इसरो की एक वैज्ञानिक वलारमथी का निधन हो गया. उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन में काउंटडाउन को आवाज दी थी| वलारमथी का निधन हृदय गति रुकने से हुआ है| इसरो ने शनिवार को कहा कि चंद्रमा पर प्रज्ञान रोवर को निष्क्रिय कर दिया गया है| अंतरिक्ष एजेंसी को उम्मीद है कि वह 14 दिन बाद इसे फिर से सक्रिय करेगी|

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से एक दुखद खबर सामने आई है| इसरो की एक वैज्ञानिक वलारमथी का निधन हो गया| हृदय गति रुकने से उन्होंने रविवार को आखिरी सांस ली| वह वलारमथी ही थीं, जिन्होंने श्रीहरिकोटा में रॉकेट लॉन्च की उलटी गिनती में अपनी आवाज दी थी| उनकी आखिरी बार उलटी गिनती अभी हाल ही में दी, जब देश के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण हुआ था| चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था|

प्रज्ञान रोवर को किया गया निष्क्रिय

23 अगस्त को, चंद्रयान -3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) – जिसमें विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शामिल थे, चंद्रमा की सतह पर उतरा, जिससे यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया| लैंडिंग ने देश को पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना दिया| इस बीच, इसरो नेशनिवार को कहा कि चंद्रमा पर प्रज्ञान रोवर को निष्क्रिय कर दिया गया है| अंतरिक्ष एजेंसी को उम्मीद है कि वह 14 दिन बाद इसे फिर से सक्रिय करेगी|

चांद पर हमेशा मौजूद रहेगा रोवर

रोवर दो पेलोड, अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) और लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) से लैस है| लैंडर के जरिए पृथ्वी पर डेटा संचारित करने वाले पेलोड बंद कर दिए गए हैं|
प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर वैज्ञानिक डेटा इकट्ठा करने के लिए मिलकर काम कर रहे थे|APXS और LIBS पेलोड को चंद्र मिट्टी और चट्टानों की मौलिक और खनिज संरचना का विश्लेषण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है| यदि प्रज्ञान रोवर “सफल जागरण” (सफल रूप से सक्रिय) नहीं होता है, तो यह भारत के चंद्र राजदूत के रूप में हमेशा के लिए चंद्रमा पर रहेगा|

इसरो से आदित्य-L1 के लिए आया बड़े अपडेट

इससे पहले शनिवार को इसरो के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च हुए आदित्य-L1 मिशन पर इसरो ने बड़ा अपडेट दिया था|अपनी लॉन्चिंग के एक दिन बाद रविवार को आदित्य-L1 ने अपनी कक्षा बदल ली है और अब वह दूसरी कक्षा में स्थापित हो गया है|जारी प्रक्रिया के अनुसार इसे 16 दिनों तक पृथ्वी की परिक्रमा करनी है, इसके बाद ही वह सूर्य की ओर अपने मार्ग पर बढ़ जाएगा| आदित्य एल-1 16 दिनों में पांच बार पृथ्वी की कक्षा बदलेगा. इसरो के अपडेट के मुताबिक, अब 5 सितंबर को दोबारा कक्षा में बदलाव होगा|

कक्षा में अगला बदलाव 5 सितंबर को

जानकारी के मुताबिक, इसरो ने X (ट्वीट) करके जानकारी दी, आदित्य-L1 ठीक से काम कर रहा है और उसने अपनी कक्षा बदल ली है|भारत की ओर से अंतरिक्ष में भेजे गए पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 की कक्षा बदलाव की अगली प्रक्रिया पांच सितंबर 2023 को होनी है| इस दौरान भारतीय समयानुसार देर रात लगभग तीन बज रहे होंगे|आदित्य एल-1 235 x 19500 किलोमीटर की कक्षा से निकलकर 245km x 22459 km की कक्षा में पहुंच चुका है|आदित्य एल-1 की यह पहली बड़ी सफलता है और इसके सूरज की ओर पहला पग बढ़ाना भी कहा जा रहा है|