बरेली:मणिपुर में 3 मई से भड़की हुई हिंसा अब तक शांत नहीं हो पाई है आरक्षण की इस लड़ाई में अब तक कई लोग अपनी जान गवा चुके हैं. और कुछ ऐसे दृश्य भी सामने आए जिसको लेकर पूरा देश अलग ही उबाल में था, अब ऐसे में मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी की समर्थित पार्टी कुकी पीपुल्स अलायंस ने अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है. ऐसे में वीरेंद्र सिंह की सरकार अब खतरे में आती दिखाई दे रही है या नहीं आईये जानते है।
मणिपुर हिंसा होते होते 3 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है इसी कारण से भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह का साथ कुकी पीपुल्स एलाइंस ने साथ छोड़ने का फैसला किया है. (के पी ए)पार्टी ने मणिपुर राज्यपाल अनसुइया उईके को पत्र देकर भारतीय जनता पार्टी को दिया हुआ समर्थन वापस ले लिया है
कुकी पीपल्स एलाइंस के पास हैं 2 विधायक
मणिपुर हिंसा के बाद से लगातार घिर रही मणिपुर सरकार को समर्थन देने वाली पार्टी ने भी अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं आपको बता दें. कि कुकी पीपल्स एलाइंस पार्टी के 2 विधायकों ने राज्यपाल से मिलकर समर्थन वापस लेने का पत्र दिया है. वहीं (केपीए) ने पत्र में यह लिखा है कि लंबे समय से विचार करने के बाद मुख्यमंत्री एन वीरेन वाली सरकार को दिया हुआ समर्थन वापस लेना चाहिए अब सरकार के लिए समर्थन रखने का कोई मतलब नहीं बनता है। आपको बता दें कि (केपीए ) के पास विधायकों की संख्या सिर्फ दो है जिनमें एक विधायक सेकुल से, के एच हांगसिंग हैं और दूसरा विधायक सिंघाट से चिनलुंगथांग हैं. और मणिपुर की विधानसभा में जोमी जाति से 10 विधायक हैं जिसमें 7 बीजेपी और दो कुकी पीपल्स एलाइंस के और एक निर्दलीय विधायक है. मणिपुर में टोटल विधानसभा की सीटें 60 जिसमें 2022 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 32 सीटों पर बढ़त बनाई थी।
क्या मणिपुर में बीजेपी खतरे में है??
केपीए पार्टी के समर्थन वापस लेने से सरकार पर फिलहाल कोई खतरा होता नजर नहीं आ रहा है.भारतीय जनता पार्टी के पास अब भी 37 विधयाक मौजूद हैं जिसमें अन्य पार्टी के 5 एनपीएफ और 7 एनपीपी व तीन अन्य निर्दलीय विधायक का सपोर्ट मिला हुआ है. अब ऐसे में मणिपुर में कांग्रेस और जेडीयू के पास टोटल 6 विधायक हैं. जिनमें जेडीयू 1 और कांग्रेस 5, हैं फिलहाल( केपीए) के समर्थन वापस लेने से भारतीय जनता पार्टी पर कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है।