डिजिटल अरेस्ट जैसे गंभीर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए ADG रमित शर्मा की पहल
**”Strengthening Cyber Security” कार्यशाला में 200 से अधिक पुलिसकर्मियों को मिला साइबर सुरक्षा का प्रशिक्षण**
**एडीजी बरेली जोन रमित शर्मा ने साइबर थानों की कार्यप्रणाली सुधारने पर दिया जोर**
**साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए पुलिसकर्मियों को नई तकनीकों का प्रशिक्षण**
**साइबर अपराधों से निपटने के लिए पुलिसकर्मियों में जागरूकता और क्षमता वृद्धि पर जोर**
**बरेली जोन में साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए पुलिसकर्मियों को विशेषज्ञों ने दिए टिप्स**
बरेली, 27 अक्टूबर। हाल के दिनों में बढ़ती साइबर अपराध की घटनाओं की रोकथाम के लिए बरेली जोन के एडीजी रमित शर्मा ने पुलिसकर्मियों के साथ एक कार्यशाला की। बरेली समेत प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर में डिजिटल अरेस्ट के मामले भी काफी बढ़े है। चंद मिनटों में लोगो के खातों से हजारों लाखों रुपए गायब हो जा रहे है। ऐसे में लोगों को जागरूक करने की बहुत ज्यादा जरूरत है।
आज का दिन बरेली जोन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए बरेली जोन के अपर पुलिस महानिदेशक, रमित शर्मा द्वारा एक अनूठी पहल की गई है। साइबर सुरक्षा के प्रति पुलिस अधिकारियों की क्षमता को मजबूत बनाने के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का नाम था – *”Strengthening Cyber Security: Empowering Police Officers to Combat Cybercrimes”*।
यह कार्यशाला आज, दिनांक 27 अक्टूबर 2024 को, बरेली के फ्यूचर विश्वविद्यालय में आयोजित की गई। इसमें बरेली जोन के 9 जिलों से 200 से अधिक पुलिस अधिकारी और कर्मचारीगणों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला का उद्देश्य साइबर अपराधों की जांच और सुरक्षा उपायों पर पुलिसकर्मियों को नवीनतम जानकारी और तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करना था।
कार्यशाला का शुभारंभ अपर पुलिस महानिदेशक, बरेली जोन, रमित शर्मा और साइबर सुरक्षा सलाहकार, राहुल मिश्रा द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया। यह आयोजन ना सिर्फ पुलिसकर्मियों के लिए महत्वपूर्ण था, बल्कि इससे समाज में साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी एक महत्वपूर्ण संदेश दिया गया।
एडीजी रमित शर्मा ने कहा कि “हम आज के इस डिजिटल युग में जी रहे हैं, जहां तकनीक ने हमारे जीवन को सहज बना दिया है। लेकिन इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि तकनीक का गलत उपयोग साइबर अपराधों का रूप ले सकता है। विशेष रूप से वित्तीय धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाएं हमारे सामने एक चुनौती बन कर खड़ी हैं। हमें इन अपराधों के प्रति सजग रहना होगा और हर शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करनी होगी।”
एडीजी रमित शर्मा ने उभरते साइबर अपराधों पर गहराई से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तकनीक का गलत उपयोग, खासकर वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में, समाज में गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न कर रहा है। उन्होंने पुलिसकर्मियों से त्वरित और सटीक कार्यवाही पर जोर दिया।
साइबर थानों और हेल्प डेस्क के बारे में एडीजी रमित शर्मा का सुझाव
एडीजी रमित शर्मा ने कहा कि (गंभीरता के साथ) “हमारे साइबर थानों को इस बात पर ध्यान देना होगा कि पीड़ित की शिकायत को पूरी तरह से समझें और उन्हें अपराध की ट्रैकिंग की जानकारी दें। साइबर हेल्प डेस्क पर मौजूद पुलिसकर्मियों को सक्षम होना चाहिए ताकि वे पीड़ित की रिपोर्ट तुरंत दर्ज कर सकें। पुलिसकर्मियों को साइबर अपराधों को रोकने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के प्रति अपने दायित्वों को और भी गंभीरता से लेने के लिए प्रेरित किया।”
कार्यक्रम के रिसोर्स पर्सन, राहुल मिश्रा ने पुलिसकर्मियों को साइबर अपराधों के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया। उन्होंने साइबर अपराधों की पहचान, उनके प्रकार और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में गहराई से जानकारी दी। श्री मिश्रा ने यह भी कहा कि साइबर अपराधों के प्रति आम जनता को जागरूक करना भी बेहद आवश्यक है।
“साइबर अपराध सिर्फ तकनीकी ज्ञान से ही नहीं, बल्कि आम जनता की जागरूकता से भी रोके जा सकते हैं। हमें समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत है ताकि लोग ऐसे अपराधों से खुद को बचा सकें।”
इस कार्यशाला में फ्यूचर विश्वविद्यालय के चांसलर मुकेश गुप्ता, वाइस चांसलर प्रोफेसर पंकज कुमार मिश्रा, बरेली एसपी क्राइम मुकेश प्रताप सिंह और बरेली जोन के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। इन सबने कार्यशाला की सराहना की और भविष्य में इस तरह की और पहल करने की आवश्यकता बताई।
बरेली जोन द्वारा की गई यह पहल निश्चित ही सराहनीय है। इस कार्यशाला के माध्यम से पुलिसकर्मियों को साइबर सुरक्षा के आधुनिक उपकरण और तकनीकी जानकारी प्राप्त हुई, जिससे वे साइबर अपराधों के प्रति और भी सजग होंगे। समाज में साइबर अपराधों को रोकने और नागरिकों को सुरक्षित रखने की दिशा में यह कार्यशाला एक महत्वपूर्ण कदम है।
बरेली जोन के अपर पुलिस महानिदेशक की यह पहल साइबर अपराधों की रोकथाम और पुलिसकर्मियों की दक्षता को बढ़ाने के प्रति एक सकारात्मक कदम है। हमें आशा है कि इस तरह की कार्यशालाएँ पुलिसकर्मियों को और सशक्त बनाएंगी और साइबर अपराधों पर अंकुश लगाएंगी।