उत्तरप्रदेश के बरेली में जगह जगह ऐतिहासिक रामलीला हो रही है वहीं हर जगह राम लीला में कुछ ना कुछ अलग देखने को मिलता है. वहीं 57 वर्ष पुरानी इस खास रामलीला में स्थानीय कलाकार खुद से ही करते है. मंचन और पूरी रामलीला सभी कलाकारों को कंठस्ट है वहीं पर्वतीय समाज की रामलीला कमेटी में सभी लोग तन मन से राम लीला में पात्र बनते हैं बरेली के कैंट स्थित बी आई बाजार में होती है ऐतिहासिक रामलीला।

उत्तरप्रदेश के बरेली कैंट स्थित बी आई बाजार में पर्वतीय समाज की रामलीला में कई वर्षो से सभी कलाकार पिछले 57 सालों से मर्यादा पुरुषोत्तम राम की दिव्य लीलाओं  में परंपरागत उत्तराखंड शैली में मंचन किया जाता है जिसमें मंचन के साथ-साथ लोकगीत भक्ति गीत और लोक नृत्य उसका मनोहारी दृश्य समावेश आनंदित और आकर्षित होता है. जिसका उद्घाटन गणेश वंदना के साथ होता है।

 

 

राग में होती है पूरी रामलीला

रामलीला कमेटी के वरिष्ठ सचिव चंद्र प्रकाश जोशी हमें जानकारी देते हैं वह बताया कि पूरी रामलीला रागनी,दोहा, सोरठा,छंद, राग,बिहाग में रामलीला का मंचन किया जाता है। जिसमें किसी भी कलाकार को पाठ याद करने की आवश्कता नहीं होती सभी पत्रों को पूरी रामलीला का पाठ कंठस्थ है। पिछले 57 वर्षो से लगातार ऐसे ही पर्वतीय समाज रामलीला का मंचन कर रहा है. जिसमें स्थानीय निवासी और उत्तराखंड से आए कलाकार भी अभिनय करके रामलीला की शोभा बढ़ाते हैं। राग में सुशोभित इस रामलीला में दूसरा से आए लोग आनंदित होते हैं क्योंकि बरेली में ऐसी पहली रामलीला है जो पूरे राग विराग के साथ होती है।

30 वर्षों से रामलीला में किरदार कर रहे इस इस बार कर रहे राजा दशरथ का अभिनय

57 वर्ष की रामलीला में कई किरदार ऐसे हैं जो कई वर्षों से जुड़े हुए हैं ऐसे ही एक किरदार जो की 30 वर्षों से रामलीला में किरदार कर रहे हैं जिनकी शुरुआत राम लक्ष्मण, भरत ,शत्रुघ्न और हनुमान का रोल करते आ रहे हैं इस वर्ष रामलीला में उमेश बिनवाल राम जी के पिता दशरथ का अहम रोल निभा रहे हैं।

 

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By Sarvesh