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अमृतकाल में अंग्रेजी कानूनों को किया गया खत्म, देश द्रोह कानून के तहत नही होगी कार्यवाही, जाने अब कैसे दर्ज होगी एफआईआर

अमृतकाल में अंग्रेजी कानूनों को किया गया खत्म, देश द्रोह कानून के तहत नही होगी कार्यवाही, जाने अब कैसे दर्ज होगी एफआईआर

नई दिल्ली, 11 अगस्त। अंग्रेजो के ज़माने के कानून अब खत्म हो रहे है। आईपीसी, सीआरपीसी और आईईए का नाम बदल दिया गया हैं। ये तीनों कानून अंग्रेजो की संसद में पारित किए गए थे। गौरतलब है कि पहला Indian Penal Code जो 1860 में बनाया गया। दूसरा है Criminal Procedure Code जो 1898 में बनाया गया और तीसरा है Indian Evidence Act जो 1872 में बनाया गया। लेकिन अब इन कानूनों के नाम बदलने के साथ साथ इनमे कई बड़े परिवर्तन होंगे।

गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त 2023 को भारतीय अपराध सहिंता में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने के लिए तीन विधेयक पेश किए। इन नए कानूनों के साथ अमृतकाल की शुरुआत होने जा रही है। इन विधेयकों में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य विधेयक, और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता शामिल हैं। ये बदलाव देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकते हैं, जैसे कि नई सीआरपीसी में 356 धाराएं होंगी और नाबालिग किशोरी के साथ यौन शोषण के मामलों में मौत की सजा भी शामिल है। इसके साथ ही, ये विधेयक अपराधियों की संपत्ति की कुर्क की भी प्रक्रिया को सुनिश्चित कर सकते हैं और न्याय प्रणाली में सुधार प्रमोट कर सकते हैं।

भारतीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए तीन विधेयकों के माध्यम से देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन की संभावना है। ये परिवर्तन निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं को समेटते हैं:

भारतीय न्याय संहिता, 2023: इस विधेयक के अंतर्गत, भारतीय न्याय प्रणाली को नवाचारित किया जाएगा। यह नई सीआरपीसी (सम्प्रेषित आपराधिक प्रक्रिया संहिता) के तहत आपराधिक धाराओं में संशोधन करेगा, जिससे कुल धाराओं की संख्या 511 से 356 तक कम हो सकती है।

भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023: यह विधेयक नवीन साक्ष्य अधिनियम का प्रस्तावना करेगा, जिससे सबूतों के संग्रहण की प्रक्रिया में सुधार होगा। साक्ष्य संग्रहण के लिए टाइमलाइन और प्रक्रियाएँ स्पष्ट की जाएगी, जिससे मामले की सुनवाई और फैसला तेजी से हो सकेगा।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023: यह विधेयक आपराधिक मामलों में न्याय प्रणाली के प्रक्रियात्मक तथा सुरक्षा द्वारा एक सामग्री संहिता को बदलने का प्रस्तावना करेगा। इससे आपराधिक मामलों की जल्द सुनवाई और समय से इंसाफ मिल सकेगा।

यदि ये विधेयक पास होते हैं, तो सीआरपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, CrPc की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, और Evidence Act की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 प्रभावी हो सकते हैं। यह संशोधन अपराधियों के खिलाफ तथा न्याय प्रणाली में सुधार की स्थिति को सुनिश्चित करने की कवायद में कदम बढ़ा सकता है।

नये विधेयकों के प्रमुख प्रावधान:

सीआरपीसी में धाराओं की कमी: भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत, भारतीय सामाजिक और आपराधिक न्याय प्रणाली को संशोधित किया जाएगा, जिससे सीआरपीसी में धाराओं की संख्या 511 से 356 तक कम होगी।

वीडियोग्राफी का आवश्यकता: अब सबूतों को जुटाते समय वीडियोग्राफी करना अनिवार्य होगा, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में तर्कसंगतता और पारदर्शिता हो सके।

फॉरेंसिक टीम का उपयोग: उन धाराओं में जिनमें 7 साल से अधिक की सजा हो, वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत जुटाने में सहायक होगी, जो अधिक सुरक्षित और विवादमुक्त प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी।

एफआईआर: अब एफआईआर (प्राथमिक सूचना रिपोर्ट) को किसी भी हिस्से में दर्ज किया जा सकेगा, जिससे अपराध के इलाके के बाहरी आधिकारिकों को भी जरूरी जानकारी मिल सकेगी।

सजा की तेज़ सुनवाई: 3 साल तक की सजा वाले मामलों को समरी ट्रायल के माध्यम से तेजी से सुनवाई किया जाएगा, जिससे न्यायिक प्रक्रिया और फैसला विचार में आएगा।

चार्जशीट और जांच की अवधि: चार्जशीट को 90 दिनों के अंदर दाखिल किया जाना और जांच को 180 दिनों के अंदर समाप्त किया जाना होगा, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में वेग और पारदर्शिता बढ़ेगी।

त्वरित न्यायाधीशीय निर्णय: चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के भीतर न्यायाधीश को अपना फैसला देना होगा, जिससे विचारात्मक संकटों का समाधान तेजी से हो सके।

सरकारी कर्मचारियों के मामले: सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज हुए मामलों में न्यायिक प्रक्रिया को तेजी और विश्वसनीयता से संपन्न करने के लिए अद्यतन उपायों की व्यवस्था की गई है।

संपत्ति की कुर्क: अपराधियों की संपत्ति की कुर्क की जाएगी, जिससे अपराध में रुचिकर सजा सुनाई जा सकेगी और संगठित अपराधियों के प्रति कठोर सजा हो सकेगी।

यौन अपराधों का प्रतिष्ठान: गलत पहचान देकर यौन संबंध बनाने वालों को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा, और गैंगरेप के मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो सकेगी।

बालिकाओं की सुरक्षा: 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ यौन शोषण मामलों में मौत की सजा का प्रावधान जोड़ा जाएगा, जिससे बच्चियों की सुरक्षा पर और भी महत्वपूर्ण ध्यान दिया जा सकेगा।

राजद्रोह कानून का अंत: यह विधेयक राजद्रोह कानून को पूरी तरह से खत्म कर देगा, जिससे न्याय प्रणाली में और भी सुधार की स्थिति उत्पन्न हो सकेगी।