घरेलू बाजार में खाने-पीने की चीजों के दाम को नियंत्रित रखने के लिए भारत गेहूं और चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए हुए है|साथ ही प्याज के निर्यात पर भी 40 प्रतिशत शुल्क लागू है. वहीं, रिपोर्ट्स हैं कि अक्टूबर से सरकार चीनी निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा सकती है|बारिश की कमी के कारण गन्ने की पैदावार में आई कमी और आगामी त्योहारी सीजन में घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए सरकार चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकती है| समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के सूत्रों ने जानकारी दी है कि भारत अक्टूबर से अगले 11 महीने के लिए चीनी निर्यात प्रतिबंधित कर सकता है|सात साल में यह पहली बार होगा जब भारत चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकता है|

जबसे यह जानकारी सामने आई है कि भारत अगले महीने से चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकता है तब से अरब देशों की चिंता बढ़ गई है| क्योंकि भारत पहले से ही चावल और गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध और प्याज के निर्यात पर भारी-भरकम शुल्क लगाए हुए है, जिससे अरब देशों में इन चीजों की महंगाई चरम पर है| चीनी निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले से अरब देशों में चीनी का मीठा स्वाद भी कड़वा होने की उम्मीद है|

भारतीय चीनी का सबसे ज्यादा निर्यात अरब देशों को 

सऊदी अरब की न्यूज वेबसाइट के मुताबिक, भारत द्वारा चीनी निर्यात पर प्रतिबंध अरब देशों के लिए इसलिए भी एक चिंता का विषय है क्योंकि भारत के कुल चीनी उत्पादन का आधा से अधिक निर्यात अरब देशों को होता है|चीनी पहले से ही कई वर्षों के उच्चतम स्तर पर है. ऐसे में भारत में गन्ने की पैदावार में आई कमी वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतों में वृद्धि का कारण बनेगी|जिससे वैश्विक बाजारों खासकर अरब दुनिया में महंगाई बढ़ने की प्रबल आशंका है, क्योंकि अरब देश सबसे ज्यादा चीनी भारत से आयात करता है|

जॉर्डन में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन के प्रमुख सलाहकार फादेल अल-जुबी का कहना है, “कुछ अरब देश ऐसे हैं जो चीनी की कीमतों में वृद्धि के झटके को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे और इससे इन देशों के आयात, स्टॉक और आमलोगों तक पहुंच पर असर पड़ेगा| ऐसे समय में जब उनकी स्थानीय मुद्रा पहले से ही कमजोर है.इससे अरब देशों में और महंगाई बढ़ेगी|इसलिए इन देशों को पहले ही जरूरी कदम उठाने की जरूरत है|

इंटरनेशनल ट्रेड सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल कतर ने 90 फीसदी, यूएई ने 43 फीसदी, बहरीन ने 34 फीसदी और सऊदी अरब और कुवैत ने 28-28 फीसदी चीनी भारत से खरीदी थी|

इससे स्पष्ट है कि खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के सभी देश भारतीय चीनी पर ज्यादा निर्भर हैं| ऐसे में भारत द्वारा निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से अरब देशों की दिक्कतें बढ़ जाएंगी क्योंकि इस बीच इन देशों को चीनी के लिए नया विकल्प ढूंढना आसान नहीं होगा|

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक देश

बेंगलुरु स्थित तक्षशिला इंस्टीट्यूशन के सहायक प्रोफेसर अनुपम मनुर का कहना है, “भारत की ओर से लगाया गया प्रतिबंध अरब दुनिया को अपने आपूर्ति करने वाले देशों में विविधता लाने के लिए मजबूर करेगा| लेकिन विकल्प को बदलने में समय लगेगा| ऐसे में संभावना है कि कुछ दिनों के लिए अरब देशों में उच्च खाद्य मुद्रास्फीति देखी जाएगी|

हाल के वर्षों में भारत सबसे तेजी से बढ़ते चीनी निर्यातक देशों में से एक साबित हुआ है. पिछले साल भारत दुनिया भर में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश था| भारत ने वित्तीय वर्ष 2022 में 570 करोड़ डॉलर का चीनी निर्यात किया, जबकि 2017 में भारत ने सिर्फ 81 करोड़ डॉलर का चीनी निर्यात किया था|

ब्राजील के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक देश है|चीनी के वैश्विक निर्यात में भारत का कुल योगदान 15 प्रतिशत है| हालांकि, आगामी प्रतिबंध के मद्दे नजर भारत की निर्यात हिस्सेदारी घटकर 11 प्रतिशत होने की उम्मीद है|

चावल निर्यात पर बैन तो प्याज पर भारी-भरकम शुल्क

घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए भारत ने 20 जुलाई को गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था| चूंकि, भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है. भारत के इस फैसले से अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में चावल की कीमत अपने उच्चतम स्तर पर है|

इसके अलावा, भारत सरकार ने 19 अगस्त को प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगा दिया था| सरकारी अधिसूचना के अनुसार, 31 दिसंबर तक प्याज के निर्यात पर यह शुल्क लागू रहेगा|