आखिर नितिन गडकरी ने क्यों की पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तारीफ
दिल्ली, 9 नवंबर। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि गरीबों और किसानों को ध्यान में रखते हुए हमे आर्थिक नीति बनानी होगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जमकर तारीफ की। उन्होंने आर्थिक सुधारों के जरिये देश को नई दिशा देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की प्रशंसा करते हुए मंगलवार को कहा कि भारत को एक उदार आर्थिक नीति की जरूरत है। जिसमें गरीबों को भी लाभ पहुंचाने की मंशा हो।
टीआईओएल पुरस्कार 2022 समारोह को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि वर्ष 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों ने भारत को एक नई दिशा दिखाई। उन्होंने कहा कि देश इन आर्थिक सुधारों के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आभारी है।
इस मौके पर गडकरी ने नब्बे के दशक में महाराष्ट्र का मंत्री रहते समय सड़कों के लिए पैसे जुटाने के लिए की गई मशक्कत का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह की तरफ से शुरू किए गए आर्थिक सुधारों की वजह से ही वह इन सड़क परियोजनाओं के लिए धन जुटा पाए थे।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उदार आर्थिक नीति किसानों एवं गरीबों के लिए है। उन्होंने कहा कि देश को एक ऐसी आर्थिक नीति की जरूरत है जिसमें गरीबों को भी लाभ पहुंचाने की मंशा हो। उन्होंने उदार आर्थिक नीति के क्रियान्वयन की दिशा में चीन को बढ़िया उदाहरण बताते हुए कहा कि इस नीति से किसी भी देश का विकास किया जा सकता है।
गडकरी ने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि चीन इस बात की एक बेहतर मिसाल पेश करता है कि कैसे उदार आर्थिक नीति किसी भी देश के विकास में मदद कर सकती हैं। आर्थिक विकास को गति देने के लिए उन्होंने कहा कि भारत को अधिक पूंजीगत व्यय निवेश की आवश्यकता होगी।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि एनएचएआई आम आदमी से भी राजमार्गों के निर्माण के लिए धन जुटा रहा है। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय 26 ग्रीन एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रहा है और उन्हें पैसे की कमी का सामना नहीं करना पड़ रहा है। उनके अनुसार, 2024 के अंत तक NHAI का टोल राजस्व ₹1.40 लाख करोड़ हो जाएगा, जो वर्तमान में ₹40,000 करोड़ प्रति वर्ष है।
नितिन गडकरी ने जबलपुर में हुए कार्यक्रम में कहा जब पद चला जाता है तो सबकुछ चला जाता है। उन्होंने कहा लोकतंत्र के चार स्तम्भ है और सभी का मजबूत होना जरूरी है।