अशरफ की मदद करने वाले जेल के सिपाही समेत 2 गिरफ्तार, जेल के कई अफसरों पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार

बरेली, 8 मार्च। प्रयागराज में अधिवक्ता उमेश पाल की हत्या के तार बरेली जेल से भी जुड़े है। बरेली जिला जेल में बाहुबली अतीक अहमद का भाई पूर्व विधायक असरफ बंद है और उसने जेल से ही उमेश पाल की हत्या की साजिश रच डाली। पुलिस ने आज जेल के आरक्षी समेत 2 लोगो को गिरफ्तार कर जेल अधिकारियो, कर्मचारियों, असरफ के साले सद्दाम सहित कई लोगो के खिलाफ गंभीर धाराओं में दो अलग अलग थानों में दो मुकदमे दर्ज किए गए है। वही एफआईआर में कई चौकाने वाले खुलासे हुए है जिसमे लिखा है की अशरफ मिलाई के दौरान पुलिस अधिकारियो, गवाहों की हत्या की साजिश और उन सबको डरा धमकाकर रंगदारी मांगने का काम करता था। जिसके बाद फोन का डाटा डिलीट कर दिया जाता था। जेल के अंदर अशरफ का पूरा नेक्सस चलता है।

प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड में बरेली पुलिस ने एक बड़ा खुलासा किया है। बरेली जेल में बंद अतीक अहमद के भाई अशरफ से मिलने के लिए उसका साला सद्दाम और उसका दोस्त लल्ला गद्दी दोस्तों के साथ जिला जेल में मिलने के लिए आता था और इस काम में उसका साथ जिला जेल का आरक्षी शिवहरि अवस्थी देता था। सद्दाम और उसका दोस्त लल्ला गद्दी अन्य कई लोगों के साथ अशरफ से मिलने के लिए आता था और अमूमन मुलाकात के लिए मिलने वाले 40 मिनट से अधिक दो से 3 घंटे तक मुलाकात करते थे और मिलाई स्थल के पास में ही स्थित गोदाम में बैठ कर 2 से 3 घंटे तक मुलाकात करते थे गोदाम में बैठकर बातचीत होती थी।

आशंका यह भी है कि वहां पर व्हाट्सएप ग्रुप कॉलिंग भी की जाती थी और वहीं पर पूरी साजिश रची गई थी। एसएसपी अखिलेश चौरसिया ने बताया कि अशरफ 11 जुलाई 2020 को बरेली जिला जेल में ट्रांसफर किया गया था उसके बाद अशरफ का साला सद्दाम फाईक एनक्लेव में एक घर में मुस्ताक अहमद के नाम से रेंट एग्रीमेंट करा कर अपने नौकर के साथ रह रहा था। जहां पर इलाहाबाद से भी लोग मिलने के लिए आते थे। सद्दाम वहीं से जेल के सिपाही शिवहरि अवस्थी को फोन करता था। अब मात्र एक दो लोगों की आईडी लेकर छह से सात लोगों को मिलने की अनुमति देता था। इसके अतिरिक्त एक नन्हे नाम का सप्लायर जो जेल के अंदर सब्जियों फलों की सप्लाई का काम करता था वह जेल के अंदर अशरफ को सभी सामान मुहैया कराने का काम करता था। इस संबंध में एक मुकदमा से शिवहरि अवस्थी आरक्षी , नन्हे उर्फ दयाराम सप्लायर सद्दाम और उसके नौकर अफसर, जेल के अज्ञात अधिकारियो और कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं। एसएसपी द्वारा एक एसआईटी का गठन किया गया है जिसका नेतृत्व एसपी सिटी करेंगे , सी ओ तृतीय आशीष प्रताप सिंह के नेतृत्व में चार इंस्पेक्टर इस पूरे मामले की गहन जांच पड़ताल करेंगे।

एसएसपी ने बताया कि सद्दाम की गिरफ्तारी का लगातार प्रयास किया जा रहा है लेकिन 26 दिसंबर से लगातार उसकी लोकेशन बरेली से बाहर मिल रही है और जेल में भी बताया गया है कि पिछले 2 महीने से सद्दाम अशरफ से मिलने के लिए नहीं आया है। पूरे मामले के खुलासे के बाद आरक्षी की गिरफ्तारी के साथ-साथ जेल के बड़े अधिकारियों पर भी गाज गिरनी तय मानी जा रही है। एसएसपी ने बताया कि फाईक एनक्लेव में जिस मकान में अशरफ का साला सद्दाम रहता था उसका मकान मालिक मुंबई में रहता है। उसके भाई से सद्दाम ने मुस्ताक बन कर रेंट एग्रीमेंट किया था लिहाजा इस मामले में मकान मालिक की ओर से धारा 420, 467, 468, 504, 506 के तहत थाना बारादरी में मुकदमा कायम किया गया है।

चौकी इंचार्ज की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे में कई चौकाने वाले खुलासे हुए है। मुकदमे में लिखा है कि गैंगस्टर अतीक अहमद का छोटा भाई अशरफ जो केन्द्रीय कारागार-2 जिला बरेली में बंद है उसमें आरक्षी शिव हरि अवस्थी द्वारा सद्दाम व लल्लागद्दी की सहायता से जेल के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिली भगत से एक आईडी पर 6 या 7 व्यक्तियों को पैसा लेकर मिलाई करायी जाती है। यह मिलाई का काम बिना किसी पर्ची के और मिलाई के समय के बाद नियत स्थान के अतिरिक्त अन्य स्थान पर मिलवाया जाता है। अशरफ के विरूद्ध अनेक गम्भीर प्रकृति के मुकदमे विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन हैं। अशरफ विभिन्न पुलिस अधिकारियो गवाहों अभियोजन अधिकारियो की हत्या की योजना लागद्दी व सद्दाम के साथ मिलाई के समय बनाता है और इनके साथ साक्षियों को पक्षदोही होने के लिये डराने का काम करता है जिससे मुकदमो से दोषमुक्त हो सके। अशरफ के इन साथियो द्वारा योजना बनायी जाती है और डराने धमकाने, रंगदारी मांगने एंव लोगो मे भय व आतंक का माहौल पैदा करने का काम किया जाता है तथा फोन से बात करने के बाद फोन का डाटा डिलीट कर दिया जाता है। सद्दाम और लल्लागद्दी जेल मे आने जाने तथा अशरफ को सुविधाएं मुहैया कराने के लिये जेल के अधिकारियो/ कर्मचारियो को तमाम उपहार व पैसा एंव प्रलोभन देते हैं। दयाराम उर्फ नन्हें पुत्र सोहन लाल जेल की कैन्टीन के सामान के साथ अशरफ के लिये पैसे, खाना और अन्य सामान जेल के कर्मचारियों व अधिकारियों की मिली भगत से लेकर जाता है। जिसकी पुष्टि नन्हें के मोबाइल व कारागार के सीसीटीवी केमरो से की जा सकती है। अशरफ द्वारा अपना वर्चस्व कायम करने के लिये अधिकारियों व कैदियों को प्रलोभन के तौर पर सामान और पैसा दिया जाता है। उपरोक्त स्थिति को देखते हुए जेल के अन्दर व बाहर किसी भी बड़ी घटना के घटित होने से इन्कार नही किया जा सकता है।

By Anup