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अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला…कश्मीरी पंडितों के हिस्से क्या आया

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने वाले भारत सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय सुना दिया है| कोर्ट ने भारत सरकार के फैसले को बरकरार रखा है| इस तरह जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दोबारा देना अब नामुमकिन हो गया है| प्रधानमंत्री ने कोर्ट के इस फैसले को ऐतिहासिक कहा है|

आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी करने वाले भारत सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है| कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने चार साल से भी अधिक समय से लंबित मामले पर आज अपना फैसला सुना दिया| फैसला सुनाने वाले जजों में मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस बी आर गवई और संजीव खन्ना शामिल रहे| कोर्ट की ज्यादातर बातें अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए के बारे में भले हों लेकिन अदालत ने कश्मीरी पंडितों को लेकर भी अपने फैसले में कुछ जरुरी आदेश दिए है|

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायधीश संजय किशन कौल ने कश्मीर के लोगों के विस्थापन और उसके बाद आतंकवाद का भी अपने फ़ैसले में जिक्र किया| कोर्ट ने इसे लेकर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने की बात की है| अदालत ने अपने फैसले में कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अन्याय और क्रूरता को लेकर कहा कि इसके लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की आवश्यकता है| अगर सरकार इस दिशा में बढ़ती है तो यह कश्मीरी पंडितों के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम होगा|

भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर अक्सर इसको लेकर दबाव बनता है कि उन्हें कश्मीरी पंडितों की वापसी को लेकर ठोस कदम उठाने चाहिए| वहीं सरकार ने पिछले साल ये बताया था कि अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद किसी भी कश्मीरी पंडित के घाटी से पलायन करने की कोई भी घटना सामने नहीं आई है| वहीं सरकार का यह भी कहना था कि प्रधानमंत्री डेवलपमेंट पैकेज के अंतर्गत कश्मीर घाटी में करीब 55 सौ कश्मीरी पंडितों को जम्मू कश्मीर सरकार के अलग-अलग विभागों में नौकरी दी है|