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सुपरफूड में शामिल है उत्तराखंड के ये पारंपरिक अनाज, मोटे अनाजों की श्रेणी में राज्य टॉप पर

 

पहाड़ों में होने वाले मोटे अनाजों के लैब परीक्षण में भी कमाल के परिणाम देखने को मिले है|मोटे अनाज में कुपोषण से लडऩे व शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने वाले गुण होते है| मोटे अनाज में शामिल उत्तराखंड की दो प्रमुख पारंपरिक फसल मड़वा और झिंगोरा है| जिसमें ऑक्सीडेंट और फाइटेट तत्व सर्वाधिक मिला है|

पिथौरागढ़. जिस मिलेट्स यानी मोटे अनाज के पीछे आज पूरी दुनिया भाग रही है वह कभी उत्तराखंड का मुख्य भोजन था|और आज भी उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में इसकी खेती पारंपरिक तरीके से ही की जाती है| मिलेट्स यानी मोटा अनाज दुनिया के सबसे पुराने उत्पादित अनाजों में से है| हजारों साल पहले पूरे अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में मिलेट्स उगाए जाते थे| इनका उपयोग अनेक तरह के खाद्य और पेय पदार्थ बनाने में किया जाता था|

उत्तराखंड में भी मिलेट्स यानी मोटा अनाज की समृद्ध परंपरा सदियों से रही है| समय बीता और ग्लैमर के इस युग में बाजारीकरण ने अपनी जगह बनाई जिससे उत्तराखंड के पहाड़ी अंचलों में उगाए जाने वाला मोटा अनाज धीरे-धीरे विलुप्त होने लगा|अब जब लोगों में इस मोटे अनाज को लेकर के जागरूकता आई है| तो सरकार भी वापस इस मोटे अनाज के उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान दे रही है|

उत्तराखंड के गांवों के अभी भी इन मोटे अनाजों की खेती होती है |हालांकि मौसम परिवर्तन और उचित मूल्य न मिलने के कारण इसका उत्पादन काफी घट गया है| परंपरागत कृषि से जुड़े पिथौरागढ़ के किसान दीपेंद्र रावल बताते है| कि सदियों से वे लोग मोटे अनाजों की खेती करते आये है|लेकिन सिंचाई की व्यवस्था न होने और फसल का उचित मूल्य न मिल पाने से अपनी जरूरत के हिसाब से ही वह इनकी खेती कर रहे है| उन्होंने इसकी महत्वता बताते हुए कहा कि अगर सरकार उन तक सुविधाओं का विस्तार करती है तो यहां के किसान इसका उत्पादन बड़ा सकते है|

पहाड़ों में होने वाले मोटे अनाजों के लैब परीक्षण में भी कमाल के परिणाम देखने को मिले हैं|मोटे अनाज में कुपोषण से लडऩे व शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने वाले गुण होते है| मोटे अनाज में शामिल उत्तराखंड की दो प्रमुख पारंपरिक फसल मड़वा और झिंगोरा है जिसमें ऑक्सीडेंट और फाइटेट तत्व सर्वाधिक मिला है|

गहत की बात करें तो इसमें उच्च मात्रा में ऑक्सीडेंट और पहाड़ी राजमा में कार्बोहाइड्रेट, टैनिन, फिनॉलिक व फ्लेबनॉयड तत्वों की अधिकता मिली है| वहीं यहां होने वाले लाल चावल में भी कुपोषण से लड़ने की क्षमता है| यह सभी फसलें पर्वतीय इलाकों की मुख्य फसलें मानी जाती है| यही वजह है कि उत्तराखंड राज्य मिलेट्स में पूरे देश में सर्वश्रेष्ठ राज्य है|