रहे है| और तंगहाली और बदहाली का नमूना पेश कर रहे हैं तो कुछ देश स्मार्ट टेक्नोलॉजी को अपनाकर तेजी से अपने शहरों को स्मार्ट सिटीज में भी बदलते जा रहे है|

भारत में भी विकास योजनाओं पर करोड़ों-अरबों रुपये के आवंटन के साथ स्मार्ट सिटीज की खूब चर्चा होती है| कई दर्जन स्मार्ट सिटीज पर काम भी चल रहा है और कई शहरों में जीवनशैली तेजी से बदल भी रही है| लेकिन क्या हमारे स्मार्ट सिटीज वर्ल्ड लेवल के स्मार्ट सिटीज की तरह डेवलप हो रहे है| आखिर एक स्मार्ट सिटी में किस तरह की स्मार्ट लाइफस्टाइल होती है| किन पैरामीटर्स पर किसी शहर को स्मार्ट सिटी कहा जाना चाहिए| और भारत जैसे विकासशील देशों को अपने शहरों को विश्व स्तर की लाइफस्टाइल देने के लिए अभी कितनी मेहनत करनी होगी| ये सब सवाल आज हमारे टाउन प्लानर्स के सामने है|

स्मार्ट सिटी को क्या बनाता है स्मार्ट

वर्ल्ड अर्बन फोरम के आंकड़े के अनुसार दुनियाभर में वैसे तो 10 हजार शहर है| लेकिन स्मार्ट कहे जाने वाले शहर इक्का-दुक्का है| यहां सवाल उठता है कि आखिर ऐसी कौन सी खूबियां हैं जो एक शहर को स्मार्ट बनाती है| दरअसल किसी शहर को ‘स्मार्ट’ बनाने के लिए कई पैरामीटर्स है| जैसे- बुनियादी ढांचा यानी इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल कनेक्शन, पर्यावरण और विकास का बैलेंस, शिक्षा-चिकित्सा और ग्रीन एनर्जी स्रोतों के पर्याप्त संसाधनों का होना, मॉडर्न ट्रांसपोर्टेशन आदि|

एक स्मार्ट सिटी में लोगों के डेटा के आधार पर प्लानिंग होती है| सिविल वेलफेयर और सरकारी सेवाओं में उन डेटा के आधार पर सर्विसेज बेहतर बनाने की प्लानिंग होती है और सबसे अहम होता है लोगों का डिजिटल डेटा जिससे न सिर्फ पहचान पुख्ता होती है| बल्कि वेलफेयर स्कीम्स का लाभ भी सही लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलती है|

हमें स्मार्ट शहरों की जरूरत क्यों है

यूएन की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया की आबादी और रहन-सहन में बड़े बदलाव आने वाले है| शहरीकरण, औद्योगिकरण और ग्रामीण इलाकों से पलायन के कारण साल 2050 तक70 फीसदी आबादी शहरी इलाकों में रह रही होगी| यानी अगले तीन दशकों में शहरी आबादी में ढाई अरब लोगों का इजाफा हो जाएगा| इतनी बड़ी आबादी के लिए खाना, सस्ते घर, सड़क, शिक्षा, चिकित्सा, बिजली, कूकिंग गैस, ट्रांसपोर्टेशन जैसी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराना होगा और इतने बड़े पैमाने पर और वो भी अरबों लोगों के लिए इतना कुछ जुटा पाना टेक्नोलॉजी के बिना संभव भी नहीं है| इसी कारण दुनिया भर के देश स्मार्ट शहरों के कॉन्सेप्ट पर काम कर रहे है|

