आदिवासियों की समस्या के समाधान के लिए पश्चिम बंगाल से दिल्ली तक पद यात्रा
बरेली, 21 सितंबर। पश्चिम बंगाल से पदयात्रा आरंभ कर के दो पदयात्री दिल्ली राष्ट्रपति भवन तक पहुंचने में लगभग 1500 किलोमीटर की यात्रा करेंगे। अपने इस सफ़र को पूरा करने के लिए निकले ये दो आदिवासी जो अब तक 1150 किलोमीटर की यात्रा तय कर चुके हैं बरेली में आए हुए हैं, हाईवे रोड पर इनकी मुलाकात करणी सेना से हुई। उन लोगो ने इन दोनो का स्वागत किया। इन पदयात्रियों ने बताया कि पश्चिमी बंगाल सरकार आदिवासियों की समस्याओं के प्रति ध्यान नहीं देती है, इसी कारण से त्रस्त होकर जिला जलपाईगुड़ी के ओदलाबारी गांव के पिलातूस ओरबा और श्याम ओरबा दिल्ली में राष्ट्रपति से मिलने जा रहे हैं। पदयात्री पिलातूस ने बताया कि वह 22 अगस्त को अपने गांव से पैदल रवाना हुए थे चूंकि पहली बार आदिवासी समाज से आने वाली द्रोपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनी हैं इसलिए अब आदिवासी समाज के 4 सूत्रीय मांगों को लेकर उनके निस्तारण की उनसे ही मांग करेंगे।
ये चार सूत्रीय मांगे हैं,
1- चाय बागान को लेकर वहां लोगों से बंधुआ मजदूरी कराई जाती है जो 8 घंटे की ड्यूटी में 232 रुपए की मजदूरी देते हैं जिससे वह अपने परिवार का पालन पोषण नहीं कर पाते हैं हालांकि 8 घंटे की मजदूरी लगभग 350 से 450 ₹ होनी चाहिए जिससे अपने परिवार का पालन पोषण सही तरीके से कर सकें।
2- बरसों से हमारी पीढ़ी इस पैसे में काम करती है लेकिन अभी तक जमीन पर मकान बनाने का मालिकाना हक नहीं मिला यहां के लोगों को पट्टे कराकर जमीन दिलाई जाए।
3- चाय बागान के लोगों को हिंदी भाषा में शिक्षा दी जाती है लेकिन बंगाल सरकार सरकारी नौकरियों में नेपाली और बंगाली भाषा के प्रमाण पत्र को मांगती है आदिवासी समाज की मांग है कि हिंदी भाषा को भी इसमें शामिल किया जाए।
4- आदिवासी समाज के फाइटर नेता बिरसा मुंडा जिन्हें आदिवासी लोग भगवान मानते हैं उनकी उम्र लगभग 25 वर्ष की थी तभी वह वीरगति को प्राप्त हुए थे उन भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा कहीं कहीं जगह अधिक उम्र की स्थापित की गई है जिससे उन लोगों को पहचानना मुश्किल पड़ रहा है अतः भगवान बिरसा मुंडा की उचित उम्र की प्रतिमा को स्थापित किया जाए।
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