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अनियमित पीरिएड, पेट में दर्द हो सकता है टीबी का संकेत

अनियमित पीरिएड, पेट में दर्द हो सकता है टीबी का संकेत

• समय से गर्भधारण न कर पाने का प्रमुख कारण है गर्भाशय की टीबी
• जिला महिला अस्पताल में हर सौ में से 10 महिलाएं आ रही इस समस्या की

बरेली, 21 मार्च। क्षय रोग बाल और नाखून के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। गर्भाशय में यह रोग होने पर महिलाओं के बांझ होने तक का खतरा रहता है। लिहाजा अगर पेट के निचले हिस्से में गंभीर दर्द, अनियमित मासिक धर्म, योनि से स्त्राव हो तो फौरन अलर्ट हो जाएं और स़्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाएं। इसके जांच और इलाज की सुविधा सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध है।

जिला महिला अस्पताल की कार्यवाहक अधीक्षिका ‌और स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. पुष्पलता ने बताया कि अस्पताल में 100 में से 30 महिलाएं शादी के बाद या दूसरे बच्चे में यह समस्या बताती हैं कि वह गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं। गर्भधारण न कर पाने के बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन 30 में से 10 महिलाएं गर्भाशय में टीबी होने के कारण गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। शादी के क‌ई सालों बाद भी मां न बन पाने के दुख में महिलाएं इलाज पर लाखों रुपए खर्च कर देती हैं लेकिन उन्हें अपने बांझपन के कारण का पता नहीं चल पाता है। गर्भाशय में होने वाली टीबी भी बांझपन की प्रमुख समस्या हो सकती है। इसका इलाज हो जाने पर कोई भी महिला मां बन सकती है। उन्होंने कहा कि संक्रमित महिला इलाज पूरा करे, बीच में न छोड़े। इलाज पूरा नहीं करने पर अन्य संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।

जिला महिला अस्पताल की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. शैव्या के अनुसार जब महिलाएं गर्भधारण न कर पाने की समस्या लेकर आती हैं तो स्पूटम टेस्ट और सीबीनाट टेस्ट कराया जाता है जिसमें टीबी होने का पता चल जाता है। पुष्टि होने पर टीबी की दवा खाने की सलाह दी जाती है। गर्भाशय में होने वाली टीबी को जेनाइटल या पेल्विक टीबी भी कहते हैं।

उन्होंने बताया कि फैलोपियन ट्यूब में टीबी के बैक्टीरिया होने से वह ब्लॉक हो जाती है। इसके अलावा महिला के गर्भाशय में एंडोमेट्रियल बायोप्सी और लैप्रोस्कोपी का उपयोग गर्भाशय में होने वाली समस्या को जांचने के लिए किया जाता है। अगर समय रहते गर्भाशय में होने वाली टीबी का इलाज करा लिया जाए तो महिलाओं में इस कारण से होने वाली बांझपन की समस्या को दूर किया जा सकता है। डॉ.शैव्या ने बताया कि जिन महिलाओं की टीबी की दवा शुरू की गई हो उन्हें दवा चलने के दौरान गर्भधारण से बचना चाहिए। दवा के दौरान गर्भधारण करने से बच्चे में कई विकृति हो सकती है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. के सी जोशी ने बताया कि टीबी के इलाज के लिए चार प्रकार की दवाएं दी जाती हैं। ये सभी दवाएँ गर्भावस्था में देना सुरक्षित है जो छह महीने तक चलती हैं। जैसे ही जांच के बाद पता चले कि टीबी है तो डॉक्टर की सलाह से इन दवाओं को शुरू कर देना चाहिए।
लाभार्थी —
फतेहगंज निवासी सुमन (बदला हुआ नाम)( 30) ने बताया कि शादी को 5 साल हो गए थे लेकिन वह गर्भ नहीं ठहर रहा था। बहुत सारे डॉक्टरों को दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ करें 2 साल पहले महिला जिला अस्पताल में डॉक्टर की सलाह पर टीबी सहित कई जांच कराई तो पता चला कि मुझे टीबी हुई है। डॉक्टर ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है 6 माह के इलाज के बाद आप पूरी तरीके से ठीक हो जाएंगी। दवा पूरी होने के 3 महीने बाद ही हमारा गर्भ ठहर गया और हमने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है।
– पुराने रोडवेज निवासी शाजिया(बदला हुआ नाम)( 32) ने बताया कि उनके शादी के 1 साल बाद एक बच्चे को जन्म दिया था जब वह 2 साल का हो गया फिर उन्होंने गर्भधारण करना चाहा तो वह गर्भवती नहीं हो पा रही थी। जिला अस्पताल में दिखाने के बाद जांच में पता चला कि उन्हें गर्भाशय की टीबी हो गई है। जांच के बाद उन्होंने तुरंत ही दवा शुरू कर दी और दवा खत्म होने के 2 महीने बाद ही उन्होंने गर्भ धारण कर लिया था।

इन बातों का रखें ध्यान

• अपने कमरे में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें
• कमरे में रोशनी और शु़द्ध हवा का ध्यान रखें
• खानपान शुद्ध व पौष्टिक आहार का सेवन करें