उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 17 दिनों तक सुरंग के अंदर फंस रहे 41 मजदूरों के बाहर आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने मजदूरों से फोन पर बात की| इस दौरान सबा अहमद ने सुरंग के अंदर की जिंदगी के बारे में बताया कि अंधेरी सुरंग में 17 दिन कैसे कटे|

उत्तराखंड की सिल्क्यारा सुरंग से 17 दिन बाद सुरक्षित निकाले गए श्रमिकों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर बात की| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर जब नाम पूछा तो युवा इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के सबा अहमद से बात हुई| PM Modi ने सबा अहमद से कहा कि मैं मेरा टेलीफोन स्पीकर पर रखा है, ताकि मेरे साथ जो लोग बैठे हैं, वे भी आपकी बातें सुनना चाहेंगे|

पीएम मोदी ने सबा अहमद से कहा कि सबसे पहले तो मैं आप और आपके सभी साथियों को बधाई देता हूं कि इतने संकट के बाद भी निकाल पाए| ये मेरे लिए बहुत खुशी की बात है. मैं इसका शब्दों में वर्णन नहीं कर सकता हूं| ये केदारनाथ बाबा और बद्रीनाथ भगवान की कृपा रही कि आप लोग सब सकुशल आए है|

मोदी ने कहा कि 16-17 दिन का समय कम नहीं होता है| आप लोगों ने बहुत बड़ी हिम्मत दिखाई| एक-दूसरे का हौसला बनाए रखा. ये सबसे बड़ी बात है| आप लोगों ने इतना धैर्य रखा| मैं लगातार जानिकारियों लेता रहता था| मुख्यमंत्री से भी लगातार संपर्क में रहता था| मेरे पीएमओ के अफसर वहां आकर बैठे थे|

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें जानकारियां रहती थीं| लेकिन चिंता तो कम होती नहीं है|जानकारियों से समाधान तो होता नहीं है| वहां जितने भी श्रमिक निकलकर आए है| उन सबके परिवार का पुण्य भी काम आया है, जिससे वे इस संकट की घड़ी से बाहर निकलकर आए है|

पीएम से बात करते हुए सबा अहमद ने कहा कि हम लोग इतने दिनों तक टनल में फंसे रहे| लेकिन हम लोगों को एक दिन भी ऐसा कुछ भी एहसास नहीं हुआ कि हम लोगों को कुछ ऐसी कमजोरी हो रही है या कोई घबराहट हो रही है| टनल के अंदर हमें ऐसा कुछ नहीं हुआ| वहां 41 लोग थे, और सब भाई की तरह रहते थे| किसी को भी कुछ हो तो हम लोग एक साथ रहते थे| किसी को कोई दिक्कत नहीं होने दी|

सबा अहमद ने कहा कि खाना आता था तो हम लोग मिलजुल के एक जगह बैठ के खाते थे| रात में खाना खाने के बाद सभी को बोलते थे कि चलो एक बार टहलते है| टनल का लेन ढाई किलोमीटर का था, उसमें हम लोग टहलते थे| इसके बाद मॉर्निंग के समय हम सभी से कहते थे कि मॉर्निंग वॉक और योगा करे| इसके बाद सभी हम वहां योगा करते थे और घूमते टहलते थे|

सिल्क्यारा सुरंग में 12 नवंबर को सुरंग धंसने से 41 मजदूर फंस गए थे| इन्हें सुरक्षित बाहर निकालने का अभियान बार-बार नाकाम हो रहा था, लेकिन हार नहीं मानी गई| रेस्क्यू के लिए अमेरिका की ऑगर मशीन का इस्तेमाल किया गया| लेकिन इसके टूट जाने के बाद रैट माइनर्स ने बचे हुए मलबे को खोदकर बाहर निकाला| इसके बाद मंगलवार की शाम सभी मजदूरों को पाइप के जरिए सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया|