भगवान विष्णु ने उत्पन्न किया था जल पर्वत, जानिए कहा है जल पर्वत
स्वाभिमान डेस्क, 30 जुलाई। जल पर्वत एक ऐतिहासिक तथ्य है जिसका उल्लेख महाभारत महाकाव्य में है। जल पर्वत को ‘क्षिरोदसमुद्र’ भी कहा जाता है। इसके अनुसार, जल पर्वत भगवान विष्णु के द्वारा उत्पन्न किया गया था।
महाभारत के युद्ध काल में भगवान विष्णु ने अपने अवतार भगवान परशुराम के साथ एक अद्भुत घटना का वर्णन किया गया है। भगवान परशुराम ने कर्कोटक नामक एक राक्षस को मारकर ब्रह्मकमल को धरती पर लौटाया था। इससे ब्रह्मकमल के बीज भूमि में गिर गए और उनमें से एक बीज जल से प्रभावित हो गया था। इससे जल पर्वत उत्पन्न हुआ, जो धारावाहिनी नदी में स्थित है।
जल पर्वत के बारे में महाभारत में कहा गया है कि यह अत्यंत सुंदर और भव्य है। इसकी ऊँचाई अनंत समुद्र को भी अभिव्यक्त करती है। इस पर्वत के वनों में विशाल वृक्ष, जलकाय सुंदर तालाब, गहरी खाईयाँ और विविध प्रकृति की सुंदरता है। इसके आस-पास आने वाले पक्षियों के गाने से परिपूर्ण वातावरण है।
जल पर्वत के चरणों पर भगवान विष्णु के मंदिर भी स्थापित हैं, जिन्हें यात्रियों द्वारा धार्मिक आस्था से पूजा जाता है। इसके आस-पास शिविरों का निर्माण भी हुआ है, जहां यात्री विश्राम करते हैं और भगवान की भक्ति करते हैं।
जल पर्वत भारतीय संस्कृति में धार्मिक महत्व रखता है और यह एक प्रमुख धार्मिक स्थल माना जाता है। भगवान विष्णु के इस अवतार के साथ जुड़े इस पर्वत की यात्रा लोगों के लिए धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व रखती है।
कृपया ध्यान दें कि जल पर्वत के बारे में जितनी जानकारी मैंने दी है, वह महाभारत महाकाव्य और भारतीय पुराणों पर आधारित है। इसके अलावा भी अन्य स्त्रोतों से और भगवान के अन्य अवतारों के किस्से से जुड़ी जानकारी उपलब्ध हो सकती है।
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