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खाने के जरिए आपके ब्रेन में जमा हो रही प्लास्टिक! नए अध्ययन में हुआ खतरनाक खुलासा

स्वाभिमान टीवी, डेस्क। प्लास्टिक पर्यावरण के लिए कितनी खतरनाक है इस बारे में तो आप सब जानते ही होंगे इस कारण से सरकार ने इसे बैंन भी किया था। वहीं अब इसका असर इंसानों पर भी दिखने लगा है। एक रिपोर्ट के अनुसार प्लास्टिक लोगों के शरीर के हर हिस्से में जमा हो रही है। प्राइवेट पार्ट से लेकर ब्रेन तक माइक्रोप्लास्टिक का अटैक देखने को मिल रहा है। इसके कई कारण हो सकते है जैसे प्लास्टिक की पॉलीथिन में चाय पैक कराकर पीना , प्लास्टिक के ग्लास में चाय, प्लास्टिक के टिफिन बॉक्स में गर्म खाना पैक होना, प्लास्टिक की बोतल में पानी भरकर काफी देर तक रखना व अन्य घरेलू प्लास्टिक के उत्पादों का उपयोग ।

क्या है माइक्रोप्लास्टिक
माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक के बेहद छोटे टुकड़े होते हैं, जिनका साइज 5 मिलीमीटर से कम या 1 नैनोमीटर तक हो सकता है। ये टुकड़े देखने में बेहद छोटे होते है। जिस कारण ये दिखाई में नहीं आते और खाने-पीने के जरिए शरीर में पहुंच जाते है। जानकारी के अनुसार पिछले 8 सालों में लोगों के ब्रेन में हद से ज्यादा प्लास्टिक के टुकड़े पहुंचे हैं। इसका खुलासा एक हालिया स्टडी में हुआ है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इंसानों के दिमाग में करीब 0.5 पर्सेंट माइक्रोप्लास्टिक जमा हो चुकी है, जो बेहद खतरनाक हो सकती है।

दिमाग में मिले माइक्रोप्लास्टिक टुकड़े
एक न्यूज रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2024 में शोधकर्ताओं ने डेडबॉडी के परीक्षण में ह्यूमन ब्रेन के कई सैंपल लिए थे और फिर इसमें माइक्रोप्लास्टिक को लेकर रिसर्च की. इसमें पता चला कि 8 साल पहले लिए गए सैंपल की तुलना में ह्यूमन ब्रेन में प्लास्टिक के टुकड़े 50% ज्यादा मिले। इस मामले में जानकारों को कहना है कि जिन व्यक्तियों की औसत उम्र लगभग 45 या 50 वर्ष थी, उनके ब्रेन टिशूज़ में प्लास्टिक कंसंट्रेशन 4800 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम यानी वजन के हिसाब से 0.5% थी. इसका मतलब यह है कि आज हमारा

ब्रेन 99.5% ब्रेन है और बाकी प्लास्टिक है।
अमेरिका की न्यू मैक्सिको यूनिवर्सिटी में फार्मास्युटिकल साइंस के रीजेंट प्रोफेसर और स्टडी के लीड ऑथर मैथ्यू कैम्पेन ने कहा कि साल 2016 की तुलना में ब्रेन में प्लास्टिक की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ी है और इससे ब्रेन की समस्याओं का खतरा बढ़ गया है. हालांकि अभी तक प्लास्टिक से किसी तरह की डैमेज की जानकारी नहीं मिली है. यह समझने के लिए ज्यादा रिसर्च की जरूरत है कि प्लास्टिक के ये कण ब्रेन सेल्स पर क्या असर डालते हैं. स्टडी के अनुसार डेडबॉडीज से लिए गए सैंपल्स में पता चला कि किडनी और लिवर की तुलना में ब्रेन में 7% से 30% ज्यादा प्लास्टिक के टुकड़े थे।