स्वाभिमान टीवी डेस्क। बीते कई दिनों से भारत का पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश हिंसा की आग में सुलग रहा है। बांगलादेश में हिंसा पर काबू पाने के लिए हसीना सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया। इसके साथ ही भारी मात्रा में सेना को तैनात किया गया है। यहां तक कि प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दे दिया गया है। जानकारी के मुताबिक भी तक इस खूनी संघर्ष में 133 लोग अपनी जान गवां चुके हैं। वहीं 3000 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। इसी बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपना विदेश दौरा भी रद्द कर दिया है। वे 21 जुलाई को स्पेन और ब्राजील के दौरे पर जाने वाली थी।
स्कूल कॉलेज के साथ साथ मदरसों को भी अनिश्चितकाल तक के लिए किया बंद
बांग्लादेश में बढ़ते तनाव के बीच अब तक 978 भारतीय स्टूडेंट्स अपने घर लौट आए हैं। दरअसल, छात्र लगातार नौकरी में आरक्षण को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी लाठी डंडे और पत्थर लेकर सड़कों पर घूम रहे हैं। कई बसों और निजी वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। हिंसा इतनी उग्र हो गई कि बांग्लादेश के मुख्य सरकारी टीवी चैनल बीटीवी के मुख्यालय में आग लगा दी गई। हिंसा के कारण बस, ट्रेन और मेट्रो सेवा ठप है। हिंसा पर काबू पाने के लिए हसीना सरकार ने इंटरनेट पर बैन लगा दिया है। स्कूल कॉलेज के साथ साथ मदरसों को भी अनिश्चितकाल तक के लिए बंद कर दिया गया। पूरे देश में सेना को मोर्चे पर उतार दिया गया है। बावजूद इसके हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है।
बांग्लादेश की सुप्रीम सुना सकती है बड़ा फैसला
बढ़ती हिंसा के बीच बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट विवादस्पद कोर्ट कोटा सिस्टम पर आज बड़ा फैसला सुना सकती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही यहां हिंसा की शुरुआत हुई। ऐसे में आज सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला सुनाती है, यह देखना बेहद महत्वपूर्ण होगा। हसीना के एक बयान ने हिंसा की आग में घी डालने का काम किया। दरअसल हसीना के आवास पर 14 जुलाई को एक संवाददाता सम्मेलन हुआ। इस दौरान जब प्रधानमंत्री से छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि यदि स्वतंत्रता सेनानियों के पोते पोतियों को कोटा लाभ नहीं मिलेगा तो क्या राजा कारों की पोते पोतियों को मिलेगा। जैसी हसीना ने बयान दिया वैसे ही छात्र और उग्र हो गए। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच भारत सरकार ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की। जिसमें कहा गया कि बांग्लादेश के ताजा हालातों को देखते हुए भारतीय समुदाय के सदस्यों और बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय छात्रों को यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है। यहां तक कि सहायता के लिए भारतीय उच्चायोग ने आपातकालीन संपर्क नंबर भी जारी किए हैं। बता दें कि बांग्लादेश में हर साल करीब तीन हज़ार सरकारी नौकरियां ही निकलती हैं, जिनके लिए करीब 4 लाख कैंडिडेट अप्लाई करते हैं। बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी छात्र सरकारी नौकरियों में कोटे को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। 170000000 की आबादी वाले बांग्लादेश में बेरोजगारी की दर बहुत ज्यादा है। बता दें कि बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 30% सीटें 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में लड़नेवाले सेनानियों के लिए आरक्षित हैं। जिसे लेकर युवाओं में भारी आक्रोश है और इसी को समाप्त करने की मांग की जा रही है। हिंसा को लेकर बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना की कार्यप्रणाली पर भी कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं।
बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा
बांग्लादेश 1971 में आजाद हुआ और इसी साल से वहां पर 56 फीसदी कोटा सिस्टम लागू हो गया था, जिसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30 फीसदी, पिछड़े जिलों के लिए 10 फीसदी, महिलाओं के लिए 10 फीसदी, अल्पसंख्यकों के लिए पाँच फीसदी और एक फीसदी विकलांगों को दिया गया। इस हिसाब से सरकारी नौकरियों में 56 फीसदी आरक्षण है। साल दो हज़ार 18 में इसके खिलाफ प्रदर्शन हुआ, जिसके बाद हसीना सरकार ने कोटा सिस्टम खत्म कर दिया था। लेकिन बीते महीने 5 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर से आरक्षण लागू करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि दो हज़ार 18 से पहले ही जैसे आरक्षण मिलता था, उसे फिर से उसी तरह लागू किया जाए। शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपना पुराना फैसला बरकरार रखा, जिससे छात्र नाराज हो गए और लगातार पूरे देश में प्रदर्शन कर रहे हैं और आरक्षण को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। आइए आपको यह भी बताते हैं कि जो छात्र लगातार उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं उनकी क्या मांगें हैं। छात्र की मांग आरक्षण 56 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया जाए। योग्य उम्मीदवार नहीं मिले तो मैरिट लिस्ट से भर्ती हो। सभी उम्मीदवारों के लिए हो एक जैसी परीक्षा। उम्र समान हो। एक बार से ज्यादा नहीं हो आरक्षण का इस्तेमाल।
बांग्लादेश में आम चुनाव में चौथी बार जीत हासिल की
इसी साल जनवरी में बांग्लादेश में आम चुनाव हुआ था, जिसमें शेख हसीना चौथी बार भारी बहुमत से जीत हासिल की। चुनाव के बाद ये पहली बार है जब देश में इतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि हसीना सरकार ने उन लोगों को आरक्षण दिया है जिनकी आमदनी ज्यादा है। आखिर में सवाल यही कि इस हिंसा में जो लगातार नुकसान हो रहा है, मृतकों की संख्या बढ़ती जा रही है।