द्वापरयुग में प्रकट हुए बाबा बनखंडी नाथ, द्रोपदी ने अज्ञातवास के समय की शिवलिंग की पूजा, दिन में 3 बार शिवलिंग बदलता है रंग
रिपोर्ट: पंडित एके मिश्रा
बरेली, 30 जुलाई। देश और उत्तर प्रदेश की राजधानी के बीच बसे बरेली शहर के जोगी नवादा क्षेत्र में स्थित प्राचीन बनखंडी नाथ मंदिर का संबंध द्वापरयुग से है। मान्यता है की राजा द्रुपद की पुत्री द्रोपदी अज्ञातवास के समय जब वन वन भटक रही थी उस दौरान वो इसी स्थान पर रुकी थी और शिवलिंग की पूजा की थी। आइए आपको दर्शन करवाते है प्राचीन बनखंडी नाथ मंदिर के।
द्वापर युग में द्रोपदी जब पांडवो के साथ अज्ञातवास के लिए निकली थी उस वक्त इस क्षेत्र में घना जंगल हुआ करता था। उस दौरान द्रोपदी ने यहां पर एक शिवलिंग देखा, जिसके बाद द्रोपदी यही पर रुक गई और उन्होंने यहां पर रहकर शिवलिंग की पूजा की। वो रोजाना सुबह शिवलिंग की पूजा किया करती थी।
मुगलों के शासन में औरंगजेब ने इस शिवलिंग को तोड़ने की कोशिश की। जंजीरों से शिवलिंग को बांधकर हाथियों से खिंचवाया लेकिन शिवलिंग अपने स्थान से टस से मस नहीं हुआ। आज भी शिवलिंग में जंजीरों के निशान है। शिवलिंग के बारे में मान्यता है की ये द्वापरयुग से पहले का है और स्वंभू प्रकट हुआ हैं। मंदिर के महंत सच्चिदानंद सरस्वती का कहना है की ये शिवलिंग दिन में 3 बार रंग बदलता है। यहां हर वर्ष सावन में दूर दूर से लाखो श्रद्धालु
आते है और जलाभिषेक करते है। इतना ही नही इस मंदिर को तपोस्थली भी कहा जाता है, यहां पर कई साधू संतो ने द्वापरयुग और कलयुग में तपस्या की और यही पर समाधी भी ली।
इस मंदिर की काफी मान्यता होने की वजह से यहां बरेली ही नही बल्कि दूर दूर से लोग दर्शन को आते है। मंदिर में आने वाले भगतो का कहना है कि उन्हें यहां पर आने पर काफी सुकून मिलता है और उनकी मनोकामना पूरी होती है। सावन के महीने में यहां सुरक्षा के भी कड़े बंदोबस्त किए गए है। बड़ी संख्या में यहां पर पुलिस तैनात की गई है। सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए है।
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