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बिल्किस बानो केस, 11अपराधियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार व केंद्र को दिया नोटिस

 

देश की आजादी के अमृत महोत्सव 15 अगस्त 2022 के दिन गुजरात सरकार ने 1992 रमिशन (Remmision) पॉलिसी के तहत सामूहिक दुष्कर्म और कत्ल के जुर्म में उम्र कैद काट रहे 11 अपराधियों को रिहा कर दिया l वर्ष 2002,  3 मार्च को गुजरात रणधीकपुर गांव में दंगों के समय बिलकिस बानो के साथ अपराधियों ने सामूहिक दुष्कर्म किया, उस वक्त बिलकिस बानो 5 महीने की गर्भवती व महज 21 वर्ष की थी l बता दें कि इसके साथ-साथ उनके परिवार के 7 सदस्यों का कत्ल भी हुआ जिसमें उनकी 3 साल की मासूम बच्ची भी थीl

इस दर्दनाक हादसे के बाद वर्ष 2008 में सीबीआई की विशेष अदालत ने 11 लोगों को अपराधी घोषित करते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी इस फैसले को मुंबई हाई कोर्ट ने ही बरकरार रखा था l लेकिन हाल ही में 15 अगस्त 2022 को  सरकार ने पिछले कई वर्षों से सजा काट रहे अपराधियों को जेल में उनके अच्छे आचरण को देखते हुए रिहा कर दिया l

गुजरात सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट मैं जनहित याचिका सुभाषिनी अली (सीपीएम),रेवती लाल ( लेखिका) , लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति और सामाजिक व मानवाधिकार कार्यकर्ता रूपरेखा वर्मा द्वारा दाखिल की गई , उनका कहना है कि राज्य सरकार को CrPC के सेक्शन 435 के तहत केंद्र सरकार से सलाह के बगैर यह फैसला नहीं लेना चाहिए l

सुप्रीम कोर्ट मे चीफ जस्टिस एन.वी रमणा की अगुवाई वाली पीठ ने गुरुवार को इस याचिका को संज्ञान में लेते हुए दोषियों को प्रतिवादी बनाने को कहा और गुजरात सरकार व केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया l

वहीं दूसरी तरफ यूपीएससी में 4th रैंक से 2000 बैच मे टॉप करने वाली , तेलंगना सरकार में मुख्यमंत्री ऑफिस में कार्यरत आईएएस अधिकारी श्रीमती स्मिता सभरवाल ने बड़ा बयान दे दिया उन्होंने ट्वीट किया की एक महिला और सिविल सर्वेंट होने के नाते बिलकिस बानो केस की खबर पढ़कर मैं भरोसा नहीं कर पा रही हूं l

 

उन्होंने ट्वीट किया कि हम उससे आजादी से बिना डरे सांस लेने का अधिकार नहीं छीन सकते और हम अपने आप को आजाद मुल्क कहते हैं l

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