स्मार्ट सिटीज में लाइफस्टाइल कितनी स्मार्ट

दरअसल, कोई भी शहर स्मार्ट तब बनता है जब वह अपने रोज के काम में टेक्नोलॉजी को तेजी से अपनाने लगता है| सिंगापुर की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी और डिजाइनइकोनॉमिक, टेक्नोलॉजी एडॉप्शन और नागरिकों की जीवनशैली के आधार पर दुनियाभर के शहरों को आंकती है| कि कौन कितना स्मार्ट शहर बन सका है| सिंगापुर, ओस्लो,हेलसिंकी और ज्यूरिख जैसे शहर दुनिया के बेस्ट स्मार्ट सिटीज की लिस्ट में टॉप रैंक में आते है| आखिर वहां की लाइफस्टाइल में ऐसे क्या बदलाव आए कि ये शहर अपने लोगों को स्मार्ट लाइफस्टाइल देने में कामयाब हो गए| आखिर वहां कैसे काम होता है और फ्यूचर की किन प्लानिंग्स पर ये शहर काम कर रहे है|

1. स्मार्ट सुविधाओं से लैस होता एम्सटर्डम शहर

समंदर से जमीन छीनकर अपनी आबादी को बसाने के लिए मशहूर नीदरलैंड देश की राजधानी की कहानी भी काफी अलग है| हम बात कर रहे हैं एस्मटर्डम शहर की| इस शहर मेंसाल 2009 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट शुरू हुआ था जिसमें शहर की 170 सुविधाओं को एक साथ जोड़कर स्मार्ट बनाने की पहल की गई थी| तकनीकी इनोवेशन को हर काम शामिल किया गया ताकि लोगों की जिंदगी आसान हो और हर सुविधा तक उसकी पहुंच घर बैठे हो|

इसके लिए इलेक्ट्रिक गार्बेज ट्रकों का इस्तेमाल शुरू हुआ| सोलर पावर से संचालित सुविधाओं वाले बस स्टॉप बनाए गए और बिलबोर्ड्स-लाइट्स लगाई गईं| जगह की कमी से निपटने के लिए पानी के अंदर फ्लोटिंग विलेज बसाए गए| यानी नावों पर घर बनाकर परिवारों को बसाया गया| सोलर एनर्जी से बिजनेस फर्म्स की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जाने लगा| सड़कों पर ऑटोमेटिक लाइट्स लगाए गए| साथ ही, ऊर्जा बचत के लिए अल्ट्रा-लो एनर्जी एलईडी लाइट्स के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया|

2. स्मार्ट सिटी के साथ-साथ लोगों को स्मार्ट बनाने की सियोल की मुहिम

तकनीक को अपनाने में सबसे आगे रहने वाले दुनिया के शहरों में गिने जाने वाले साउथ कोरिया के शहर सियोल की कहानी कुछ अलग ही है| शहर को स्मार्ट बनाने के लिए सियोल शहर ने डिजिटल डेटा का सबसे बेहतरीन इस्तेमाल किया है| ट्रैफिक फ्लो और ट्रैफिक की स्पीड का डेटा जुटाकर ऑटोमेटिक कंट्रोल सिग्नलिंग लगाए गए हर इलाके में सीसीटीवी के जरिए ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को रोकने के लिए निगरानी बढ़ाई गई| इससे ट्रैफिक कंट्रोल का खर्च कम हुआ साथ ही रोड सेफ्टी बढ़ाने मदद मिली|

एयर क्वालिटी मापने के लिए सेंसर्स का इस्तेमाल किया गया जिससे लोगों तक भी ऑटोमेटिक सूचना पहुंचाई जाने लगी| ताकि लोग प्रदूषण बढ़ने की स्थिति में खुद से आगे आकर ग्रीन एनर्जी वाले उपाय अपना सकें साथ ही अपने हेल्थ को लेकर अलर्ट हो सके| सबके पास तकनीक के इस्तेमाल की सुविधा हो इसके लिए लोगों को मोबाइल फोन डोनेशन कैंपेन में आगे आकर योगदान देने की अपील की गई| अपने मोबाइल दान करने वालों को नए मोबाइल फोन खरीदने पर छूट का भी उपाय किया गया| इससे अचानक बहुत आबादी के पास मोबाइल फोन की सुविधा आ गई| जिससे सूचना, शिक्षा और बाकी सुविधाओं की सूचना बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलने लगी|

