पंचतत्व में विलीन हुए वरिष्ठ समाजसेवी, रंगकर्मी, शिक्षाविद्, नाटककार जे सी पालीवाल
बरेली, 12 जुलाई। जाने माने वरिष्ठ समाजसेवी, रंगकर्मी, शिक्षाविद्, नाटककार जे सी पालीवाल इस दुनिया में नही रहे। दिल्ली में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से हर जगह शोक की लहर दौड़ गई। 90 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। बरेली वासियों को उनकी खमी हमेशा खलेगी। बरेली के सिटी शमशान भूमि पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। अंतिम संस्कार में शहर के सभी बुद्धिजीवी वर्ग के लोग उन्हें अंतिम श्रंधांजली देने पहुंचे। जे सी पालीवाल कई दिनों से बीमार चल रहे थे और दिल्ली में उनका इलाज चल रहा था। उनके इकलौते बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी।
आइए एक नजर डालते है उनके अब तक के सफर पर
जगदीश चन्द्र पालीवाल का जन्म फिरोजाबाद के (उत्तर प्रदेश) में 3 जुलाई, 1934 को एक जमीदार घराने में हुआ। इनके पिता प० महेन्द्र दत्त पालीवाल जनपद फिरोजाबाद के विशिष्ट घरानों में से एक थे। इनके भाई ओम प्रकाश पालीवाल तथा तहेरे भाई राम चन्द्र पालीवाल स्वतंत्रता संग्राम में सदैव सक्रिय रहे तथा विधायक भी रहे। जगदीश चन्द्र पालीवाल ने भी अपना बचपन स्वतंत्रता आन्दोलन के समय में पुलिस के उत्पीड़न के बीच बिताया। इनके 6 भाई तथा 3 बहिने थी।
पालीवाल के एक पुत्र तथा दो पुत्रियाँ हैं। पालीवाल ने स्नातक तक की शिक्षा नागरपुर से प्राप्त की है। तत्पश्चात् इन्होंने वर्ष 1954 में रेलवे की नौकरी इलाहाबाद में प्राप्त की। वहाँ से गोरखपुर होते हुय वर्ष 1956 में बरेली आये। इससे पूर्व 1952 व 1954 में का समय नागपुर (महाराष्ट्र) में बिताया। शिक्षा ग्रहण के समय से ही नाटक के क्षेत्र में प्रवेश किया। तिलक इण्टर कालेज में 1950-1952 तक छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। हॉकी के खिलाड़ी के रूप में ख्याति प्राप्त की कप्तानी करते हुए आगरा, अलीगढ़, मैनपुरी में कई मैच खेले।
पालीवाल ने बरेली को कर्मभूमि बनाया। कल्चरल सोसाइटी की स्थापना वर्ष 1956 में ही बरेली में की। वर्ष 1957 में एन. ई. रेलवे सोसाइटी के सचिव बने। दोनों संस्थाओं को एक करके इसी वर्ष इसका नाम कल्चरल एसोसिएशन रखा। इसी वर्ष शिमला में नाटक मंचन किया। वर्ष 1957 से 1960 तक शिमला, गोरखपुर, लखनऊ के अतिरिक्त ग्वालियर की अखिल भारतीय नाटक प्रतियोगिता में भाग लिय तथा इन शहरों में सर्वश्री ओ० पी० नैय्यर, बलराज साहनी, सुचित्रा सेन, अचला सचदेव इत्यादि के सम्पर्क में आये।
पालीवाल ने 160 नाटकों में अभिनय किया। अन्तिम बार 1997 में कीचड़ का फूल” नामक नाटक डाक्टर सदर मोहन लाल के निर्देशन में अभिनय किया। 1997 के पश्चात 1986 तक 216 नाटकों का सफल निर्देशन किया। 1987 से बरेली में जनपद प्रतियोगिता तथा 1995 से प्रादेशिक नाटक प्रतियोगिता बरेली में प्रारम्भ की, जो निश्चित तिथि, स्थान व समय व बिना किसी रुकावट के आज भी आयोजित होती है। यहाँ तक कि इस बीच शहर में दो बार कर्फ्यू भी लगा लेकिन पालीवाल जी के नेतृत्व में रंगकर्मियों ने शांति सदभावना पदयात्रा निकालकर शांति स्थापित की। उक्त प्रतियोगितायें राष्ट्रीय पर्व से जुड़ी हैं। 15 अगस्त से पांचाल महोत्सव, 2 अक्टूबर से रोहिलखण्ड महोत्सव और 26 जनवरी से बरेली महोत्सव के रूप में यह सभी अपनी पहचान बना चुकी है। सभी नाटकों का लक्ष्य साम्प्रदायिक सदभाव रहता है।
