Chandrayaan-3 अगर चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ नहीं पाएगा तो वह करीब 10 दिन बाद वापस 236 किलोमीटर वाली पेरीजी में वापस आ जाएगा. फिलहाल चंद्रयान 38,520 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चंद्रमा की तरफ जा रहा है. चांद की ओर जाने वाले हाइवे पर डालने के लिए 179 किलोग्राम फ्यूल का इस्तेमाल हुआ है.
चंद्रयान-3 इस समय चांद के हाइवे पर है. 1 अगस्त 2023 की मध्य रात्रि 12:03 से 12:23 बजे के बीच इसे ट्रांस लूनर ट्रैजेक्टरी पर डाला गया. प्रोपल्शन मॉड्यूल के इंजनों को करीब 20 मिनट तक ऑन किया गया. इसमें 179 किलोग्राम फ्यूल खर्च हुआ है.
अब तक धरती के पांचों ऑर्बिट मैन्यूवर में करीब 500-600 किलोग्राम फ्यूल खर्च हुआ है. जबकि लॉन्च के समय प्रोपल्शन मॉड्यूल में करीब 1696.39 किलोग्रामकिलोग्राम फ्यूल भरा गया था. यानी अभी करीब 1100-1200 किलोग्राम फ्यूल बचा हुआ है. चंद्रयान-3 इस हाइवे पर पांच अगस्त तक यात्रा करेगा.
पांच अगस्त की शाम करीब सात बजे से साढ़े सात बजे के बीच इसे चंद्रमा के पहले ऑर्बिट में डाला जाएगा. चांद की सतह से इस ऑर्बिट की दूरी करीब 11 हजार किलोमीटर के आसपास होगी. चंद्रमा के चारों तरफ पांच बार ऑर्बिट मैन्यूवर करके इसके ऑर्बिट को कम किया जाएगा. कम करके उसे 100 किलोमीटर के ऑर्बिट पर पर लाया जाएगा.
17 अगस्त को अलग होंगे प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल
100 किलोमीटर का ऑर्बिट 17 अगस्त को अचीव होगा. उसी दिन प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे. 18 और 20 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल की डीऑर्बिटिंग होगी. यानी चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल धीमे-धीमे चंद्रमा के 100×30 किलोमीटर के ऑर्बिट में जाएगा. इसके बाद 23 अगस्त की शाम करीब पौने छह बजे लैंडिंग होग.
चांद की ग्रैविटी नहीं मिली तो चंद्रयान-3 वापस आएगा
इसरो सूत्रों ने बताया कि चंद्रयान-3 इस समय 38,520 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चांद की ओर जा रहा है. ISRO के वैज्ञानिक अब हर दिन इसकी गति थोड़ी-थोड़ी धीमी करेंगे. क्योंकि जिस समय यह चांद के नजदीक पहुंचेगा. यानी उसकी सतह से करीब 11 हजार किलोमीटर दूर, वहां पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण जीरो होगा .इसे L1 प्वाइंट कहते हैं.
चंद्रमा की ग्रैविटी पृथ्वी की ग्रैविटी से 6 गुना कम है. इसलिए चंद्रयान-3 की गति भी कम करनी पड़ेगी. नहीं तो वह चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ नहीं पाएगा. घबराने की जरुरत नहीं है. अगर ऐसा होता है तो चंद्रयान 3.69 लाख किलोमीटर से वापस धरती की पांचवी ऑर्बिट के पेरीजी यानी 236 किलोमीटर में 230 घंटे में आ जाएगा. यानी करीब 10 दिन बाद.
गति 38,520 से कम करके 3600 किलोमीटर करनी होगी
5 अगस्त से लेकर 23 अगस्त तक चंद्रयान-3 की गति को लगातार कम किया जाएगा. चंद्रमा की ग्रैविटी के हिसाब से फिलहाल चंद्रयान-3 की गति बहुत ज्यादा है. इसे कम करके 1 किलोमीटर प्रति सेकेंड पर लाना होगा. यानी 3600 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार. इस गति पर ही चंद्रयान-3 चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ेगा. फिर धीरे-धीरे उसके दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराया जाएगा.
घुमाया जाएगा प्रोपल्शन मॉड्यूल का मुंह
अभी तक चंद्रयान-3 के इंटिग्रेटेड मॉड्यूल का मुंह चांद की ओर था. जल्द ही इसे घुमाया जाएगा. ताकि डीऑर्बिटिंग या डीबूस्टिंग करते समय चंद्रयान-3 को दिक्कत न हो. डीऑर्बिटिंग यानी जिस दिशा में चंद्रयान-3 चक्कर लगा रहा था, उसके विपरीत दिशा में घूमना. डीबूस्टिंग यानी गति को कम करना.इसी तरह से चंद्रयान-3 की गति कम करके दक्षिणी ध्रुव के पास इसके लैंडर को उतारा जाएगा.