टीबी की निशुल्क जांच के लिए एसआरएमएस में यू डीएसटी लैब का उद्घाटन
टीबी उन्मूलन के लिए मरीजों की स्क्रीनिंग जरूरी
राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 2025 तक टीबी पर नियंत्रण आवश्यक
एसआरएमएस मेडिकल कालेज में आयोजित हुई स्टेट टास्क फोर्स की 43वीं बैठक
बरेली, 16 सितंबर। एसआरएमएस मेडिकल कालेज में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्टेट टास्क फोर्स की 43वीं बैठक हुई। इसमें प्रदेश के सभी मेडिकल कालेज और सभी जिलों के जिला क्षय रोग अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इसके साथ ही टीबी की निशुल्क जांच के लिए एसआरएमएस में यू डीएसटी (यूनिवर्सलड्रग सेंस्टिविटी टेस्टिंग) लैब का भी औपचारिक उद्घाटन किया गया। माइक्रोबायोलाजी विभागाध्यक्ष डा.राहुल गोयल के अनुसार एसआरएमएस मेंसंचालित इस यू डीएसटी लैब में टीबी के लिए दी जाने वाली दवाइयों की रेजिस्टेंट कापता लगाया जाता है। दो हजार रुपये से ज्यादा की लागत वाली यह जांच एसआरएमएस में निशुल्क है और इसकी रिपोर्ट भी उसी दिन मिल जाती है। एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देवमूर्ति जी ने मीटिंग के उद्घाटन सत्र में कहा कि पहले इस बीमारी का मतलब निश्चित मृत्यु होता था। लेकिन आज स्थिति बदल गई है। अब टीबी एक साधारण बीमारी से ज्यादा कुछ नहीं। लेकिन लापरवाही पर यह आज भी खतरनाक है। उन्होंने टीबी की जांच के लिए स्क्रीनिंग बढ़ाने पर जोर दिया। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के नेशनल टास्क फोर्स के चेयरमैन डा.अशोक भारद्वाज और स्टेट टास्क फोर्स के चेयरमैन डा.सूर्यकांत ने भी संबोधित किया। डा.भारद्वाज ने टीबी मरीजों की कम स्क्रीनिंग पर चिंता जताई और इसे बढ़ाने के उपायों पर बात की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प 2025 तक देश में टीबी पर नियंत्रण करने का है। इसके लिए राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब टीबी उन्मूलन के लिए स्क्रीनिंग ज्यादा से ज्यादा हो और टीबी के मरीजों को खोज कर उनका सही विधि से इलाज किया जाए। अभी तक स्र्कीनिंग से सिर्फ पांच फीसद मरीजों की ही पहचान हो पाती है। इसे बढ़ाने की जरूरत है। 40 फीसद से ज्यादा मरीज ऐसे हैं जिन्हें पता ही नहीं कि उन्हे टीबी है। ऐसे में टीबी की स्र्कीनिंग के साथ इसकी टेस्टिंग बढ़ाया जाना आवश्यक है। डा.सूर्यकांत ने मीटिंग में उपस्थित सभी मेडिकल कालेजों में टीबी के मरीजों को दी जा रही सुविधाओं की समीक्षा की और मेडिकल कालेज के प्रतिनिधियों और जिला क्षय रोग अधिकारियों को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए। उन्होंने कई जिलों के जिला क्षय रोग अधिकारियों के अनुपस्थित रहने पर भी नाराजगी जताई और इसकी शिकायत शासन से करने की बात कही। उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम सरकार की प्राथमिकता के साथ ही हम सब की प्राथमिकता में है। इसके बाद भी कई मेडिकल कालेज और जिला क्षय रोग अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे। यह गंभीर विषय है। मीटिंग में डा.सुधीर चौधरी, डा.संजय सूर्यवंशी, डा.प्रीति, डा.ऋषि सक्सेना, डा. आदेश, डा.मयंक सक्सेना, डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि, एसआरएमएस के डायरेक्टर आदित्य मूर्ति,प्राचार्य डा.एसबी गुप्ता, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा.आरपी सिंह, डिप्टी एमएस डा.सीएम चतुर्वेदी, कार्यक्रम केसंयोजक डा.ललित सिंह, सह संयोजक डा.राजीव टंडन, डीन पीजी डा. पीएल प्रसाद. डीन यूजी डा.नीलिमा मेहरोत्रा और फैकल्टी मौजूद रहे।