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अगर आप अपने घर को स्वर्ग बनाना चाहते है तो ये खबर आपके लिए है बहुत जरूरी

अगर आप अपने घर को स्वर्ग बनाना चाहते है तो ये खबर आपके लिए है बहुत जरूरी

अगर आप घर को स्वर्ग बनाना चाहते है तो हम आपको और आपके परिवार को बदलना होगा। जिसके बाद आपको अपना घर स्वर्ग लगने लगेगा। घर चाहे छोटा हो या बड़ा, इससे कोई फर्क नही पड़ता है। फर्क इस बात से पड़ता है की आपके घर के लोग कैसे है। आज जो उपाय मैं आपको बताने जा रहा हु वो दुनिया के सभी धर्मो के लोगो के लिए है। आज एक ऐसा उपाय बताने जा रहा हु जिसके बाद आपका घर स्वर्ग बन जायेगा। तो ध्यान से पढ़िए और उसे जरूर अपनाइएगा। इसमें आपका एक पैसा भी खर्च नहीं होगा।

सावधान रहें, आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं और सब सोखती हैं। कभी आपने किसी घर में जाते ही वहाँ एक अजीब सी नकारात्मकता और घुटन महसूस की है…? या किसी के घर में जाते ही एकदम से सुकून औऱ सकारात्मकता महसूस की है.?

आप कुछ ऐसे घरों में जाते होंगे जहां जाते ही तुरंत वापस आने का मन होने लगता है। एक अलग तरह का खोखलापन, बनावटीपन, झूठा दिखावा और नेगेटिविटी उन घरों में महसूस होती है। साफ समझ जाते है कि उन घरों में रोज-रोज की कलह, चुगली , ईर्ष्या, निंदा आदि की जाती है। परिवार में सामंजस्य, प्रेम व पवित्र व सकारात्मक विचारों की कमी है। वहाँ कुछ पलों में ही मुझे अजीब सी बेचैनी होने लगती है और आप जल्दी ही वहाँ से वापस आ जाते है।

वहीं कुछ घर इतने खिलखिलाते और प्रफुल्लित महसूस होते हैं कि वहाँ घंटों बैठकर आपको वक़्त का पता नहीं चलता, क्योंकि वहां के लोगों के विचार पवित्र व सकारात्मक है।

ध्यान रखिये….
आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं और सब सोखती हैं। घर की दीवारें युगों तक समेट कर रखती हैं सारी सकारात्मकता और नकारात्मकता भी।

“कोपभवन” का नाम अक्सर हमारी पुरानी कथा-कहानियों में सुनाई देता है। दरअसल कोपभवन पौराणिक कथाओं में बताया गया घर का वो हिस्सा होता था जहां बैठकर लड़ाई-झगड़े और कलह-विवाद आदि सुलझाए जाते थे। उस वक़्त भी हमारे पुरखे सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को अलग-अलग रखने का प्रयास करते थे इसलिए ” कोपभवन ” जैसी व्यवस्था की जाती थी ताकि सारे घर को नकारात्मक होने से बचाया जाए।

इसलिए आप भी कोशिश कीजिए कि आपका घर “कलह-गृह” या “कोपभवन” बनने से बचा रहे

घर पर सुंदर तस्वीरें , फूल-पौधे, बागीचे , सुंदर कलात्मक वस्तुएँ आदि से आपके घर का श्रृंगार बेशक़ होता हैं, पर आपका घर सांस लेता है आपकी हंसी-ठिठोली से, मस्ती-मज़े से, खिलखिलाहट से और बच्चों की शरारतों से , बुजुर्गों की संतुष्टि से ,घर की स्त्रियों के सम्मान से और पुरुषों के सामर्थ्य से , तो इन्हें भी सहेजकर-सजाकर अपने घर की दीवारों को स्वस्थ रखिये।

“आपका घर सब सुनता है और सब कहता भी है”

इसलिए यदि आप अपने घर में सदा सुख शांति बनाये रखना चाहते हैं तो कलह, नफरत, ईर्ष्या, निंदा, चुगली, झूठा दिखावा आदि बुराइयों को त्यागे।
“यदि आपके घर का वातावरण स्वस्थ्य और प्रफुल्लित होगा तो उसमें रहने वाले लोग भी स्वस्थ और प्रफुल्लित रहेंगे।