DM का आदेश, सभी अधिकारी 10 से 12 बजे तक कार्यालय में बैठकर जनता की समस्याओं को सुनें
बरेली 13 अक्टूबर। जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने समस्त विभागाध्यक्ष/ कार्यालयाध्यक्ष को निर्देश दिये है कि वह प्रतिदिन प्रातः 10 बजे से पूर्वान्ह 12 बजे मध्यान्ह तक अपने कार्यालय में बैठकर जनता की समस्याओं को सुनें तथा त्वरित ढंग से गुणवत्तापूर्ण निस्तारण करेंगे। इसके साथ ही जनता दर्शन में प्राप्त होने वाले प्रार्थना पत्रों को पंजिका में अंकित करेंगे व माह के प्रत्येक पक्ष में जिलाधिकारी को सूचित करेंगे कि उनके द्वारा पूर्वान्ह 10 से बजे मध्यान्ह तक कितनी प्रतिशत शिकायतों को सुना व उसके सापेक्ष कितनों का निस्तारण किया गया।
जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिये है कि उनके कार्यालय से जो भी पत्रावलियां प्रयुक्त हो रही है, उनकी नम्बरिंग कराकर पंजीबद्ध किया जाये और उन पत्रावलियों में पिछली तिथि डालकर हस्ताक्षर कदापि ना करें एवं हस्ताक्षर करके उसके नीचे तिथि अवश्य डालें। इसी प्रकार से कार्यालय में जितने भी प्रकार के रजिस्टर बनाये गये हैं उनका एक मास्टर रजिस्टर बनाया जाये। पत्रावली के नोटशीट पर हस्ताक्षर बनाये जाने के साथ ही सम्बन्धित पटल सहायक एवं विभागाध्यक्ष के नाम पदनाम की मुहर भी लगाई जाये। प्रत्येक पत्रावली पर उस विषय से सम्बन्धित शासनादेश संलग्न करने के उपरान्त ही पत्रावली प्रस्तुत की जाये। कार्यालय से जो भी पत्र निर्गत किये जाये उसके नोटशीट पर पत्र का पूरा विवरण अंकित होना चाहिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि वित्तीय पत्रावलियों यथा जी.पी.एफ स्वीकृति, बजट आवंटन, वेतन बिल, सांसद निधि/विधायक निधि आदि से सम्बन्धित पत्रावलियां वरिष्ठ कोषाधिकारी के परीक्षणोंपरान्त ही जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करें, जिससे विलम्ब की स्थिति से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि जो धनराशि कोटेशन या टेंडर के माध्यम से स्वीकृत की जाती हो तो ऐसी पत्रावलियों को वित्तीय हस्तपुस्तिका में अंकित नियमों के अनुसार ही प्रस्तुत की जाये।
जिलाधिकारी द्वारा जिन पत्रावलियां एवं पत्रों पर वार्ता अंकित किया जाता है, ऐसे प्रकरणों में प्रतिदिन अपरान्ह 12 से 01 बजे अपरान्ह तक सम्बन्धित अधिकारी पत्रावली एवं पत्र के साथ वार्ता करना सुनिश्चित करें। वार्ता हो जाने के उपरान्त उसकी प्रविष्टि उसे कम्पयूटर साफ्टवेयर पर दर्ज की जाती है, ताकि वह कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर से हट जाये। यदि ऐसे प्रकरणों/पत्रों में वार्ता नियत समय में नहीं की जाती है और स्मरण कराने के बाद भी उसका अनुपालन नहीं किया जाता है और प्रकरण/पत्र अत्यधिक संख्या में लम्बित प्रदर्शित हो जाते हैं तो इसके लिए संबंधित अधिकारी का आवश्यकतानुसार उत्तरदायित्व नियत कर कार्यवाही की जायेगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि कार्यालय कक्ष में वार्ता हेतु आने वाले समस्त जिला स्तरीय अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि बैठक एवं वार्ता के दौरान मोबाइल फोन ’’स्विच आफ‘‘ अथवा ‘‘साइलेन्ट मोड‘‘ पर रहें, ‘‘रिसीव‘‘ न किया जाये। यदि बैठक में जिलाधिकारी से उच्च स्तर के अधिकारी अथवा विभागाध्यक्ष का फोन आता है तो बैठक में जिलाधिकारी को बताकर, बैठक से बाहर जाकर फोन रिसीव कर वार्ता करेंगे और वार्ता समाप्ति के बाद बैठक में आ जायेंगे। जिन अधिकारियों के पास विभागीय फोन नम्बर है, वह सदैव क्रियाशील रखें जाये और आने वाले फोन को अनिवार्य रूप से रिसीव किया जाये।
जिलाधिकारी से पूर्वानुमति प्राप्त किये बगैर ना तो मुख्यालय से बाहर जायेंगे और ना ही सामान्य अवकाश के दिनों में मुख्यालय से बाहर रहेंगे। जनपद स्तरीय अधिकारियों के लिए भी अनिवार्य होगा कि वे मुख्यालय से बाहर जाने की अनुमति एवं सामान्य अवकाश के दिनों को मुख्यालय से बाहर व्यतीत करने की अनुमति जिलाधिकारी के संज्ञान में लाते हुए, सक्षम स्तर की लिखित स्वीकृति के उपरान्त ही मुख्यालय से बाहर जायेंगे।
बैठक के एक दिन पूर्व बैठक के एजेण्डा पर संबंधित अधिकारी प्रगति रिपोर्ट पुस्तिका अथवा विवरण पत्रों के साथ प्रगति से अवगत करायें। विभाग की जो भी बैठकें प्रत्येक माह आयोजित की जाती हैं, ऐसी बैठकों को आयोजित कराने के लिए प्रत्येक सप्ताह के बुधवार व शुक्रवार को अपरान्ह 02 बजे से 06 बजे सायं तक की समयावधि निर्धारित करा ली जाये। इसके साथ ही साथ यदि अचानक बैठक कराया जाना आवश्यक हो जाये तो किसी भी कार्य दिवस में अपरान्ह 03 बजे से 6 बजे सायं तक बैठक करायी जाये।
जिलाधिकारी ने निर्देश दिये कि आई.जी.आर.एस. पोर्टल पर प्राप्त होने वाले प्रधानमंत्री सन्दर्भ, मुख्यमंत्री सन्दर्भ, शासन संर्दभों व तहसील समाधान दिवस का सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर निर्धारित समयावधि में गुणवत्तापूर्ण निस्तारण सुनिश्चित करें। यदि निर्धारित समयावधि में उक्त संदर्भो का निस्तारण नहीं किया जाता है और अकारण डिफाल्टर श्रेणी में संदर्भ आ जाता है तो इसके लिए संबंधित अधिकारी को प्रतिकूल प्रविष्टि देने पर विचार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि उनके यहां ऐसे कोई प्रकरण किसी भी न्यायालय का लम्बित नहीं है, जिसमें जिलाधिकारी के स्तर से पर्सनल शपथ पत्र, काउंटर अथवा प्रस्तवार आख्या दाखिल करना हो, कोई ऐसा प्रकरण लम्बित हो तो उस पर तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित कर ली जाये। अन्यथा की दशा में संबंधित अधिकारी को इस लापरवाही एवं उदासीनता के उत्तरदायी मानते हुए उसके विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही की अमल में लाई जायेगी।