Digital Personal Data Protection Bill: डिजिटल वर्ल्ड में आपका डेटा आपकी सबसे बड़ी जमापूंजी है| क्या हो अगर आपकी ये जमापूंजी किसी और के हाथ लग जाए? 6 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने राइट टू प्राइवेसी को मूलभूत अधिकार बताया था| अब इस पर एक बिल लोकसभा में पास हुआ है, जो अगे चलकर कानून बन सकता है|

 

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल…. इस बिल का लोगों को और देश को लंबे समय से इंतजार था| एक देश जहां दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी रहती हो, जहां लोगइंटरनेट का खूब इस्तेमाल करते हों, वहां इस बिल की जरूरत शायद सबसे ज्यादा है| लोकसभा से ये बिल पास हो चुका है|

मणिपुर हिंसा को लेकर सदन में चल रहे विरोध के बीच इस बिल को लोकसभा से पास कर दिया गया है. इस बिल को सदन तक पहुंचने में लगभग 6 साल का वक्त लग गया|सुप्रीम कोर्ट ने 6 साल पहले राइट टू प्राइवेसी को मूलभूत अधिकार बताया था| जिसके बाद इस बिल पर काम शुरू हुआ था|

दुनिया के कई देशों में पहले से ही डेटा प्रोटेक्शन बिल है, लेकिन भारत में अब तक ऐसा कोई कानून नहीं था| अभी तक सभी कारवाई IT Act के तहत हो रही थीडिजिटल वर्ल्ड का विस्तार दुनियाभर में तेजी से हो रहा है| ऐसे में यूजर्स का डेटा किसी देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है|

इस डेटा का गलत हाथों में जाना देश के लिए किसी युद्ध की जैसी स्थिति से कम नहीं है| खैर इस वर्चुअल जंग से बचने के लिए ही डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को लाया गया है| आइए जानते हैं इस बिल में क्या कुछ खास है, जो एक आम यूजर को जानना चाहिए|

क्या हैं इस बिल में खास

1. ऐसी कंपनियां जो यूजर्स के डेटा से डील कर रही हैं, उन्हें किसी भी हालत में इस डेटा को सुरक्षित रखना होगा. भले ही कंपनी ने इस डेटा को थर्ड पार्टी डेट प्रोसेसर पर ही क्यों ना स्टोर किया हो|

2. अगर डेटा लीक या ब्रीच होता है, तो कंपनियों को इसकी जानकारी डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड (DPB) और यूजर्स को देनी होगी|

3. बच्चों और दिव्यांग जनों के डेटा को उनके अभिभावकों की सहमति के बाद ही प्रॉसेस किया | जाना चाहिए|

4. कंपनियों को डेटा प्रोटेक्शन ऑफिसर नियुक्त करना जरूरी होगा और यूजर्स को ये डिटेल्स प्रदान करनी होंगी|

5. केंद्र के पास यूजर्स के डेटा को किसी दूसरे देश या भारत की सीमा से बाहर ट्रांसफर करने से रोकने की शक्ति होगी|

6. डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड के खिलाफ किसी भी अपील की सुनवाई टेलीकॉम डिसेप्यूट सेटलमेंट और अपीलेट ट्रिब्यूनल में होगी|

7. डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड पर्सनल डेटा के साथ काम कर रही कंपनियों को समन कर सकता है, डॉक्यूमेंट्स, किताबों की जांच कर सकता है|