स्वाभिमान टीवी, डेस्क। केंद्र सरकार के निर्णय के बाद अब यूनीफाइड पेंशन स्कीम को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस पर सियासत भी खूब हो रही है। फिर महाराष्ट्र सरकार ने अपने राज्य में यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी कि यूपीएस को लागू करने की मंजूरी भी दे दी है। इसके तहत राज्य के सरकारी कर्मचारियों को एक नई और लाभकारी पेंशन व्यवस्था मिलेगी। यूपीएस के तहत रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को उनकी 12 महीने की औसत बेसिक सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। लेकिन इस नई स्कीम के आने से सरकारी खजाने पर कितना लोड पड़ेगा, यह भी एक सवाल है।
केंद्र सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी कि यूपीएस को मंजूरी दे दी है, जिसके जरिए सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलेगी। यह स्कीम 1 अप्रैल 2 हज़ार 25 से लागू हो जाएगी।
जहां इस स्कीम की तुलना पुरानी पेंशन स्कीम यानी कि ओपीएस से हो रही है तो वहीं कुछ लोगों ने कहा है कि इससे सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ेगा। तो एक तरफ यूपीएस को लेकर विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। कांग्रेस ने कहा है कि अगर उसकी सरकार बनेगी तो वो यूपी को खत्म करके ओपीएस लेकर आएगी। लेकिन यूपीएस लागू होने के बाद सरकारी खजाने पर हर साल छह हज़ार 200 ₹50 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इस योजना का फायदा 23 लाख सरकारी कर्मचारियों को होगा। अब यूपी इस स्कीम को लेकर राजनीति भी खूब होने लगी है। केंद्र की इस योजना को अपने राज्य में लागू करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य बन गया है। कयास है कि उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार भी बहुत जल्द इस नई यूपीएससी स्कीम को लागू करने वाली है। केंद्र सरकार की घोषणा के एक दिन बाद ही महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को राज्य कर्मचारियों के लिए भी इस योजना को अपने राज्य में लागू कर दिया है।
महाराष्ट्र में यूपी को मार्च 2 हज़ार 24 से लागू माना जाएगा। इससे राज्य के 16 लाख कर्मचारियों को सीधा फायदा होगा। हालांकि इसमें करीब ढाई लाख पद खाली हैं। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से यूनिफाइड पेंशन स्कीम की शुरुआत की गई है। इस योजना को एनपीएस यानी कि पुरानी पेंशन व्यवस्था को समाप्त कर लाया गया है। इसके अलावा बुजुर्गों के लिए अलग महामंडल की स्थापना भी की गई है जिसका लाभ 1,25,00,000 सीनियर सिटीजन्स को मिलेगा। इसके लिए ₹50 करोड़ का फंड निर्धारित किया गया है। बता दें कि इस योजना के शुरू होने से राज्य कर्मचारियों की पेंशन महंगाई के अनुसार समय समय पर बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को पेंशन का 60% हिस्सा मिलेगा। यह स्कीम मार्च 2 हज़ार 24 से लागू होगी और यह एनपीएस की जगह लेगी। यूपीएस के अंतर्गत कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर एकमुश्त राशि और ग्रेच्युटी भी मिलेगी, जो उनकी सेवा अवधि और वेतन के आधार पर निर्धारित की जाएगी।
विपक्ष ने उठाए सवाल
इस मुद्दे पर अब विपक्ष के लोग सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिए एकीकृत पेंशन योजना यूपी की घोषणा पर महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, केंद्र सरकार पुरानी पेंशन योजना क्यों लागू नहीं कर रही है। कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि पुरानी पेंशन योजना लागू की जानी चाहिए।
कर्मचारियों से पैसे लेकर कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना बनाना जो पुरानी पेंशन योजना थी वो सरकार क्यों नहीं लागू कर रही है? ये सवाल है जब नरेंद्र मोदी की सरकार जब से आई तब से जो बनियागिरी शुरू है, किसानों से भी उन्होंने वही काम किया। गरीबों से और मध्यमवर्गीय से भी वही काम किया। कर्मचारियों से भी वही काम कर रहे हैं और इसलिए पुरानी पेंशन का जो स्कीम था, वही लागू करना चाहिए। ये कांग्रेस की मांग है।
देखिए कोई भी चीज अगर जो संघटना होती है जैसे कि अभी जो एम्प्लॉई संघटना है यहां की, अगर उन्होंने उसका स्वागत किया होगा तो हमको भी स्वागत करना पड़ेगा। अभी उसके डिटेल्स में मैं नहीं गया हूं। और दूसरी बात, जो सेंट्रल एम्प्लॉई, जो यूनियन है इंडिया की, उन्होंने कहा है कि कोई भी पक्ष अगर सत्ता में हो या विरोध में हो, इस चीज की राजनीति नहीं करना चाहिए। इसलिए अगर उन्होंने यह एक्सेप्ट किया होगा या स्वागत किया होगा तो हम भी करेंगे। किन उसके डिटेल में जाकर उस पर ज्यादा हम बता सकते हैं।
बता दें कि सरकार यूपीए के तहत अपना योगदान बढ़ा रही है, लेकिन कर्मचारियों का योगदान मूल वेतन के 10% पर बरकरार रहेगा। इसके अलावा 31 मार्च 2 हज़ार 25 से पहले सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली एनपीएस के तहत 800 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान किया जाना है। यह सेवानिवृत्त कर्मचारी यदि ईपीएस का विकल्प चुनते हैं तो उन्हें बकाया राशि मिलेगी। एनपीएस एक अंशदायी योजना है, जबकि इससे पहले की पेंशन योजना में सरकार ने अंतिम मूल वेतन का 50% भुगतान करने का वादा किया था। एनपीएस 1 जनवरी 2 हज़ार चार से लागू हुई थी। दूसरी ओर ईपीएस सेवा अवधि के आधार पर सुनिश्चित पेंशन देने की परिकल्पना करती है।