Swabhiman TV

Best News Online Channel

एसआरएमएस रिद्धिमा में हुआ थिएटर फेस्टिवल “इंद्रधनुष”का आगाज, मशहूर शायर वसीम बरेलवी ने किया शुभारंभ

एसआरएमएस रिद्धिमा में हुआ थिएटर फेस्टिवल “इंद्रधनुष”का आगाज, मशहूर शायर वसीम बरेलवी ने किया शुभारंभ

बरेली में रंगमंच के संस्थापक जेसी पालीवाल को समर्पित थिएटर फेस्ट आरंभ

इंसान को मुकम्मल बनाने के लिए कला और संस्कृति जरूरीः वसीम बरेलवी

-थिएटर में नहीं होता कोई रीटेक, थिएटर से निकले हैं सभी बड़े कलाकारः देवमूर्ति जी
-पहले दिन हुआ रावण के चरित्र पर आधारित नाटक ‘मैं अधर्मी क्यूँ… रावण’ का मंचन

बरेली, 26 अक्टूबर। बरेली में रंगमंच के संस्थापक जेसी पालीवाल जी को समर्पित तीसरा थिएटर फेस्टिवल “इंद्रधनुष” का आरंभ बुधवार को श्री राममूर्ति स्मारक रिद्धिमा (A Centre of Performing & Fine Arts) में रिद्धिमा प्रोडक्शन की प्रस्तुति ‘मैं अधर्मी क्यूँ… रावण’ से हुआ। बरेली में रंगमंच के संस्थापक जेसी पालीवाल जी की फोटो पर पुष्पांजलि और दीप प्रज्वलन के साथ इसका उद्घाटन मशहूर शायर वसीम बरेलवी ने किया। उनके साथ एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन श्री देव मूर्ति जी, ट्रस्ट सेक्रेटरी आदित्य मूर्ति जी, एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) डा.एमएस बुटोला, डा.प्रभाकर गुप्ता, डा.एलएस मौर्य, डा.जसप्रीत कौर, डा.रीता शर्मा ने भी दीप प्रज्वलन कर पुष्पांजलि अर्पित की।

वसीम बरेलवी ने थिएटर फेस्टिवल इंद्रधनुष को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए रिद्धिमा और इसके संस्थापक देव मूर्ति जी का आभार जताया। उन्होंने कहा कि इंसान को मुकम्मल बनाने के लिए शिक्षा के साथ ही संस्कृति का अहम रोल है। संस्कृति के लिए कला और साहित्य को समृद्ध करना आवश्यक होता है। यह काम श्रीराम मूर्ति स्मारक ट्रस्ट के जरिये बखूभी किया जा रहा है।

शैक्षिक संस्थानों के बाद कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए रिद्धिमा की स्थापना कर देव मूर्ति जी ने बड़ा काम किया है। इंसान को मुकम्मल बनाने की यह उनकी दूरदर्शी सोच है। क्योंकि ड्रामा हमारी संस्कृति का अहम और बड़ा अंग है। हर व्यक्ति अपने जीवन में एक किरदार निभाता है और उसी से खुद भी सीखता है और दूसरों को सीख देता है।

वसीम बरेलवी ने एसआरएमएस ट्रस्ट के प्रेरणा स्रोत स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री श्रीराममूर्ति जी को भी याद किया। उन्होंने कहा कि सियासी इतिहास में उनके जैसे बहुत कम शख्सियत ऐसी होंगी, जिन्होंने सियासत के साथ-साथ इंसानियत के जज्बे को भी बरकरार रखा। यह संस्कार ही हैं जो उनके दिखाए इंसानियत के मुश्किल रास्ते पर देवमूर्ति भी चल रहे हैं। वसीम बरेलवी ने अपने शेर के साथ बात खत्म की। कहा- बस में तेरे जब तक है किए जा ड्रामा, हर शख्स अभी तेरी तरफ देख रहा है।