पालीवाल जी 60 से अधिक सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थाओं के संरक्षक तथा वरिष्ठ पदाधिकारी रहे हैं जो सामाजिक समस्याओं के उन्मूलन में सदैव सक्रिय रहते हैं जैसे – एड्स नियंत्रण, पल्स पोलियो अभियान, दहेज उन्मूलन इत्यादि। पालीवाल जी एक नाटककार के रूप में भी अत्यन्त सक्रिय रहे। इनके लिखे नाटकों में नई किरण, वक्त की” आवाज, चिटठी आई है, नया सवेरा, मौत का सौदागर, मेरी आवाज सुनो तथा हम सब एक है प्रमुख है।
पालीवाल जी साम्प्रदायिक सद्भाव बनायें रखने के लिये उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त विभिन्न प्रदेशों में सक्रिय रहे। इनके द्वारा 1989 में स्थापित कौमी एकता एसोसियेशन अत्यन्त सक्रिय भूमिका निभाती है। कौमी एकता के क्षेत्र में, उल्लेखनीय योगदान के लिए 2 अक्टूबर 1992 को भारत सरकार द्वारा इन्हें कबीर पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की गई, जो इन्हें 13 अगस्त 1994 को भारत के महामहिम राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा द्वारा राष्ट्रपति भवन के अशोका हाल में पूर्ण गरिमा के साथ प्रदान किया गया। पालीवाल जी नियमित रूप से प्रतिवर्ष नवंबर माह में कौमी एकता सप्ताह, जून में कबीर जयंती, मई में राष्ट्रीय एकता पखवाड़ा का आयोजन करते थे। इसके अतिरिक्त सभी धर्मों के त्योहार व महापुरुष की जयंती मनाना इनका प्रमुख कार्य है।
शिक्षण संस्थायें : – श्री पालीवाल 15 शिक्षण संस्थाओं में संरक्षक, अध्यक्ष या प्रबन्धक है । विभिन्न शिक्षण संस्थाओं को आर्थिक, नैतिक तथा सक्षम नेतृत्व प्रदान करते हैं। शिक्षा के प्रचार-प्रसार में सक्रिय हैं। इसके अतिरिक्त श्री पालीवाल जिला साक्षरता समिति कि कार्यकारिणी तथा कोर कमेटी के सदस्य हैं तथा निरक्षरता के कलंक को मिटाने में पूर्ण रूपेण समर्पित हैं।
मजदूर संगठन :- श्री पालीवाल पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के केन्द्रीय उपाध्यक्ष है। इस संस्था के सदस्यों की संख्या 55 हजार है। श्री पालीवाल रेल मजदूरों की समस्याओं के निराकरण के लिए रेलवे बोर्ड तक सक्रिय रहते हैं। इसके अतिरिक्त राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, राज्य कर्मचारी महासंघ के संरक्षक तथा एस.टी. / एस.सी. एसोसियेशन, डॉ. अम्बेदकर बहुजन हिताय समिति के संरक्षक के रूप में सक्रिय रहकर दलित, शोषित तथा कमजोर वर्ग-विशेष रूप से महिलाओं के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कार्य करते हैं।
स्काउट-गाईड संगठन :- श्री पालीवाल स्काउट गाइड के आजीवन सदस्य है। वर्तमान में सहायक राज्य आयुक्त (स्काउट) हैं। विभिन्न अवसरों पर जैसे रामगंगा पर गंगास्नान पर्व होली. दीपावली, ईद, क्रिसमस, मोहर्रम पर समाज सेवा शिविर आयोजित करना और सभी धर्मों में समन्वय व भाईचारा कायम करना इनका चिर-परिचित कार्य है।
अल्पसंख्यक, दलित, पिछड़ा तथा दुर्बल वर्ग : सामाजिक न्याय कार्य :- श्री पालीवाल कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए समय-समय पर रैलिया निकालकर इन्हें जागरूक रहते हैं। अतः सभी धर्मों व वर्गों से इनकी विशेष पहचान है।