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सावन में न खाएं ये 10 चीजें, जानिए सूची, मास और मदिरा का भी नही करे उपयोग

Do not eat these 10 things in Sawan, know the list, do not use mass and alcohol

सावन में न खाएं ये 10 चीजें, जानिए सूची, मास और मदिरा का भी नही करे उपयोग

14 जुलाई 2022 गुरुवार से श्रावण मास प्रारम्भ हो गया है। सावन माह में यदि एकाशना कर रहे हैं या व्रत नहीं कर रहे हैं तो यह जानना जरूरी है कि कौन सा भोजन नहीं खाना चाहिए।

सावन में नहीं खाएं जाने वाली 10 चीजें।

श्रावण मास में क्या नहीं खाना चाहिए-

1. हरी पत्तेदार सब्जियां :- पत्तेदार सब्जियां पालक, मैथी, लाल भाजी, बथुआ, गोभी, पत्ता गोभी जैसी सब्जियां नहीं खानी चाहिए।

2. चटपटा भोजन :- तेल या मासालेदार भोजन नहीं करना चाहिए। लहसुन और प्याज का भी त्याग कर देने चाहिए।

3. मांस मछली :- मच्‍छी और मांसाहर भोजन नहीं करना चाहिए।

4. बैंगन, मूली कटहल :-बैंगन, मूली या कटहल की सब्जी भी नहीं खाना चाहिए।

5. पान सुपारी :- सुपारी नहीं खाना चाहिए।

6. मीठी :-गुड़, ज्यादा मीठी चीजें, शहद और शक्कर नहीं खाना चाहिए।

7. खट्टी :- ज्यादा खट्टे पदार्थ और नमकीन पदार्थ का सेवन भी नहीं करते हैं।

8. दूध :-कच्चा दूध भी नहीं पीते हैं। दूध को अच्‍छे से उबाल कर पी सकते हैं।

9. कढ़ी :- कढ़ी भी सावन के माह में खाने पीने की मनाही है।

10. नशा :-इसके अलावा तंबाकू, अल्कोहल, अन्य किसी प्रकार का नशा भी नहीं करते हैं।

चातुर्मास के वर्जित भोजन :-श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल, आदि का त्याग कर दिया जाता है।

सुंदर कांड की रोचक प्रश्नोत्तरी

1 :- सुंदरकाण्ड का नाम सुंदरकाण्ड क्यों रखा गया?

हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटांचल पर्वत पर बसी हुई थी।
त्रिकुटांचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थे।

पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में युद्ध हुआ था।

दूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे।

तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका निर्मित थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी।

इस काण्ड की सबसे प्रमुख घटना यहीं हुई थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकाण्ड रखा गया।

2 :- शुभ अवसरों पर सुंदरकाण्ड का पाठ क्यों?

शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकाण्ड का पाठ किया जाता है।

शुभ कार्यों की शुरूआत से पहले सुंदरकाण्ड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है। जबकि किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियाँ हों, कोई काम नहीं बन पा रहा हो,आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुंदरकाण्ड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं। कई ज्योतिषी या संत भी विपरित परिस्थितियों में सुंदरकाण्ड करने की सलाह देते हैं।

3 :- सुंदरकाण्ड का पाठ विषेश रूप से क्यों किया जाता है?

माना जाता हैं कि सुंदरकाण्ड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। सुंदरकाण्ड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुंदरकाण्ड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुखः दूर हो जाते हैं, इस काण्ड में हनुमानजी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता माता की खोज की है।

इसी वजह से सुंदरकाण्ड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है।

4 :- सुंदरकाण्ड से क्यों मिलता है मनोवैज्ञानिक लाभ?

वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकाण्ड की कथा सबसे अलग है, संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरूषार्थ को दर्शाती है, सुंदरकाण्ड एक मात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का काण्ड है।

मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला काण्ड है, सुंदरकाण्ड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती है, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।

5 :- सुंदरकाण्ड से क्यों मिलता है धार्मिक लाभ?

सुंदरकाण्ड के वर्णन से मिलता है धार्मिक लाभ, हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है। बजरंगबली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताए गए हैं, इन्हीं उपायों में से एक उपाय सुंदरकाण्ड का पाठ करना है, सुंदरकाण्ड के पाठ से हनुमानजी के साथ ही श्रीराम की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

किसी भी प्रकार की परेशानी हो सुंदरकाण्ड के पाठ से दूर हो जाती है, यह एक श्रेष्ठ और सरल उपाय है, इसी वजह से काफी लोग सुंदरकाण्ड का पाठ नियमित रूप से करते हैं, हनुमान जी समुद्र को लांघकर लंका पहुंच गए वहां सीता माता की खोज की, लंका को जलाया सीता माता का संदेश लेकर श्रीराम के पास लौट आए, यह एक भक्त की जीत का काण्ड है, जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है। सुंदरकाण्ड में जीवन की सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी दिए गए हैं, इसलिए पुरी रामायण में सुंदरकाण्ड को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ाता है, इसी वजह से सुंदरकाण्ड का पाठ विशेष रूप से किया जाता है।

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