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इस देश में शुरू हुआ निपाह वायरस की वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल, जगीं उम्मीदें

ब्रिटेन में निपाह वायरस की वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है| इस ट्रायल के शुरू होने के बाद उम्मीद है कि इस खतरनाक वायरस से निपटने में मदद मिलेगी|

ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने निपाह वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू कर दिया है| यूनिवर्सिटी की तरफ से गुरुवार को दी गईजानकारी में बताया गया कि मस्तिष्क में सूजन पैदा करने वाले जानलेवा निपाह वायरस से निपटने के लिए एक टीके का मानव परीक्षण  शुरू कर दिया गया है| इस वायरस ने भारत के केरल राज्य और एशिया के कई हिस्सों में अपना प्रकोप फैलाया है|

निपाह वायरस जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है| इसे जूनोटिक डिजीज कहा जाता है| ये चमगादड़ों और सुअर से इंसानों में फैल सकता है| यह वायरस बुखार, उल्टी, सांस की बीमारी और मस्तिष्क में सूजन का कारण बन सकता है| इस ट्रायल में हिस्सा लेने वाले पहले ग्रुप को बीते हफ्ते वैक्सीन की डोज दी गई| यह उसी तकनीक से बनाया गया था जिसका इस्तेमाल एस्ट्राजेनेका और भारत के सीरम इंस्टीट्यूट की कोविड 19 वैक्सीन को बनाने में हुआ था|

इस घातक वायरस का अभी तक कोई टीका नहीं बना है| निपाह की पहचान सबसे पहले लगभग 25 साल पहले मलेशिया में हुई थी और इसके बाद बांग्लादेश, भारत और सिंगापुर में इसका प्रकोप फैला| विश्वविद्यालय के महामारी विज्ञान संस्थान के एक प्रवक्ता ने कहा कि 51 मरीजों पर प्रारंभिक चरण का परीक्षण ऑक्सफोर्ड में होगा जिसके तहत 18 से 55 वर्ष की आयु के लोगों में इस बात की जांच की जाएगी कि टीका कितना सुरक्षित है और शरीर की इम्युनिटी का इस पर क्या असर पड़ता है|

इसके बाद निपाह प्रभावित देशों में आगे के परीक्षण होने की उम्मीद है| 

निपाह वायरस चमगादड़  होस्ट के जरिए कोरोना की तरह महामारी का रूप भी धारण करने की क्षमता रखता है|

कॉलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशन  के एक कार्यकारी डॉ इन-क्यू यून ने कहा, ‘यह परीक्षण इस खतरनाक वायरस से बचाने के लिए हमें तकनीक खोजने में मदद करेगा|

परीक्षण का नेतृत्व ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप द्वारा किया गया है और यह सीईपीआई द्वारा वित्त पोषित है| सीईपीआई एक वैश्विक गठबंधन है जो उभरते संक्रामक रोगों के खिलाफ टीकों के विकास का काम करता है|

मॉडर्ना  ने 2022 में निपाह वायरस वैक्सीन का प्रारंभिक चरण का क्लिनिकल परीक्षण भी शुरू किया था जिसे उसने अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीसस के साथ मिलकर विकसित किया था|

सितंबर महीने में भारत के केरल राज्य में पांच साल में चौथी बार निपाह का प्रकोप देखा गया जिसमें छह लोग संक्रमित हुए और दो की मौत हो गई|

संक्रमण के कारण बुखार, सिरदर्द, खांसी और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है, साथ ही मस्तिष्क में सूजन भी हो सकती है| विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इसकी मृत्यु दर 40% से 75% है|