कर्ज मुक्ति और आर्थिक तंगी से निपटने का अचूक उपाय

बरेली, 6 अप्रैल। अगर आप कर्ज के बोझ से दबी हुई है। दिन रात कर्ज चुकाने की चिंता रहती है। बहुत मेहनत करने के बाद भी कामयाबी नहीं मिलती है। आर्थिक तंगी की वजह से आप डिप्रेशन में रहते है। तो हम आपको अचूक उपाय बताने जा रहे है।द

रअसल बहुत सारे लोग अपने अनेक कार्यों के लिए कर्ज लेते है। कोई घर खरीदने के लिए कर्ज लेता है तो कोई वाहन खरीदने के लिए , तो कोई बच्चो की पढ़ाई लिखाई, रोजगार और शादी विवाह के लिए कर्ज लेता है। जिस वक्त वो कर्ज लेता है। उसे चुकाने का भी भरपूर प्रयास करता है। लेकिन कुछ परिस्थिति ऐसी हो जाती जय की लोग चाहकर भी लोन नहीं चुका पाते है। इतना ही नहीं कर्ज की वजह से देश में हर साल हजारों लोग आत्महत्या कर लेते है।

सरकार बड़े बड़े उद्योगपतियों के लोन तो माफ कर देती है लेकिन मध्यम वर्गीय व्यक्ति का कोई साथ नहीं देता है। जबकि मध्यम वर्गीय व्यक्ति कभी भी ऐसा नहीं चाहता की वो किसी से लिया ऋण न चुकाए बल्कि हालात ही ऐसे हो जाते है जिस वजह से वो मजबूर हो जाता है।
वही आर्थिक तंगी सबसे बड़ी बीमारी की तरह है जिसमे मनुष्य जीवन भर परिश्रम करते करते इस दुनिया से चला जाता है लेकिन वो गरीबी जैसी लाईलाज बीमारी से बच नहीं पाता है। ऐसे में आज हम आपको जो उपाय बताने जा रहे है अगर आप उसे विधि विधान से कर लेते है तो आपको कर्ज से मुक्ति तो मिलेगी ही साथ ही मन की शांति भी मिलेगी।
कर्ज मुक्ति के लिए ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करे और प्रभु हनुमान आपकी इक्षा पूरी करेंगे।

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ


मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।

स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ॥1॥

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।

धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥2॥

अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।

व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥3॥

एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।

ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥4॥

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।

कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥5॥

स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।

न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥6॥

अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।

त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥7॥

ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।

भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥ 8 ||

अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।

तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्॥9॥

विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।

तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥10॥

पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।

ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥11॥

एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।

महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥12॥

|| इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ||

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ कैसे करें ?
सर्वप्रथम नहाधोकर स्वच्छ हो जाएँ।
अब एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
उसके बाद उस चौकी पर श्री हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें।
अब अपने बाएं हाथ की तरफ देशी घी का दीपक जलाएं।
दाएं हाथ की तरफ तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित करें।
अब हनुमान जी को गुड़ व चना अर्पित करें।
अब श्रद्धापूर्वक श्री ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें।
पाठ संपन्न होने पर हनुमान जी की आरती करें।
अंत में हनुमान जी से आशीर्वाद ग्रहण करें।
जो जोर से जय श्री राम जय सिया राम जय हनुमान के जयकारे लगाए।
जय श्री राम बोलते वक्त अपनी सुध बुध खोकर बिलकुल लीन हो जाए और ताली बजाते हुए, नाचते गाते हुए जय श्री राम बोलते रहे।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे

पंडित अनूप कुमार मिश्रा

मोब: 9760821492

 

By Anup