सुनो सरकार, जब मतदाता पहचान पत्र पास, फिर क्यों पर्ची के लिए होना पड़ता परेशान, लाखो लोगो के नाम वोटर लिस्ट से गायब

सजाने पड़ते है राजनैतिक दलों को पर्ची बाटने के लिए पंडाल

निर्वाचन आयोग के तमाम प्रयासों के बावजूद 38 जिलों में हुए मतदान से लाखो लोगो के नाम वोटर लिस्ट से गायब

आजादी के बाद से आज तक मतदाताओं को झेलनी पड़ती है मताधिकार करने के लिए परेशानी

लखनऊ, 12 मई। देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं। देशवासी अमृत महोत्सव मना रहे है लेकिन उसके बावजूद हर बार चुनाव में मतदाताओं को दिक्कतो का सामना करना पड़ता है। किसी का नाम वोटर लिस्ट में नही होता तो कही नाम गलत होता है या फिर मृतकों के नाम भी वोटर लिस्ट में होते है और जिंदा लोगो के नाम गायब होते है। ऐसे में अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाले लाखो जागरूक मतदाता अपने वोटिंग राइट्स ( मताधिकार ) से वंचित रह जाते है।

 

उत्तर प्रदेश में दो चरणों में हुए निकाय चुनाव में हर निकाय से यही समस्या देखने को मिली। मतदाता पोलिंग बूथ तक वोट देने गया लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते लोग वोट नही डाल सके। सभी 75 जिलों से यही शिकायते आती रही की वोटर लिस्ट से नाम गायब है। अपना नाम वोटर लिस्ट में देखने के लिए और पर्ची लेने के लिए मतदाता भीषण गर्मी में राजनैतिक दलों के पंडालों पर देखने को मिले। लेकिन लाखो लोगो को निराशा मिली।

18 साल की होने पर भारत में वोट करने का अधिकार है। जिसके लिए सरकार ने पहचान पत्र (वोटर आईडी) की व्यवस्था की है। जो व्यक्ति 18 साल का हो जाता है वो अपना मतदाता पहचान पत्र बनवा लेता है जिसके जरिए उसे वोट देने का अधिकार मिल जाता है। लेकिन ऐसे पहचान पत्र का क्या फायदा जिसे दिखाकर आप वोट तो डाल सकते है लेकिन उसके लिए वोटर लिस्ट में नाम होना जरूरी है।

बरेली समेत 38 जिलों में हुआ शहर की सरकार चुनने के लिए मतदान

बरेली समेत 38 जिलों में शहर की सरकार चुनने के लिए यूपी में दूसरे और आखिरी चरण में 11 में को चुनाव हुआ। जिसमे वोटिंग काफी कम हुई, क्योंकि जगह जगह से यही शिकायते मिलती रही की सूची से मतदाताओं के नाम गायब है। ऐसे में लाखो जागरूक मतदाता अपने मताधिकार से वंचित रह गए। दूसरे चरण में 6929 पदों के लिए नगर निगमों के महापौर, पार्षद, नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों के चेयरमैन व सदस्यों के 6929 विभिन्न पदों के 39146 उम्मीदवारों के चुनाव के लिए मतदान हुआ।

 

By Anup