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मैं रेल राज्यमंत्री हूं… जालसाज ने रुपये लिए और युवाओं को बांट दिए फर्जी नियुक्ति पत्र

उत्तर प्रदेश के बरेली में एक अजीब घटनाक्रम सामने आया है| यहां एक जालसाज ने 20 से अधिक बेरोजगारों से नौकरी के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी को अंजाम दिया है| आरोपी ने यह वारदात खुद को रेल राज्य मंत्री बताकर अंजाम दिया है| आरोपी ने रुपये लेने के बाद सभी को जॉइनिंग डेट बताते हुए नियुक्ति पत्र भी थमा दिए| वहीं जब पीड़ित संबंधित कार्यालय में जॉइन करने पहुंचे तो उन्हें ठगी का एहसास हुआ| इसके बाद सभी पीड़ितों ने बरेली पुलिस में शिकायत दी है| पुलिस ने शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी है|

पुलिस के मुताबिक आरोपी ने 20 से अधिक युवाओं के साथ ठगी की है| खुद को रेल राज्य मंत्री बता कर आरोपी ने सभी से 15-15 लाख रुपये वसूल किए है| यही नहीं, आरोपी ने सभी को जॉइनिंग डेट बताते हुए नियुक्ति पत्र भी सौंप दिए है| इस नियुक्ति पत्र को लेकर पीड़ित जब संबंधित कार्यालय में पहुंचे तो उन्हें अपने साथ हुई ठगी की जानकारी हुई| इसके बाद पीड़ितों ने पुलिस में शिकायत दी है| बरेली के एडीजी को मिली शिकायत के बाद इज्जत नगर थाना पुलिस ने कुल 11 जालसाजों के खिलाफ केस दर्ज किया है|

पुलिस के मुताबिक बरेली के शिव स्टेट कॉलोनी में रहने वाले विनोद कुमार ने शिकायत दी है| बताया कि उनकी एयरफोर्स स्टेशन के पास दुकान है| साल 2018 में उनकी दुकान पर विजेंदर पाठक नामक व्यक्ति आया था| उसने बताया था कि वह अध्यक्ष रेलवे भर्ती बोर्ड और रेल राज्य मंत्री का विश्वास पात्र है| उसने भरोसा दिया था कि वह मंत्री कोटे से रेलवे में नौकरी लगवा सकता है| उसने अपने बेटे मयंक और एक अन्य व्यक्ति के बेटे का नियुक्ति पत्र के साथ रेलवे पास भी दिखाया| साथ ही कहा कि अब टीसी के कई पद खाली हैं और इन्हें भरने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है|

आरोपी ने झांसे में लेने के लिए उनकी मयंक और करण शर्मा से भी मिलवाया| उस समय करण ने खुद को संसदीय रेलवे बताते हुए अपना आईकार्ड भी दिखाया.|इसके बाद अजय गुप्ता, निशा गुप्ता और शिवाजी सिंह फौजी से बात कराई| इनमें अजय और निशा ने खुद को अधिकारी व शिवाजी सिंह फौजी ने खुद को रेल राज्य मंत्री बताया था| पीड़ित ने बताया कि आरोपियों के झांसे में आकर उसने नौकरी पाने के लिए उन्हें 15 लाख रुपये दे दिए|

विनोद के मुताबिक आरोपियों ने उसके अलावा 20 से अधिक अन्य लोगों को भी शिकार बनाया था| इसके कुछ ही दिन बाद आरोपियों ने सभी को नियुक्ति पत्र आदि दिए और निर्धारित डेट पर नौकरी जॉइन करने के लिए कह दिया| पीड़ित ने बताया कि जब वह अपना नियुक्ति पत्र को लेकर संबंधित कार्यालय में पहुंचे तो पता चला कि यह लेटर फर्जी है| इसके बाद पीड़ितों ने एडीजी को शिकायत दी| अब पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है|