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उत्तराखंड: सीएम धामी ने समान नागरिक संहिता का विधेयक विधानसभा में किया पेश, मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा बराबरी का अधिकार

उत्तराखंड: सीएम धामी ने समान नागरिक संहिता का विधेयक विधानसभा में किया पेश, मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा बराबरी का अधिकार

उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार ने चुनाव के वक्त समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था वो वादा आज सरकार ने पूरा कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज विधानसभा में समान नागरिक संहिता का विधेयक पेश किया। यूसीसी का सबसे अधिक फायदा मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को मिलेगा। उन्हें हलाला, बहु विवाह जैसी कुप्रथाओं से निजात मिलेगी।

सीएम धामी ने कहा कि हमारी सरकार ने पूरी जिम्मेदारी के साथ समाज के सभी वर्गों को साथ लेते हुए समान नागरिक संहिता का विधेयक विधानसभा में पेश कर दिया है। देवभूमि के लिए वह ऐतिहासिक क्षण निकट है जब उत्तराखण्ड प्रधानमंत्री मोदी के विजन “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” का मजबूत आधार स्तम्भ बनेगा।

वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा द्वारा जनता से किए गए प्रमुख वादों में यूसीसी पर अधिनियम बनाकर उसे प्रदेश में लागू करना भी शामिल था। वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड राज्य में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने का इतिहास रचने के बाद भाजपा ने मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी थी।
देश के संविधान निर्माताओं की अपेक्षाओं के अनुरूप भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 को सार्थकता प्रदान करने की दिशा में आज का दिन देवभूमि उत्तराखण्ड के लिए विशेष है।

देश का संविधान हमें समानता और समरसता के लिए प्रेरित करता है और समान नागरिक संहिता कानून लागू करने की प्रतिबद्धता इस प्रेरणा को साकार करने के लिए एक सेतु का कार्य करेगी।
समान नागरिक संहिता पर ड्राफ़्ट कमेटी की रिपोर्ट कुल 780 पन्नों की है। इसमें क़रीब 2 लाख 33 हज़ार लोगों ने अपने विचार दिए हैं। इसे तैयार करने वाली कमेटी ने कुल 72 बैठकें की थीं। ख़बरों के मुताबिक, UCC के ड्राफ़्ट में 400 से ज़्यादा धाराएं हैं।

UCC विधेयक महिला अधिकारों पर केंद्रित है।इसमें बहु-विवाह पर रोक का प्रावधान है। लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाने का प्रावधान है।
समान नागरिक संहिता बिल में लिव-इन रिलेशनशिप के लिये रजिस्ट्रेशन को ज़रूरी कर दिया गया है। कानूनी विशेषज्ञों का दावा है कि ऐसे रिश्तों के पंजीकरण से पुरुषों और महिलाओं दोनों को फायदा होगा।
बिल में लड़कियों को भी लड़कों के बराबर ही विरासत का अधिकार देने का प्रस्‍ताव है। अभी तक कई धर्मों के पर्सनल लॉ में लड़कों और लड़कियों समान विरासत का अधिकार नहीं है।
उत्‍तराखंड की 4% जनजातियों को क़ानून से बाहर रखने का प्रावधान किया गया है। मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण उपायों और अनुसूचित जनजातियों को शामिल नहीं किया गया है।
बिल में शादी का रजिस्ट्रेशन ज़रूरी करने का प्रस्‍ताव रखा गया है। साथ ही शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर सरकारी सुविधाएं नहीं देने का प्रस्‍ताव भी रखा गया है।

बिल में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया आसान करने का प्रस्‍ताव रखा गया है। मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार देने का प्रस्‍ताव बिल में है। मुस्लिम समुदाय के भीतर हलाला और इद्दत पर रोक लगाने का प्रस्‍ताव बिल में रखा गया है। इस प्रथा का काफी विरोध होता रहा है।
पति की मृत्यु पर पत्नी ने दोबारा शादी की, तो मुआवज़े में माता-पिता का भी हक़ होने का प्रस्‍ताव भी बिल में रखा गया है। पत्नी की मृत्यु होने पर उसके मां-बाप की ज़िम्मेदारी पति पर होगी। पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ, तो बच्चों की कस्टडी दादा-दादी को देने का प्रस्‍ताव भी यूसीसी विधेयक में रखा गया है।

– सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल होगी
– पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार
– लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी
– लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा
– लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार
– महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं
– अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर
– बहु विवाह पर रोक, पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं
– शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी बिना रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं
– उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक

UCC लागू तो क्या होगा ?

– हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून
– जो कानून हिंदुओं के लिए, वही दूसरों के लिए भी
– बिना तलाक एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे
– मुसलमानों को 4 शादी करने की छूट नहीं रहेगी
UCC से क्या नहीं बदलेगा ?
– धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं
– धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं
– ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे
– खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर प्रभाव नहीं