बुजुर्ग लोगों की सिक्योरिटी सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मोबाइल ऐप से जोड़ा गया और रेगुलर उनकी मॉनिटरिंग की जाने लगी| उन्हें हेल्थ सुविधाएं घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई और तमाम हेल्थ पैरामीटर्स की निगरानी मोबाइल फोन के जरिए की जाने लगी| इमरजेंसी में कहां से तुरंत मदद मिलेगी इसकी व्यवस्था मोबाइल ऐप के जरिए की गई| यहां तक कि क्राइम कंट्रोल के लिए भी सियोल शहर की पुलिस एआई बेस्ड तकनीक का सहारा लेती है| ताकि संभाविक क्राइम मॉड्यूल की मॉनिटरिंग की जा सकें| ऐसे लक्षणों की पहचान की जा सके| क्राइट पैटर्न को समय रहते पकड़ा जा सके| मोबिलिटी और ट्रांसपोर्टेशन में 5जी तकनीक का इस्तेमाल करने वाले शहरों में सियोल शहरों का स्थान दुनिया में सबसे आगे माना जाता है|

3. स्मार्ट उपायों से सिंगापुर की लाइफस्टाइल बदलने की कहानी 

सिंगापुर ने अपने शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए साल 2014 में बड़े प्लान को लागू करना शुरू किया था| इसके लिए पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में टेक्नोलॉजी को अपनाने पर जोर दिया गया| शहरों में हर जगह कॉन्टैक्टलेस पेमेंट सिस्टम को अपनाया गया| सबसे पहले सिंगापुर के ट्रांसपोर्ट सिस्टम इस्तेमाल करने वाले 75 लाख लोगों के लिए इसे लागू किया गया| बुजुर्ग होती आबादी की जिंदगी आसान बनाने के लिए डिजिटल हेल्थ सिस्टम की शुरुआत की गई| डॉक्टरों के वीडियो कंस्लटेशन की सुविधा उन्हें मुहैया कराई गई ताकि घर बैठे टेक्नोलॉजी की मदद से लोग हेल्थ की सुविधाएं ले सकें|

मरीजों की हेल्थ की निगरानी आसान हो इसके लिए डिवाइसेज और इंटरनेट की सुविधाएं सस्ती की गई| सिंगापुर ने साल 2021 में नए इको-स्मार्ट सिटी का ऐलान किया जिसे पूरी तरह से गाड़ियों से मुक्त रखना था| जहां ट्रांसपोर्ट सिस्टम केवल सार्वजनिक होगी और ग्रीन टेक्नोलॉजी पर आधारित रखने का प्लान बना| सिंगापुर के पश्चिमी इलाके में फॉरेस्ट सिटी में 42 हजार लोगों को बसाने का प्लान बना| जिसमें न केवल आधुनिक तकनीक से सारे काम होने थे| बल्कि पर्यावरण का भी पूरा बैलेंस रहे| यहां पैदल चलने वालों और साइकिल का इस्तेमाल करने वालों के लिए खास तौर से सुविधाएं विकसित की गई|

4. हैपीनेस इंडेक्स में टॉप रहने वाले शहर हेलसिंकी का सीक्रेट

वर्ल्ड हैपीनेस इंडेक्स में दुनिया में टॉप पर रहने वाले देश फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी शहर ने स्मार्ट सिटी बनने के लिए बड़े टारगेट सेट किए| इस शहर ने साल 2035 तक जीरो कार्बन टारगेट हासिल करने का लक्ष्य रखा| यहां तक कि अगले 12 साल में ट्रैफिक एमिशन भी घटाकर 69 फीसदी करने के लक्ष्य पर इस शहर में काम हो रहा है| शहर के सारे बस सिस्टम को इलेक्ट्रिक बस फ्लीट में बदला गया| इलेक्ट्रिक कार चार्जिंग स्टेशन हर जगह लगाने का काम शुरू हुआ| मेट्रो सिस्टम डेवलप कर तेजी से शहर का ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम बदला गया| रिहाइशी इमारतों में एनर्जी के ग्रीन सोर्स का इस्तेमाल बढ़ाना और मकानों के निर्माण में नई नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अपनाने पर जोर दिया गया|

