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बारिश के मौसम में होता है कई बीमारियों का खतरा, डॉक्टर से जानें क्या हैं लक्षण और बचाव

स्वाभिमान टीवी, डेस्क। चिलचिलाती गर्मी से राहत देने वाली बरसात अब होने लगी है। हालांकि, ये बारिश राहत के साथ ही कई बीमारियां अपने साथ लेकर आती है। इस मौसम में कई खतरनाक बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस बारे में डॉक्टर्स का क्या कहना है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बरसात के मौसम में वातावरण में नमी आ जाती है। इस वजह से बैक्टीरिया और वायरस को पनपने के लिए अनुकूल मौसम मिल जाता है, जो कई बीमारियों का कारण बनते हैं। डॉक्टर प्रमेंद्र माहेश्वरी बताते है कि जुलाई, अगस्त, सितंबर के महीने होते हैं। इनमें बहुत सारे मरीजों को लूज मोशन, दस्त या उल्टी की बहुत सारी प्रॉब्लम होती है। लोगों को बुखार आते हैं। यह बुखार अलग अलग प्रकार के हो सकते हैं।

फूड पॉइजनिंग की वजह से हो रहे हैं, टाइफाइड की वजह से हो रहे हैं या वायरल फीवर की वजह से हो रहे हैं तो अलग अलग प्रकार के बुखार होते हैं और कभी कभी ऐसे मौसम में बहुत मच्छर होने लगते हैं तो मलेरिया और डेंगू इनका प्रकोप बहुत ही ज्यादा रहता है। पेशेंट यूजुअली बुखार या शरीर के टूटने की या उल्टी दस्त की प्रॉब्लम लेकर आते हैं। उनको पेट में दर्द भी हो रहा होता है। कभी कभी पेशेंट को सर में दर्द बहुत ज्यादा हो रहा होता है तो यह अलग अलग प्रकार के प्रकार के लक्षण है।

फूड पॉइजनिंग का खतरा

अगर सिर्फ उल्टी या दस्त है और आपको लगता है कि कुछ बाहर का खाना खाया है तो हो सकता है किसी प्रकार की फूड पॉइजनिंग हो जो बरसात के दिनों में बहुत कॉमन होती है। फूड पॉइजनिंग में जो पहला सिम्टम होता है वो पेट में दर्द रहेगा। या पेशेंट को लगातार उल्टियां आएंगी और कुछ भी खाएगा तो उसे उल्टी होने लगेंगी। उनको लूज मोशन यानी दस्त हो जाएंगे और कभी कभी यह दस्त बहुत पानी की तरह छूट जाते हैं। इसकी वजह से लोगों को डिहाइड्रेशन यानी शरीर में नमक और पानी की कमी होने लगती है। जब कभी ऐसा लगता है तो तुरंत आपको अपनी बॉडी को हाइड्रेट रखना है। मतलब पानी की कमी ना हो और खूब अच्छे से पानी पिए। उसमें थोड़ा सा नमक चीनी का घोल भी डालकर पी सकते हैं। .

ऐसे करें बचाव

बाजार में इसको ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन ओआरएस के नाम से भी मिलता है। जो नारियल का पानी होता है उसमें भी बहुत सारे मिनरल्स होते हैं तो नारियल का पानी पीना भी बहुत लाभदायक है। सिमिलरली आप ग्लूकोन जो ग्लूकोस मिलाकर भी बहुत सारे लोग पानी पी सकते हैं लेकिन इसमें यह देखना होगा कि उनको कोई डायबिटीज वगैरह तो नहीं है। जो पेशेंट पहले से हार्ट के मरीज है। जो पेशंट पहले से किडनी की दवाइयां खा रहे हैं या उनको कोई अन्य रोग है उनको इस तरह के लूज मोशन को थोडा सा सीरियसली लेना होता है। आप एक सामान्य मरीज में कभी उल्टी दस्त हो जाए वो अलग चीज होती है। लेकिन अगर पेशेंट कुछ प्रोन है उनको हार्ट की प्रॉब्लम है उनको किडनी की प्रॉब्लम है, उनको डायबिटीज है तो ऐसे पेशेंट में जरा सी देर में उल्टी दस्त जानलेवा भी बन जाते हैं। तो अगर उल्टी दस्त कभी ऐसे होते हैं पेट में दर्द होता है, कभी कभी बहुत तेजाब बनने लगता है।

