टीबी (TB), जिसे क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है| यह केवल फेफड़ों की बीमारी नहीं है| एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि नाखून और बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी बॉडी पार्ट में में टीबी हो सकता है| भारत में टीबी के मरीजों में करीब 27 प्रत‍िशत मामले ऐसे मरीजों के है| जिनमें फेफड़ों के अलावा दूसरे अंगों जैसे हड्डी, रीढ़ ,दिमाग में टीबी पाया जाता है| इसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी (Extra Pulmonary Tuberculosis) कहते है|

कई बार एकस्ट्रा पल्मोनरी टीबी के मामलों की जागरुकता के अभाव में पहचान नहीं हो पाती है| इसे देखते हुए भारत को टीबी मुक्त बनाने के लिए एम्स दिल्ली कामेडिसिन डिपार्टमेंट देशभर के डॉक्टरों को ट्रेन‍िंग दे रहा है| एम्स के मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर नवीत विग और एडिशनल प्रोफेसर डॉक्टर नीरज निश्चल  के नेतृत्व में देश भर के डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी जा रही है| एम्स (AIIMS) में पहले चरण के तहत डॉक्टरों की ट्रेन‍िंग शुरू हो गई है| इसका दूसरा राउंड छह नवंबर से शुरू हो चुका है|

एम्स देशभर में करीब 300 डॉक्टरों को ट्रेन‍िंग देगा| इस ट्रेन‍िंग का उद्देश्य सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य क्षेत्रों से देश भर में मास्टर प्रशिक्षकों का एक कुशल और प्रभावी पूल तैयार करना है, ताकि एक्स्ट्रा पलमनरी ट्यूबरक्लोसिस (EPTB) के लिए उच्च गुणवत्ता वाले निदान और इलाज के लिए राज्यस्तर पर चीजें डेवल की जा सकें| विशेषज्ञों के मुताबिक फेफड़ों में होने वाली टीबी के लक्षण आसानी से दिख जाते है|

शरीर के अन्य हिस्सों में होने वाले ईपीटीबी की सही पहचान आसानी से नहीं होने से बीमारी गंभीर हो जाती है. भारत सरकार ने 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है|

बाल और नाखून में नहीं होती टीबी

एम्स मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. एन. विग और विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल ने बताया कि एम्स ने राज्य स्तर के डॉक्टरों के दो ग्रुप बनाकर उनको ट्रेन‍िंग देगा| इसमें ईएनटी, गेस्ट्रो डिपार्टमेंट के डॉक्टरों और स्पेशल‍िस्ट को जानकारी दी जाएगी| इसमें इन सभी लोगों को टीबी की पहचान करने की जानकारी दी जाएगी|

फेफड़े के अलावा टीबी होने पर लक्षण अलग

फेफड़ों के अलावा शरीर के दूसरे बॉडी पार्ट्स में भी टीबी होता है| जिसके लक्षण अलग-अलग होते है| डॉ. नीरज निश्चल ने कहा कि टीबी की बीमारी बाल और नाखून को छोड़कर किडनी, पेट, मस्तिष्क, गला सहित शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है. इसका मुख्य कारण शरीर की इम्युन‍िटी पॉवर  का कमजोर होना है|