दंगे के मास्टर माइंड तौकीर रजा को पुलिस नही कर सकी गिरफ्तार, 1 अप्रैल को होगी सुनवाई
बरेली, 19 मार्च। बरेली में 2010 में हुए दंगे के मास्टर माइंड तौकीर रज़ा को पुलिस आज भी गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश नही कर सकी। वही अब इस मामले में एक अप्रैल को सुनवाई होगी। इस मामले में अब नया मोड़ भी आ गया है। दंगे के दूसरे आरोपी शाहरुख ने जिला जज की कोर्ट में कोर्ट बदलने की अर्जी लगाई थी। जिसमे जिला जज ने एडीजे प्रथम फास्ट ट्रैक रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट से फाइल तलब कर ली है। जिस वजह से आज एडीजे प्रथम फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी।
दरअसल एडीजे प्रथम फास्ट ट्रैक रवि कुमार दिवाकर ने तौकीर रज़ा के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी किया था। जिसमे एसएसपी को ये आदेश दिया गया था की तौकीर रजा को 19 मार्च को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए। उससे पहले दंगे के दूसरे आरोपी शाहरुख ने जिला जज की अदालत में अर्जी लगाई थी की उनकी सुनवाई जज रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट से हटाकर किसी अन्य कोर्ट में कर दी जाए। जिस पर जिला जज ने फाइल तलब कर ली है। इस मामले में 21 मार्च को फैसला आना है। जिसके बाद ही ये पता चल सकेगा की कोर्ट चेंज होगी या नहीं।
फिलहाल तौकीर रज़ा और दंगे के अन्य आरोपी ज्ञानवापी पर फैसला देने वाले जज रवि कुमार दिवाकर से घबराए हुए है। उन्हे लगता है की अगर रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में ही मामला रहा तो तौकीर और दंगे के अन्य आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही हो सकती है। इसलिए बरेली में जिला जज की अदालत में दंगे के आरोपियों की ओर से हाईकोर्ट के अधिवक्ता ने बहस की जिस पर जिला जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया है और 21 मार्च को इस पर जजमेंट होगा।
एडीजीसी क्राइम (सरकारी वकील) दिगंबर पटेल का कहना है कि जिला जज ने फाइल तलब कर ली थी इस वजह से आज एडीजे प्रथम फास्ट ट्रैक रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। इस मामले में एक अप्रैल को सुनवाई होगी। उन्होंने बताया की तौकीर के खिलाफ 2 बार एनबीडब्ल्यू जारी हो चुके है। ऐसे में पुलिस की कई टीमें तौकीर रज़ा की तलाश में लगी हुई है।
गौरतलब है कि वर्ष 2010 में जुलूस ए मोहम्मदी के दौरान मौलाना तौकीर रज़ा ने जुलूस में आए लोगो को भड़काया था और कहा था की खून की नदिया बहा दी जाएगी। जिसके बाद बरेली में दंगे हुए। सैकड़ों घरों, दुकानों, प्रतिष्ठानों, पुलिस चौकी, सब्जी मंडी को आग के हवाले कर दिया गया था। बरेली में 27 दिनो तक कर्फ्यू लगाया गया था। उस वक्त यूपी में बसपा की सरकार थी और मायावती मुख्यमंत्री थी। पुलिस ने तौकीर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और सत्ता के दबाव में तौकीर को जेल से रिहा कर दिया गया था। जिसके बाद अब जाकर कोर्ट ने इस मामले का स्वतह संज्ञान लिया और तौकीर रज़ा के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी किया।