एक ऐसा अनोखा मंदिर जहां लगती है यमराज की कचहरी, यही से तय होता है स्वर्ग नर्क का रास्ता, क्या है रहस्य

स्वाभिमान डेस्क 26 जुलाई। एक ऐसा अनोखा
मंदिर जहां आज भी यमराज की कचहरी लगती है। मृत्यु के बाद किसी भी जीव, मनुष्य, प्राणी की आत्मा को यमदूत यमराज के मंदिर में लेकर जाते है जहां भगवान चित्रगुप्त फैसला करते है ये कौनसी आत्मा स्वर्ग जायेगी और कौन सी नर्क।

यमराज का प्राचीन मंदिर हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में भरमौर नामक जगह पर स्थित है। ये मंदिर एक घर की तरह दिखता है। माना जाता है कि मंदिर में चार अदृश्य द्वार हैं जो स्वर्ण, रजत, तांबा और लोहे के बने हैं। यमराज के फैसले के बाद यमदूत आत्मा को कर्मों के अनुसार इन्हीं द्वारों से स्वर्ग या नर्क में ले जाते हैं। गरुड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वार का उल्लेख मिलता है।

मंदिर में यमराज के अलावा अन्य देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं। मंदिर के भीतर एक बड़ा महाशय्य भी है, जिसे ‘यमला जी’ कहा जाता है। इस महाशय्य को अपने कर्मों के फलों के लिए जाना जाता है और यहां पर से यमराज को अपने धर्मस्थल पर जाने के लिए निकासी दी जाती है।

यमराज मंदिर में यमराज के अलावा उनकी पत्नी चित्रगुप्ता, ऋषि मार्कंडेय, भगवान शिव, भगवान विष्णु, भगवान ब्रह्मा, महाकाल और धर्मराज युधिष्ठिर जैसे देवताओं की मूर्तियां हैं।

यमराज मंदिर का एक रहस्य यह है कि इसमें शवों का धार्मिक अर्थ है। यहां लोग अपने मृत रिश्तेदारों के लिए पूजा करते हैं जिससे उनकी आत्मा की शांति मिलती है।

यह मंदिर उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो मृत्यु के बाद अपने शरीर को दान करना चाहते हैं। इस मंदिर में शवों को दान करने का परंपरागत तरीका है जिसे ‘बैठक’ कहा जाता है। यह एक अनूठी प्रथा है जो केवल इस मंदिर में होती है।

इस रूप में, यमराज मंदिर हिमाचल प्रदेश में एक अनोखा धार्मिक स्थल है जो शवों की शांति और सुख के लिए जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां आने से लोग अपनी दिल की बीमारी से भी निजात पा सकते हैं।

यमराज मंदिर में शांति के लिए कुछ धार्मिक रीति-रिवाज होते हैं जो इस प्रकार हैं:

1. शव दान: यहां लोग अपने मृत रिश्तेदारों के शवों को धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार धार्मिक अंतिम संस्कार से पहले यमराज मंदिर में लाते हैं। इन शवों को धर्मालय में रखा जाता है और धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार उनकी आत्मा की शांति की जाती है।

2. प्रार्थना और पूजा: यमराज मंदिर में लोग यमराज जी की पूजा करते हैं और उनसे अपनी समस्याओं का समाधान मांगते हैं। लोग यहां शांति और सुख के लिए प्रार्थना करते हैं और यमराज जी को भोग चढ़ाते हैं।

3. धार्मिक उत्सव: यमराज मंदिर में धार्मिक उत्सव भी मनाये जाते हैं। सभी विशेष अवसरों पर यमराज मंदिर में धार्मिक रूप से विशेष पूजाएं और आरतियां की जाती हैं।

4. बैठक: यह एक अनूठी प्रथा है जो केवल यमराज मंदिर में होती है। इसमें लोग अपने मृत रिश्तेदारों के नाम पर बैठे होते हैं। इस रीति-रिवाज के अनुसार, शव दान के बाद शव को यमराज मंदिर में रखा जाता है और उसके नाम पर बैठक की जाती है। इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

By Anup