चिकित्सकीय रूप से कहें तो, सुनीता भाग्यशाली रही हैं, क्योंकि उनके दिल का दौरा एनएसटीईएमआई या नॉन-एसटी-एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फार्क्शन था जो तब होता है जब हृदय की ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी नहीं हो पाती है|
किसी व्यक्ति के लिए एक बार दिल का दौरा पड़ने की घटना ही काफी डरावनी होती है| लेकिन मुलुंड की रहने वाली एक 51 वर्षीय निवासी को पिछले 16 महीनों में 5 बार हार्ट अटैक आ चुका है| द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सुनीता (बदला हुआ नाम) को पांच स्टेंट लगाए गए हैं, छह एंजियोप्लास्टी और एक कार्डियक बाईपास सर्जरी हुई है| उनको आखिरी बार 1 और 2 दिसंबर को के बीच दिल का दौरा पड़ा था| अब वह सिर्फ यह जानना चाहती हैं कि उनके साथ क्या गलत है, जो बार-बार ऐसी स्थिति से गुजरना पड़ रहा है| सुनीता को डर सता रहा है कि क्या उन्हें तीन महीने बाद एक नया ब्लॉकेज डेवलप होगा|
सुनीता को पहला दिल का दौरा सितंबर 2022 में जयपुर से बोरीवली लौटते समय एक ट्रेन में पड़ा था| रेलवे अधिकारियों द्वारा उन्हें अहमदाबाद के एक सार्वजनिक अस्पताल में ले जाया गया था| डॉ हसमुख रावत इस साल जुलाई से सुनीता के हृदय रोग विशेषज्ञ है| जब उनकी दो एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी हुई थी| द टाइम्ऑफ इंडिया ने उनके हवाले से कहा, ‘रेखा की हृदय संबंधी समस्याओं का कारण एक रहस्य बना हुआ है| विशेषज्ञों का मानना है कि वास्कुलिटिस जैसी एक ऑटो-इम्यून बीमारी इसका कारण हो सकती है, जिसमें रक्त वाहिकाएओं में सूजन आ जाती है और ब्लड पास होने का रास्ता पतला हो जाता है. लेकिन सुनीता की डायग्नोस्टिक्स में अब तक कोई स्पष्ट कारण नहीं मिला है|
उन्हें हर कुछ महीनों में, दिल के दौरे के स्पष्ट लक्षण लौट आते हैं, जिनमें सीने में तेज दर्द, डकार आना और बेचैनी शामिल है| सुनीता ने बताया कि मुझे फरवरी, मई, जुलाई और नवंबर में दिल का दौरा पड़ा है| सुनीता को डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और मोटापा जैसी अन्य पुरानी समस्याएं भी है| सितंबर 2022 में उनका वजन 107 किलोग्राम था और तब से उनका वजन 30 किलोग्राम से अधिक कम हो गया है| उन्हें कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली नई दवा ‘पीसीएसके9 इनहिबिटर’ का इंजेक्शन दिया गया है, जिससे उनका कोलेस्ट्रॉल लेवल कम है और डायबिटीज भी नियंत्रण में है, लेकिन दिल के दौरे पड़ने जारी है|
डॉ. रावत ने कहा कि हालांकि मरीजों के लिए एक ही स्थान पर बार-बार ब्लॉकेज विकसित होना कोई अज्ञात बात नहीं है| लेकिन सुनीता में अलग-अलग स्थानों पर नए ब्लॉकेज विकसित हो जाते है| उन्होंने कहा, ‘उनको पहला हार्ट अटैक बाईं धमनी में 90% ब्लॉकेज के कारण हुआ था और अगली बार दाहिनी कोरोनरी धमनी में 99% ब्लॉकेज थी| चिकित्सकीय रूप से कहें तो, सुनीता भाग्यशाली रही हैं, क्योंकि उनके दिल का दौरा एनएसटीईएमआई या नॉन-एसटी-एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फार्क्शन था जो तब होता है जब हृदय की ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी नहीं हो पाती है|
डॉ. हसमुख रावत ने कहा, ‘एसटीईएमआई हार्ट अटैक एनएसटीईएमआई की तुलना में खतरनाक होता है| विभिन्न 8 चिकित्सीय प्रक्रियाओं से गुजरने के बावजूद, सुनीता के दिल का इजेक्शन फ्रैक्शन 45% है जो अच्छा है|’ केईएम अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अजय महाजन ने कहते हैं कि ऐसा ‘घातक एथेरोस्क्लेरोसिस(धमनियों का सख्त होना)’ दुर्लभ है| डॉक्टरों ने महीनों तक सुनीता के लिपिड को कम रखा है, उन्हें स्टेंटिंग और बाइपास दिया गया है, फिर भी समस्या फिर से हो जाती है| डॉ. महाजन ने कहा, ‘इसलिए यह एक दुर्लभ ऑटो-इम्यून स्थिति हो सकती है|