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6 बेटे बुजुर्ग मां को नही दे सके दो वक्त की रोटी, घर से निकाला, फरिश्ता बनकर आया वो और दिया सहारा

6 बेटे बुजुर्ग मां को नही दे सके दो वक्त की रोटी, घर से निकाला, फरिश्ता बनकर आया वो और दिया सहारा

बरेली, 10 फरवरी। जिस मां पाल पोस कर बड़ा किया। जिसने अपना पेट काट कर बच्चो को पढ़ाया लिखाया, उनको अपने पैरो पर खड़ा होना सिखाया। आज वही बेटे जब इस मां को बुढ़ापे में सबसे ज्यादा उनकी जरूरत थी तो उन्होंने उस मां को घर से निकाल दिया। कहते है बच्चे मां बाप के बुढ़ापे का सहारा होते है, लेकिन उन्ही बच्चो ने आज एक बुजुर्ग मां को दर दर की ठोकरें खाने के लिए घर से निकाल दिया। जब इस मां को अपने कलेजे के टुकड़ों की सबसे ज्यादा जरूरत थी। लेकिन ऐसे में बेसहारों का सहारा बनकर एक फरिश्ता आया और उसने सड़क पर पड़ी उस बुजुर्ग मां को सहारा दिया, उसकी मदद की, वो फरिश्ता अब तक सैकड़ो लोगो की मदद कर चुका है।
कहते है मां बाप से बड़ा इस दुनिया में कोई नहीं। भगवान से भी बड़ा अगर कोई है तो वो मां बाप है। मां गुरु है, मां भगवान है, लेकिन उसी मां को आज 6 जवान बेटे पाल नही पा रहे। उसे दो वक्त की रोटी नहीं दे सकते इसलिए धक्के मारकर उसे घर से निकाल दिया। लेकिन जब इस बुजुर्ग मां को सड़क पर लेटे हुए उस फरिश्ते ने देखा तो वो उसका सहारा बन गया।
दरअसल आज बरेली इंटर कॉलेज के सामने एक बुजुर्ग महिला जमीन पर लेटी हुई थी। ऐसे में मनोवैज्ञानिक
मनोसमर्पण मनोसामाजिक सेवा समिति के फाउंडर शैलेश कुमार शर्मा ने उस बुजुर्ग मां को उठाया और उससे जानकारी ली। शैलेश शर्मा ने बताया कि कालीबाड़ी निवासी ईश्वरी देवी से जब उन्होंने बातचीत की तो उन्होंने बताया की उनके 6 बेटे और 6 बेटियां है। सभी बेटियो की शादी हो गई है इसलिए वो सभी अपनी अपनी ससुराल में है, जो अब पराए घर की हो चलीं हैं। बेटे देखभाल नही करते इसलिए अब अब घर नही जाएंगी और अब भगवान भरोसे अपनी जिंदगी बिताएगी। जिसके बाद शैलेश ने उनसे पूछा की क्या वो वृद्धा आश्रम जायेगी तो वो वहां जाने को राजी हो गई। जिसके बाद 112 को फोन कर पुलिस की मदद से ईश्वरी देवी को रेस्क्यु कर समाज कल्याण विभाग, द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में दाखिल कर दिया गया।