लखनऊ के अकबर नगर में रह रहे हजारों लोगों पर उनके ही घरौंदे छिनने का खतरा मंडरा रहा है| दरअसल एलडीए ने इस कालोनी और यहां बने मकान-दुकानों को अवैध बताया है| वहीं यहां पर रहने वाले लोगों और प्रशासन के बीच जंग छिड़ी हुई है| गुरुवार को अकबर नगर में फिर से सरकारी अमला जेसीबी और बुलडोजर लेकर पहुंचा था| करीब 7 घंटे तक यहां मौजूद व्यापारी और सरकारी अमले के बीच कशाकशी चलती रही| आखिर में हाई कोर्ट ने इस मामले में फिलहाल स्टे लगा दिया है|
हाई कोर्ट के स्टे के बाद अकबर नगर में रहने वाले लोगों को फौरी राहत मिली तो मिली है लेकिन, सवाल अब भी बरकरार है कि यह राहत आखिरी इन लोगों को कब तक बचा सकेगी| यहां के लोग सरकार से भी सवाल पूछ रहे हैं कि जब ये लोग यहां पर एक-एक करके अपने घर बना रहे थे उस वक्त एलडीए को क्यों याद नहीं आया कि यह कालोनी अवैध है| अब अचानक से इन्हें क्यों सब वैध-अवैध समझ आ रहा है|
पिछले पचास सालों में अकबर नगर में 1400 मकान और सौ से ज़्ज्यादा दुकानें बनने के बाद एल डी ए को याद आया है कि ये अकबर नगर तो कुकरेल नदी पर बना अवैध मोहल्ला है| इसे हटाना होगा| इसी मुद्दे पर अकबरनगर में गुरुवार को सरकारी अमले और लोगों के बीच सात घंटे तक मकान तोड़ने और बचाने की जंग चली| अफसर सुबह आठ बजे ही फोर्स और बुलडोजर लेकर पहुंच गए| हाई कोर्ट का फैसला आने तक घरों के बिजली-पानी के कनेक्शन भी काट दिए गए| अयोध्या रोड पर ताज फर्नीचर, सम्राट समेत करीब दो दर्जन शोरूम के अतिक्रमण ध्वस्त कर दिए गए|
इसी बीच कुछ लोग सामान समेटकर अकबरनगर छोड़ कर चले गए, वहीं बाकी लोग कार्रवाई के विरोध में डटे रहे| दोपहर करीब तीन बजे हाई कोर्ट से स्टे मिलने का पता चला तो लोगों ने सड़कों पर उतरकर जश्न मनाया| लेकिन ये जश्न कब तक मनेगा और यहां के लोग कब तक कोर्ट के भरोसे रहेंगे| कुछ लोगों को तो पीएम आवास योजना के तहत आवास मिल गया है| ज्यादातर लोग अभी भी भाग्य भरोसे है| घर बनवाने से लेकर बिजली कनेक्शन लेने तक किसी को वैध-अवैध का ख्याल नही आया|
रमा देवी कहती हैं कि वह शादी के बाद यहीं आई थीं, यहीं पर उनके दो-दो बच्चे हुए और अब सरकार कह रही है कि वह लोग अवैध तरीके से रह रहे है| कुछ इसी तरह की बात यहां रहने वाली पूनम ने भी कही, वहीं अकलाख और गोपाल भी पूछ रहे हैं कि परिवार लेकर कहां जाए| अकबर नगर में 111 दुकानें और शोरूम है| अफसरों ने पहले शोरूम ढहाने के निर्देश दिए, लेकिन बुलडोजर बढ़ते ही व्यापारी नेता मौके पर पहुंचने लगे|
फर्नीचर की दुकान चलाने वाले असलम कहते हैं कि जब नाले की दुर्गन्ध आती थी, जब बाढ़ की विभीषिका हमने झेली तब कोई पूछने नहीं आया कि आप लोगों को क्या दिक्कत है| लेकिन जब बस्ती बस गई तब उजाड़ने चले आए| विनोद की परचून की दुकान है वो बताते हैं कि हमारे व्यापारी नेता संजय गुप्ता की मांग पर एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी ने दुकान में रखा सामान निकालने के लिए कुछ वक्त दिया है| बस्ती में इन दिनों कई नेता चक्कर लगा रहे है|