पेट में एसिडिटी होने लगती है तो आप अपने डॉक्टर को दिखाइए वो आपको जांच परीक्षण करेंगे और फिर उन फूड पॉइजनिंग की जो मेडिसिन होती है ज्यादातर पेशेंट दवाइयों से सही हो जाते हैं या खाने के परहेज से सही हो जाते हैं। कुछ पेशेंट जिनका बीपी बहुत लो हो जाए, जिनका पल्स बहुत बढ़ जाए या जिनके पेट में बहुत तेज दर्द हो, उनको इंजेक्शन आदि के लिए हम लोग अस्पताल में भी भर्ती करते हैं और फिर उनकी खून की अल्ट्रासाउंड की पेट की जांच कराकर यह देखने की कोशिश करते हैं कि कारण क्या था।

लगभग ऐसा मान के चलिए 80 से 90% पेशेंट तो घर पर ही परहेज से और दवाइयों से और खूब पानी पीने से ठीक हो जाते हैं। 10% पेशेंट ऐसे हो सकते हैं जिनको अस्पताल में डॉक्टर की सहायता लेनी पड़े, एडमिट होना पड़े और अपना इलाज कराना पड़े। हाथ खूब अच्छे से धोइए। आपके हाथ धुले हुए साफ होने चाहिए। जो कुछ भी खाना खाए वो खाना फ्रेश बना हुआ होना चाहिए।

रखा हुआ नहीं होना चाहिए। बाहर बाजार में कटे हुए फल रखे हुए समोसे पकौड़ियाँ इस तरह के गंदे तेल में बने हुए खाने या कभी कभी बहुत से लोग जूस पीते हैं। वहां जाकर वह जूस शुद्ध नहीं होता। उसके अंदर कुछ चीनी या कुछ इस तरह की चीजें मिक्स कर दी जाती है। स्वाद बढाने के लिए उन चीजों से फूड पॉइजनिंग होती है। जहां भी कोई गंदगी होगी, जहां मक्खी मच्छर बैठे होंगे। इस प्रकार की बहुत सी मिठाइयां खुली ओपन में होती है। उन खुली हुई मिठाइयों को खुले हुए कटे हुए फलों को बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए। फ्रेश फूड खाइए। वह सबसे अच्छा तरीका है किसी भी फूड प्वाइजनिंग से बचने का। छोटे बच्चों में पाँच वर्ष से छोटे बच्चे हो और 60 वर्ष से ऊपर के लोग हो। इन लोगों में उल्टी दस्त को हमेशा थोड़ा सीरियसली ले।

उनका उनका ध्यान रखें। क्योंकि ऐसे पेशेंट में बहुत रिजर्व बॉडी रिजर्व नहीं होता और वह बहुत जल्दी उनके साथ कोई चीज सीरियस हो सकती है। तो और बहुत से अन्य अदरवाइज इस तरह की उल्टी को सामान्य दवाइयों से बहुत अच्छे से कंट्रोल कर लिया जाता है। इनमें हम लोग देखते हैं कि बैक्टीरियल डायरिया है कि वायरल डायरिया है या किस वजह से टाइफाइड है। उनके खून की जांच करके उनकी जब दवाई दी जाती है, लगभग लगभग एक दो दिन में ही पेशेंट को आराम आने लगता है और सबसे अच्छी चीज है इन सब चीजों से बचाव और जानकारी। आने वाले बारिशों में अगर आपको उल्टी दस्त से बचना है, आपको अपना थोडा सा खाने पीने का ध्यान रखना पड़ेगा। बाहर की चीजों को अवॉइड करना पडेगा। फ्रेश खाना फ्रेश को मतलब साफ स्वच्छ बना हुआ खाना खाइए तो सबसे अच्छा रहता है और बाजार के खाने को तो अवॉइड ही करिए वो सबसे बढ़िया रहेगा। थैंक यू।