अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषताएं: श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के प्रवेश द्वार पर गज, सिंह, हनुमान और गरुड़ की मूर्तियाँ की गई स्थापित
अयोध्या, 04 जनवरी 2024। अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने में अब कुछ ही दिन बचे है, उससे पहले मंदिर को भव्य रूप देने का काम चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। जिसके लिए तेजी से तैयारिया चल रही है। अयोध्या में सिर्फ मंदिर ही नही बल्कि पूरी अयोध्या को सजाया संवारा जा रहा है। अयोध्या का रेलवे स्टेशन हो या बाल्मिकी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा हो, सबकुछ भगवान राम के रंग में रंगा हुआ है। सड़के हो या बाजार, घर हो या मॉल सबको सजाया जा रहा है।
अयोध्या में प्रवेश करते ही आपको एहसास होगा की आप त्रेतायुग की अयोध्या में आ गए है। 22 जनवरी को करोड़ों श्रद्धालू अयोध्या में भगवान राम के दर्शन के लिए पहुचेंगे। देश भर के बड़े उद्योगपति, राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोग कई नामचीन हस्तियां भी अयोध्या में भगवान राम के दर्शन करने को जायेगी। 500 सालो बाद मोदी राज में आखिरकार ये सपना सच हुआ है की अब अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है।
वही गुरुवार को श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के प्रवेश द्वार पर आज गज, सिंह, हनुमान जी और गरुड़ जी की मूर्तियाँ स्थापित की गईं हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर लगी मूर्तिया देखने में काफी आकर्षक है। ये मूर्तियाँ राजस्थान के ग्राम बंसी पहाड़पुर के हल्के गुलाबी रंग के बलुआ पत्थर से बनी हैं।
राम मंदिर ट्रस्ट ने राम मंदिर निर्माण को लेकर जानकारी साझा की है। मंदिर की विशेषता के साथ-साथ मंदिर में श्रद्धालुओं की क्षमता जानकारी दी गई है। सोशल मीडिया X पर जानकारी दी गई है। राम मंदिर के आकार और अन्य मंदिरों के बारे में भी जानकारी सांझा की गई है।
अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषताएं
1. मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है।
2. मंदिर की लंबाई ( पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी।
3. मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे।
4. मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह) तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा।
5. मंदिर में 5 मंडप होंगे: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप।
6. खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।
7. मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से। 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा।
8. दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी।
9. मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी।
10. परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा।
11. मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा।
12. मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे।
13. दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है एवं तथा वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है।
14. मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है।
15. मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है।
16. मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।
17. मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट। वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है। ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।
18. 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है। जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी।
19. मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी।
20. मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा।