लखनऊ के लेवाना होटल में आग लगने से हुई मौत के लिए जितना जिम्मेदार होटल का मालिक है उससे ज्यादा जिम्मेदार लखनऊ विकास प्राधिकरण, अग्निशमन विभाग, नगर निगम, पॉल्यूशन विभाग है। इन विभागों में तैनात अफसर सिर्फ नोटिस नोटिस का खेल खेलते रहते है, और सारा ठीकरा पुलिस पर फोड़ देते है। हर जगह अतिक्रमण, अवैध कलोनिया, जगह जगह गंदगी के ढेर है। लेकिन इनके विभाग सिर्फ नोटिस देने के अलावा कुछ नही करते। ऐसे में या तो ये सब विभाग ही खत्म कर देने चाहिए, वर्ना इनकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। पिछले 20 सालो में उत्तर प्रदेश में करोड़ों रुपए की सरकारी जमीनों पर कब्जे हुए, हजारों अवैध कालोनियां बनी, रिहासी इलाको में व्यावसायिक प्रतिष्ठान शुरू हो गए, ज्यादातर शहरो में कूड़े के निस्तारण के लिए भी कोई काम नही हुआ, बाजारों में जितनी दुकान अंदर उतनी ही बाहर, लेकिन सब अधिकारी सोते रहे। जब जब कही कोई हादसा हुआ तो इन विभागों ने रसमदायगी शुरू कर दी, उसके बाद फिर जैसे का तैसा ही। सरकार कोई भी रही हो लेकिन इन विभागों के अफसरों पर किसी ने भी कोई कार्यवाही नहीं की, इनकी जबाबदेही तक तय नहीं की गई। हादसों के बाद इन विभागों के अफसरों को सजा नही दी गई। सब अधिकारी मौज में है, करोड़ों रूपया कमा लिया है। ऐसे में अब सरकारों को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। हमे हर काम की जिम्मेदारी पुलिस पर ही नही थोपनी होगी।