साइबेरिया में दुनिया का सबसे बड़ा पर्माफ्रॉस्ट गड्ढा है. पर्माफ्रॉस्ट में मतलब जहां की जमीन, मिट्टी करोड़ों-अरबों सालों से बर्फीले माहौल में जमी हुई हो. लेकिन अब ये गड्ढा चिंता का विषय बनता जा रहा है. ये लगातार अपना आकार बढ़ा रहा है. इस गड्ढे को बाटागाइका, बाटागे या बागाटाइका कहते हैं.
12 जुलाई को साइबेरिया ने इसके ऊपर ड्रोन उड़ाया. तस्वीरें लीं. तब पता चला कि इस गड्ढे का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है. यह गड्ढा 0.8 वर्ग किलोमीटर बड़ा है. यानी इसके अंदर 145 फुटबॉल मैदान आ जाएं. इसमें बना गहरा निशान 1940 में बनना शुरू हुआ था. ये लगातार बढ़ता जा रहा है. जंगलों की कटाई की वजह से यहां पर मिट्टी का कटाव शुरू हो गया. इसकी वजह से लगातार यहां पर जमीन के नीचे जमी बर्फ पिघलने लगी. यहां पर बड़ा दलदली गड्ढा बन गया. पर्माफ्रॉस्ट में 80 फीसदी बर्फ होती है. इसके बाद मिट्टी या रेत या पेड़-पौधों के अंश. जब बर्फ पिघलती है तो बाकी चीजों से कीचड़ बनने लगता है.
आसमान से देखने पर यह किसी बड़ी मछली जैसा दिखता है. यह साइबेरिया के साखा रिपब्लिक में मौजूद है. ड्रोन तस्वीरों से इस बात की पुष्टि हुई है कि ये लगातार बढ़ता जा रहा है. इस बात के प्रमाण सैटेलाइट तस्वीरों से भी मिले हैं. यहां पर हजारों करोड़ साल के जमी हुई मिट्टी, कीचड़ मौजूद है माना जाता है कि इस गड्ढे में 1.26 लाख साल पुरानी मिट्टी और बर्फ मौजूद है. जो मध्य प्लीस्टोसीन काल के हैं. एक स्टडी के दौरान यहां पर वैज्ञानिकों को एकके दौरान यहां पर वैज्ञानिकों को एक बाइसन (बड़ा भैंसा) का मांस मिला था, जो करीब 8000 साल पुराना था. ये तब दिखाई दिया, जब यहां की बर्फ पिघलनी शुरू हुई थी. यानी हां कभी जानवर और पेड़-पौधे की मात्रा ज्यादा थी.
वैज्ञानिकों को अभी यह नहीं पता कि अचानक यह गड्ढा इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहा है. लेकिन आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों को कहना है कि पिछले कुछ सालों में इसके गड्ढे की गहराई 66 फीट से 98 फीट हो गई है. यह एक बेहद दुर्लभ घटना है. जिसकी पुष्टि रूस के वैज्ञानिक भी करते हैं रसियन एकेडमी ऑफ साइंसेस के वैज्ञानिक एलेक्सी लुपाचेव कहते हैं कि यह सच में एक दुर्लभ घटना है. यह दिखा रहा है कि कैसे हमारी धरती को जलवायु परिवर्तन से खतरा है. लाखों सालों से बर्फ में जमी यह जमीन अब कीचड़ और गड्ढे में बदलती जा रही है.
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