इससे पहले एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति ने सभी का स्वागत किया और थिएटर फेस्टिवल “इंद्रधनुष” की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमें हमेशा वसीम बरेलवी का आशीर्वाद मिला है। रिद्धिमा की स्थापना भी उनके ही हाथों हुई। वे दुनिया में जहां जहां गए, बरेली का नाम ही आगे बढ़ाया है। तीसरे थिएटर फेस्टिवल का उद्घाटन उनके जैसी शख्सियत के हाथ होना सौभाग्य की बात है। आप सभी लोग उनकी तरह ही थिएटर फेस्टिवल में कलाकारों का उत्साहवर्धन करें। उद्घाटन समारोह का संचालन डा.अनुज कुमार ने किया। उन्होंने रिद्धिमा की स्थापना के साथ ही अब तक यहां हुए कार्यक्रमों की जानकारी दी। इस मौके पर थिएटर फेस्टिवल इंद्रधनुष की स्मारिका का भी विमोचन हुआ।
उद्घाटन समारोह के बाद तीसरे थिएटर फेस्टिवल “इंद्रधनुष” का आगाज रिद्धिमा प्रोडक्शन की प्रस्तुति ‘मैं अधर्मी क्यूँ… रावण’ से हुआ। अश्विनी कुमार द्वारा लिखित एवं शैलेन्द्र शर्मा निर्देशित इस नाटक में रावण का चरित्र चित्रण किया गया और रावण के जन्म से लेकर मृत्यु तक कि कथा का मंचन हुआ। आरंभ रावण के जन्म का कारण बताने से हुआ। कैसे लंका पर अधिपत्य किया। नारद जी द्वारा भ्रमित होने पर कैसे रावण अपने अहंकार में कैलाश पर्वत को लंका लाने के लिए कैलाश पहुंचा, जहां शिव जी ने उसका अहंकार समाप्त किया। श्रीराम से शत्रुता होने पर भी रावण ने रामेश्वरम तट पर उनके यज्ञ में पुरोहित बनने का आग्रह स्वीकार किया और विजयी भव का आशीर्वाद दिया। युद्ध के अंत मे रावण ने लक्ष्मण को भी अपने जीवन के तीन गलतियों से अवगत कराया है और अपने प्राण त्यागे। नाटक में रावण का मुख्य किरदार तीन पात्रों ने निभाया। इसमें रावण के बाल रूप में लविश, युवा रावण की भूमिका निर्देशक शैलेन्द्र शर्मा ने और युद्ध के समय रावण की भूमिका विनायक श्रीवास्तव ने निभाई। मोहसिन (राम एवं विष्णु), फरदीन (लक्ष्मण), सूर्यप्रकाश (नारद), आस्था शुक्ला (शूर्पणखा), पूनम पाठक ( मंदोदरी), शिवा (ऋषि विश्रवा) आशुतोष (शुक्राचार्य एवं जम्बुमालि), सुबोध शुक्ला (सुमाली), कुंवरपाल ( राजा अनरण्य), अभिनव (जामवंत) ने भी अपनी भूमिकाओं को बखूभी निभाया। नाटक में पार्श्व संगीत उमेश मिश्रा, सूर्यकांत, कुंवरपाल, हिमांश ने दिया। जबकि लाइट और साउंड संचालन की जिम्मेदारी रविन्द्र गंगवार और मंजीत ने निभाई। इस मौके पर आशा मूर्ति जी, रजनी अग्रवाल, अशोक गोयल, डा.वंदना शर्मा, दानिश खान सहित शहर के सभ्रांत लोग मौजूद रहे।

——थिएटर फेस्टिवल में होने वाले नाटक—–

26 अक्टूबर 23- श्री राममूर्ति स्मारक रिद्धिमा (A Centre of Performing & Fine Arts) में नाटक “लाल किला का आखिरी मुकदमा” का मंचन शाम 4 बजे और 6.30 बजे।

27 अक्टूबर 23- श्री राममूर्ति स्मारक रिद्धिमा (A Centre of Performing & Fine Arts) में नाटक “पड़ोसन एक श्रद्धांजलि” का मंचन शाम 4 बजे और 6.30 बजे।

28 अक्टूबर 23- श्री राममूर्ति स्मारक रिद्धिमा (A Centre of Performing & Fine Arts) में नाटक “दास्तान ए गुरु नानक” का मंचन शाम 4 बजे और 6.30 बजे।

29 अक्टूबर 23- श्री राममूर्ति स्मारक रिद्धिमा (A Centre of Performing & Fine Arts) में नाटक “अधिरथी” का मंचन शाम 4 बजे और 6.30 बजे।

30 अक्टूबर 23- श्री राममूर्ति स्मारक रिद्धिमा (A Centre of Performing & Fine Arts) में नाटक “यहूदी की लड़की” का मंचन शाम 4 बजे और 6.30 बजे।

31 अक्टूबर 23- श्री राममूर्ति स्मारक रिद्धिमा (A Centre of Performing & Fine Arts) में नाटक “अनकही अन-जली” का मंचन शाम 4 बजे और 6.30 बजे।