एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट 2023: उत्तर प्रदेश में हड़ताल कर रहे वकील एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करने की मांग कर रहे हैं| उन्होंने हापुड़ लाठीचार्ज के बाद इसे पांच अहम मांगों में शामिल किया है|
लखनऊ: अधिवक्ता संरक्षण कानून यानी एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट (Advocate Protection Act) को लेकर यूपी में अधिवक्ता आंदोलन पर उतारू है| हापुड़ में वकीलों पर लाठीचार्ज की घटना के बाद यह उनकी प्रमुख मांगों में शुमार हो गया है| इससे पहले राजस्थान में यह कानून लागू हो चुका है| बार काउंसिल ऑफ इंडिया और राज्यों की बार एसोसिएशन भी केंद्र और राज्य सरकारों से ऐसे मांग करती रही है|
वकीलों के खिलाफ हिंसा को गैर जमानती बनाने की मांग
अधिवक्ताओं का कहना है कि जिस प्रकार डॉक्टरों के लिए उत्तर प्रदेश में यूपी मेडिकेयर सर्विस पर्सेंस एंड मेडिकेयर सर्विस इंस्टीट्यूशंस (हिंसा और संपत्ति की क्षति रोकथाम अधिनियम 2013) को लागू किया गया है| उसी तरह अधिवक्ताओं के संरक्षण को लेकर कानून लाया जाए| इस कानून में डॉक्टर से मारपीट करने या अस्पताल में तोड़फोड़ करने पर तीन साल कैद और 50 हजार रुपये तक का जुर्माने का प्रावधान है|ये अपराध गैरजमानती भी बनाया गया है|
आपराधिक कार्यवाही से छूट मांगी
वकीलों का कहना है कि उनका काम भी जोखिम भरा है| पुलिस प्रशासन के दबाव के बीच उन्हें न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना है| आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से भी उन्हें खतरा रहता है| जजों और नौकरशाहों को जिस तरह से न्यायिक कार्य के दौरान किसी भी तरह के आपराधिक मुकदमे से छूट है| वैसा ही सुरक्षा कवच उन्हें मिलना चाहिए| अधिवक्ताओं को भी भय और हिंसा की आशंका के बीच कायम करना पड़ता है|कुछ अधिवक्ताओं ने माफिया अतीक अहमद के वकील विजय मिश्रा की गिरफ्तारी के मामले का भी हवाला दिया है|
एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट 2021
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 2 जुलाई 2021 को इसका मॉडल विधेयक सामने रखा था| इसका उद्देश्य अधिवक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ न्यायिक कार्य में आने वाली अड़चनों को कम करना था|
पांच साल तक सजा का प्रावधान
इसमें अधिवक्ताओं के खिलाफ अपराधों पर 6 माह से लेकर 5 साल तक की सजा का प्रावधान है| गंभीर मामलों में 10 साल की सजा हो सकती है| जुर्माना 50 हजार रुपये से लेकर 10 लाख तक हो सकता है| यह बिल अदालतों की गलतियों के कारण नुकसान झेलने वाले अधिवक्ताओं को मुआवजा पाने का अधिकार देता है|
क्या कहता है अधिवक्ता संरक्षण कानून
अपराधों की जांच पुलिस अधीक्षक स्तर से ऊपर हो|
एफआईआर के 30 दिनों के भीतर पूरी हों जांच|
जांच के दौरान अधिवक्ताओं को पुलिस सुरक्षा मिले|
जिला, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट स्तर पर निवारण समिति हो|
अधिवक्ताओं को मिले संरक्षण
समितियां वकीलों और बार एसोसिएशनों की शिकायतें सुनें |
अधिवक्ताओं को उनके खिलाफ मुकदमों से संरक्षण मिले|
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना वकील की गिरफ्तार न हो|
वकील के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण कारणों से एफआईआर हो तो मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को जमानत देने का हक मिले|
आपदा के समय वकीलों को 15 हजार प्रति माह मदद मिले|