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‘लड़कियां यौन इच्छाओं को कंट्रोल रखें,’ कलकत्ता HC की टिप्पणी के खिलाफ बंगाल सरकार ने SC में दाखिल की याचिका

कलकत्ता हाईकोर्ट की नाबालिग लड़कियों पर की गई टिप्पणी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सुनवाई की है| इस दौरान बंगाल सरकार ने बताया कि उसने HC के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल कर दी है| सुप्रीम कोर्ट ने इसे मामले को CJI के पास भेज दिया है| अब CJI तय करेंगे कि कौन-सी बेंच मामले में सुनवाई करेगी| इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजों को अपनी निजी राय नहीं व्यक्त करना चाहिए|

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर एक बार फिर सुनवाई की| इस दौरान पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमने मामले में फैसले के खिलाफ अपील दाखिल कर दी है| अब इस मामले में चीफ जस्टिस तय करेंगे कि मामले की अगली सुनवाई कौन सी बेंच करेगी| कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने अक्टूबर में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था, ‘नाबालिग लड़कियों को दो मिनट के मजे की जगह अपनी यौन इच्छाओं पर कंट्रोल रखना चाहिए और नाबालिग लड़कों को युवा लड़कियों और महिलाओं और उनकी गरिमा का सम्मान करना चाहिए| इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और सुनवाई शुरू की| दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जजों को अपनी निजी राय व्यक्त नहीं करना चाहिए| ऐसा आदेश किशोर वय अधिकारों का हनन है| सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, दोषियों को बरी करना भी पहली निगाह में उचित नहीं जान पड़ता है|

सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को जस्टिस अभय एस ओक की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले में सुनवाई की| इस दौरान पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमने मामले में अपील दाखिल कर दी है| पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील से इस मामले में अपील दाखिल करने को लेकर उनका रुख पूछा था| पश्चिम बंगाल सरकार ने बताया कि उसने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी है| जस्टिस अभय एस ओक की अध्यक्षता वाली बेंच ने फिलहाल मामले को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के पास भेजते हुए कहा, अब CJI तय करेंगे कि मामले की अगली सुनवाई कौन सी बेंच करेगी|

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले में की गई टिप्पणियों पर नाराजगी जाहिर की थी और कहा था, ये टिप्पणी बेहद आपत्तिजनक और गैर जरूरी है| ये आर्टिकल 21 के तहत मूल अधिकारों का हनन है| अदालतों को किसी मामले में फैसला देते वक्त अपनी निजी राय उपदेश देने से बचना चाहिए| कोर्ट ने वकील माधवी दीवान को एमिकस क्यूरी नियुक्त करते हुए राज्य सरकार से पूछा था कि क्या वो हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करना चाहती है|