बुजुर्गों को पेंशन, घर आकर हेल्थ चेकअप और आधुनिक हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम के जरिए नागरिकों का जीवन आसान बनाने जैसे कदम उठाए गए| यह शहर बहुत तेजी से खुद को बदल रहा है| इसीलिए यहां की लाइफस्टाइल को दुनिया में सबसे संतुलित लाइफस्टाइल कहा गया है और बेहतर सुविधाओं के कारण ही दुनिया भर के लोग स्कैंडिनेविया के इस शहर में आकर बसना चाहते है|

5. ज़्यूरिख की सेंसर टेक्नोलॉजी और स्मार्ट बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम

स्विट्ज़रलैंड के ज़्यूरिख शहर की कहानी स्मार्ट सुविधाओं की एक मिसाल है|जीवन की गुणवत्ता के मामले में यह शहर दुनिया भर में चौथे स्थान पर है| कचरे की रिसाइक्लिंग, ग्रीन एनर्जी, डिजिटल सिक्योरिटी, बेहतर हेल्थ फैसिलिटीज, आधुनिक शिक्षा सुविधाओं के जरिए आम शहरी की जिंदगी आसान करने और डिजिटल डिवाइड कम कम करने पर फोकस करके इस शहर ने अपने सिस्टम को दुनिया के बाकी शहरों से अलग विकसित किया है|

शहर में सड़कों की लाइटिंग को स्मार्ट बनाने के लिए इस शहर में विशेष योजना शुरू की गई| शहर की सभी सड़कों को सेंसर से चलने वाली स्ट्रीटलाइट्स से लैस किया|जो ट्रैफिक के मुताबिक ऑटोमेटिक जलती-बुझती थी  इससे एक तरफ तो हैवी ट्रैफिक में पूरी रोशनी और कम ट्रैफिक में जरूरत के मुताबिक डिम लाइट सप्लाई शुरू हुई |साथ ही शहर में पहले की तुलना में एनर्जी सेविंग 70 फीसदी तक करने में सफलता मिली| ट्रैफिक मूवमेंट को मेजर करने और उन्हें गाइड करने के लिए सेंसर टेक्नोलॉजी का बेहतरीन इस्तेमाल किया गया और पब्लिक वाईफाई एंटीना लगाए गए| रिहाइशी इलाकों में तकनीकी सुविधाओं के लिए स्मार्ट बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम टेक्नोलॉजी का बेहतरीन इस्तेमाल किया गया और पब्लिक वाईफाई एंटीना लगाए गए| रिहाइशी इलाकों में तकनीकी सुविधाओं के लिए स्मार्ट बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टमअपनाया गया| जिसमें एंट्री-एग्जिट कंट्रोल, सिक्योरिटी मॉनिटरिंग, बिजली सप्लाई, पानी, सफाई, कचरा निस्तारण आदि बुनियादी सुविधाओं के स्मार्ट मैनेजमेंट का स्मार्ट बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम अपनाया गया| जिसमें एंट्री-एग्जिट कंट्रोल, सिक्योरिटी मॉनिटरिंग, बिजली सप्लाई, पानी, सफाई, कचरा निस्तारण आदि बुनियाद सुविधाओं के स्मार्ट मैनेजमेंट का सिस्टम विकसित किया गया|

6. इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तकनीक को अपनाता शहर ओस्लो

