न्यूज़ डेस्क :दुनिया भर में भारत और चीन सेनिकों का तवांग विवाद इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है, चीनी सेनिकों से विवाद के बाद संसद में जबरदस्त हंगामा देखने में आया है। इसी बीच धर्म गुरु दलाई लामा का एक बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने कहा है की चीन वापस जाने का कोई मतलब नहीं, मुझे भारत पसंद है वहीं उन्होंने हिमचाल प्रदेश के कांगड़ा को अपना स्थायी स्थान बताया है।

14 वे दलाई लामा जिनका असली नाम तेनजिन ग्यात्सो है, वह एक आध्यात्मिक गुरू हैं और तिब्बत के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैl  दलाई लामा को तिब्बत की मुक्ति के लिए  शांतिप्रिय व अहिंसक ढंग से संघर्ष करने के लिए 1989 का शांति का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था l दलाई लामा एक मंगोलियाई पदवी होती है जिसे ज्ञान का महासागर के साथ-साथ बुध का साक्षात रूप माना जाता है l

चीन और भारतीय सेनिकों के तवांग विवाद के बाद जब दलाई लामा से सुझाव पूछा गया तो उन्होंने कहा अफ्रीका व एशिया में चीन काफी लचीला है। चीन से मुझे मतलब नहीं मुझे भारत पसंद है।

आपको बता दें कि बीते 9 दिसंबर को तवांग में चीनी सेनिकों के एलएसी पर जबरन कब्ज़ा करने की कोशिश को भारतीय सेनिकों ने उन्हें नाकाम कर खदेड दिया था, इस झड़प में चीन और भारत के सेनिकों के चोटे आई थीं l

 

 

 

 

By Sarvesh