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भारतीय संगीत और कला को संरक्षण का प्रयास

भारतीय संगीत और कला को संरक्षण का प्रयास

रिद्धिमा के दूसरे स्थापना दिवस पर श्रीराम मूर्ति जी को किया याद

-पिछले वर्ष 24 नाटकों का हुआ मंचन
-चित्रकला प्रतियोगिता, नृत्य कला की वर्कशॉप आयोजित
-प्रख्यात कथक नृत्यांगना कमलिनी ने किया सम्मान
-स्वतंत्रता सेनानी श्रीराम मूर्ति जी को समर्पित नाटक संस्कार का मंचन

बरेली, 9 फरवरी। एसआरएमएस रिद्धिमा के दूसरे स्थापना दिवस पर संस्थापक देवमूर्ति ने प्रेरणास्रोत स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व मंत्री समाजसेवी श्रीराम मूर्ति को याद किया. उन्होंने कहा कि आज उनकी 113वीं जयंती है. संगीत के प्रति बाबूजी के लगाव से प्रेरित होकर दो वर्ष पहले उनकी याद में नृत्य, संगीत, कला, अभिनय को समर्पित इस संस्थान की स्थापना की गई. खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय से मान्यता हासिल करने वाला यह संस्थान भारतीय संगीत और कला को संरक्षित करने में अपना अप्रतिम योगदान दे रहा है. पिछले वर्ष यहां थिएटर फेस्टिवल इंद्रधनुष के साथ 24 नाटकों का मंचन हुआ. देश के प्रसिद्ध थिएटर ग्रुप्स ने यहां अपने कलाकारों के साथ प्रस्तुति दी. पिछले वर्ष यहां चित्रकला प्रतियोगिता के साथ नृत्य कला की वर्कशॉप आयोजित की गई. कला प्रेमियों ने इसे काफी सराहा.
दूसरे स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रख्यात कथक नृत्यांगना कमलिनी ने रिद्धिमा से अपने लगाव की बात कही. कहाकि दुनिया के किसी भी देश में वो अपनी परफॉर्मेंस दे रहीं हों, लेकिन उसमें बरेली जितना आनंद नहीं आता. इसकी वजह बरेली अपना शहर होना है. यहां रिद्धिमा जैसा स्तरीय संस्थान है जो भारतीय नृत्य और संगीत के प्रचार- प्रसार के साथ वाद्ययंत्रों को संरक्षित करने में अपना अमूल्य योगदान दे रहा है. इसके लिए संस्थान के संस्थापक देवमूर्ति जी बधाई के पात्र हैं. कला और संस्कृति के लिए उनका लगाव ही है, जो रिद्धिमा के रूप में साकार हुआ है. विश्वास है यह संस्थान विश्व में अपनी पहचान बनाने में कामयाब होगा.
इस मौके पर कमलिनी जी के शिष्य विश्वदीप शर्मा ने अपनी परफार्मेंस से दर्शकों को झूमने पर मजबूत कर दिया.यमन राग पर कथक के विद्यार्थियों ने भी प्रस्तुति दी. राग जोक पर रिद्धिमा के गायन और इंस्ट्रुमेंटल गुरुओं ने प्रस्तुति दी. कथक गुरु देवाज्योति नस्कर और रियाश्री चटर्जी, भरतनाट्यम गुरु अंबाली प्रहराज ने अपने शिष्यों के साथ प्रस्तुति दी. गायन गुरु आयुषि मजूमदार, शिवांगी मिश्रा और स्नेह आशीष दुबे ने दादरा को आमने अंदाज में प्रस्तुत किया. अंत में रिद्धिमा के मंच पर स्वतंत्रता सेनानी श्रीराम मूर्ति जी को समर्पित नाटक संस्कार का मंचन हुआ. जिसमें संस्कारों और संस्कृति की बात की गई.
स्थापना दिवस समारोह में आशा मूर्ति, आदित्य मूर्ति, ऋचा मूर्ति, श्यामल गुप्ता, डा. रजनी अग्रवाल, सुरेश सुंदरानी, डा. एसबी गुप्ता, डा. आरपी सिंह, एयर मार्शल डा. एमएस भटोला, डा.प्रभाकर गुप्ता, डा. सीएम चतुर्वेदी, डा. रीटा शर्मा, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा. अनुज कुमार, अजीत सक्सेना, डा. आशीष चौहान सहित शहर के गणमान्य लोग उपस्थित रहे.