6 लाख 70 हजार की आबादी वाला ये शहर दुनिया के सबसे मॉडर्न शहरों में एक ऐसे ही नहीं गिना जाता| यहां की सड़कों से लेकर हर इलाके में स्मार्ट सुविधाओं की झलक दिख जाती है| स्कैंडिनेवियन देश नॉर्वे के ओस्लो शहर को इलेक्ट्रिक कारों का शहर कहा जाए| तो गलत नहीं होगा| शहर की अधिकांश गाड़ियां इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बदल चुकी हैं और अगले दो साल में इस शहर ने सभी गाड़ियों को इलेक्ट्रिक व्हिकल में बदलने का टारगेट सेट किया है|

प्रदूषण नहीं फैलाने वाली गाड़ियों के लिए शहर प्रशासन की ओर से कई सुविधाओं का ऐलान किया गया है |जैसे- फ्री पार्किंग, जगह-जगह चार्जिंग स्टेशन, बस लेन के इस्तेमाल का अधिकार, कम रोड टैक्स और टोल टैक्स में भी छूट आदि| अगले 25 साल में इस शहर ने कार्बन उत्सर्जन पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है| साथ ही इमारतों में आधुनिक वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम और ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल बढ़ाने के उपाय भी किए गए है|

7. अब कहानी दुनिया के सबसे अमीर और सबसे मॉडर्न शहर न्यूयॉर्क की

अमेरिका का न्यूयॉर्क शहर न सिर्फ दुनिया का सबसे अमीर शहर है बल्कि यह दुनिया का सबसे मॉडर्न शहर भी है| आखिर इस शहर की क्या खासियत है जो इसकी लाइफस्टाइल को दुनिया के बाकी जगहों के लोगों के लिए सपना बनाती है| स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर यहां काम शुरू हुआ तो शहर की तमाम सड़कों पर सैंकड़ों सेंसर युक्त सुविधाओं की और तकनीक का इस्तेमाल शुरू हुआ| कचरा जुटाने और उनकी रिसाइक्लिंग के लिए डेटा कलेक्शन और फिर उनके मैनेजमेंट का सिस्टम बनाया गया जिससे शहर साफ-सुथरे हुए|

इसके अलावा कॉन्टैक्टलेस टेक्नोलॉजी के लिए स्मार्ट हब बनाए गए| वाईफाई सुविधाएं, फोन बूथ्स की जगह ऑनलाइन चार्जिंग स्टेशन खोले गए| कार शेयरिंग सुविधाएं शुरू की गईं जिससे लोगों को सस्ता ट्रांसपोर्टेशन तो मिला ही साथ ही ट्रैफिक कंट्रोल और कार्बन उत्सर्जन घटाने में भी शहर को मदद मिली|क्योंकि गाड़ियों के इस्तेमाल की संख्या घट गई| लोग शहरी मैनेजमेंट को लेकर क्रिएटिव आइडिया लेकर आएं इसके लिए ऐप और डेटा पर हर साल कंटेस्ट कराए जाते हैं |जिससे लोग खुद इन कामों में हिस्सा लेते है|

तेजी से बदल रही इन स्मार्ट सिटीज के साथ-साथ दुनिया के कई देश अलग-अलग इनोवेटिव सिटी सिस्टम पर भी काम कर रहे है| जैसे मैक्सिको की स्मार्ट फॉरेस्ट सिटी, जापान की अंडरवॉटर सिटी, मालदीव की फ्लोटिंग सिटी. इन शहरों को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है| कि यहां रहने वालों को नेचुरल लाइफ और मॉडर्निटी का मजा एक साथ मिले| ट्रांसपोर्टेशन ऐसी हो कि जैसी हम सिर्फ फिल्मों में ही देख पाते है| इसके साथ ही शहर में एनर्जी फ्लो को मॉनिटर करने की आधुनिक सुविधा भी होता कि हेल्थ और ऊर्जा संरक्षण के लिहाज से फायदेमंद हो और सिटी प्रबंधन का काम भी तकनीक के सहारे से आसानी से किया जा सके|